इंदौर। एमपी बोर्ड द्वारा 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं पिछले सत्र में आयोजित की गई थी, जिसमें लाखों विद्यार्थी प्रदेशभर से शामिल होते हैं। परीक्षा परिणाम के बाद कई विद्यार्थी कॉपियों की चैकिंग फिर से करवाते हैं, जिसके चलते कई विद्यार्थियों के नम्बर बढ़ जाते हैं और कॉपी जांचने वाले शिक्षकों की गलतियां सामने आती है। इस बार इस तरह की लापरवाही बरतने वाले 700 शिक्षकों पर जुर्माना ठोंका जा रहा है। परीक्षाएं आयोजित करने के बाद अलग-अलग सेंटरों पर बोर्ड द्वारा कॉपियां जंचवाई जाती है, जिनके बदले शिक्षकों को निर्धारित पारिश्रमिक की राशि भी दी जाती है। गत शैक्षणिक सत्र में एमपी बोर्ड की परीक्षाओं में 17 लाख से अधिक विद्यार्थी शामिल हुए, जिनमें से कक्षा 10वीं के साढ़े 18 हजार से अधिक, तो कक्षा 12वीं के लगभग 47 हजार विद्यार्थियों ने पुन: कॉपी जांचने के आवेदन लगाए। इनमें से कक्षा 10वीं के 259 और कक्षा 12वीं के 449 विद्यार्थियों के अंकों में बदलाव हुआ। यानी इससे उनका परीक्षा परिणाम भी बदल गया।
नतीजतन इन कॉपियों को जांचने वाले शिक्षकों पर प्रति अंक बढऩे पर 100 रुपए के मान से जुर्माना ठोंका जाएगा। दूसरी तरफ कुछ शिक्षकों ने विद्यार्थियों की अनुपस्थिति भी ओएमआर शीट पर दर्शा दी। उस मामले में भी प्रति प्रकरण एक हजार रुपए का जुर्माना ठोंका जाएगा। अगर किसी शिक्षक के खिलाफ 10 फीसदी से अधिक कॉपियों में गलती सामने आती है तो उसे दिया गया पूरा पारिश्रमिक वापस लिया जाता है और 1 से लेकर 5 साल और अधिक गलतियां मिलने पर उस शिक्षक को फिर आजीवन कॉपियां जांचने के कार्य से वंचित यानी ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाता है। इस बार लगभग 700 ऐसे शिक्षकों पर एमपी बोर्ड द्वारा जुर्माना आरोपित किया जा रहा है जिन्होंने कॉपियों को जांचने में लापरवाही बरती और नतीजतन विद्याार्थियों को कम अंक हासिल हुए और उनका परीक्षा परिणाम भी प्रभावित हुआ। यही कारण है कि एमपी बोर्ड कॉपियां जांचने वाले शिक्षकों को भुगतान तब तक नहीं करता है जब तक कि रीटोटलिंग का पूरा काम सम्पन्न हो जाए।
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