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अलास्का में आए बिजली गिराने वाले 3 Rare Thunderstorm, वैज्ञानिक भी surprised

एंकरेज। धरती के उत्तरी ध्रुव पर बिजली गिराने (lightning striker) वाला ऐसा दुर्लभ तूफान (rare storm) आया है, जिसे देखकर वैज्ञानिक भी हैरान (Scientists are also surprised) हैं. अलास्का से साइबेरिया तक लगातार तीन तूफान (Thunderstorm) आए, जिनकी वजह से इस बर्फीले इलाके में बहुत ज्यादा बिजली गिरी. हैरानी की बात ये हैं कि मौसम विज्ञानी इस तरह के मौसम को देखकर हैरान है, क्योंकि इस इलाके में ऐसा मौसम कम देखने को मिलता है।

फेयरबैंक्स स्थित नेशनल वेदर सर्विस (NWS) के मौसम विज्ञानी एड प्लंब ने कहा कि मौसम की भविष्यवाणी करने वाले साइंटिस्ट्स ने भी कभी ऐसा कुछ नहीं देखा है. यह एकदम अलग तरह की प्रक्रिया है. क्योंकि आर्कटिक महासागर में आमतौर पर इतनी बर्फ रहती है कि जिसकी वजह से गर्मी बन ही नहीं पाती. न ही ऐसा मौसम बनता है कि बारिश हो और बिजली गिरे. वह अभी इतनी ज्यादा मात्रा में।


एड प्लंब ने कहा कि दुनिया भर में बढ़ रही गर्मी और जलवायु परिवर्तन की वजह से आर्कटिक का इलाका भी गर्म हो रहा है. बल्कि इस आर्कटिक में बाकी जगहों की तुलना में ज्यादा तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है. साल 2010 से लेकर अब तक आर्कटिक इलाके में बिजली गिरने की मात्रा तीन गुना ज्यादा हो गई है।

सिएटल स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के वायुमंडलीय भौतिक विज्ञामनी रॉबर्ट होल्जवर्थ ने कहा कि गर्मियों के मौसम में बिजली गिरने से साइबेरिया, रूस के आर्कटिक इलाकों में अक्सर जंगलों में आग लग जाती है. इसका सीधा-सीधा संबंध धरती और वायुमंडल के बढ़ते तापमान से है. जितनी ज्यादा बर्फ पिघलेगी, उतना ज्यादा पानी भाप बनेगा, इससे ज्यादा तूफान आएंगे. यह स्टडी जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुई है।

हाल में आए तीन तूफानों से साइबेरिया के बोरियल जंगलों में आग लगने का खतरा था. आर्कटिक के टुंड्रा इलाके में, जहां पेड़ नहीं हैं, वहां पर बिजली गिरने और कड़कने की घटनाएं बढ़ गई हैं. अगस्त 2019 में उत्तरी ध्रुव (North Pole) से 100 किलोमीटर दूर कई बार बिजली गिरी।

कोलोराडो स्थित नेशनल सेंटर ऑफ एटमॉस्फियरिक रिसर्च की दो स्टडीज के मुताबिक वैज्ञानिकों को आशंका है कि अलास्का में ही थंडरस्टॉर्म की गतिविधियां बढ़ गई हैं. इस सदी के अंत तक यहां पर तूफानों के आने और बिजली गिरने की घटना में तीन गुना ज्यादा बढ़ जाएगी. यह स्टडी पिछले साल क्लाइमेट डायनेमिक्स नामक जर्नल में प्रकाशित हुई थी।

यूनिवर्सिटी ऑफ अलास्का के क्लाइमेट साइंटिस्ट रिक थॉमन ने कहा कि जो चीज पहले अत्यंत दुर्लभ थी, अब वो दुर्लभ की श्रेणी में आ चुकी है. इस हफ्ते जितने तूफान आर्कटिक इलाके में आए और उनकी वजह से अप्रत्याशित जगहों पर बिजली गिरने और कड़कने की घटना से सभी मौसम विज्ञानियों को हैरानी है. क्योंकि इस तरह की घटना आर्कटिक इलाक में पहले नहीं हुई है कि लगातार तीन तूफान आए हों और इतनी बिजली गिरी या कड़की हो।

लगातार बढ़ रही बिजली गिरने की घटनाओं की वजह से हाल के कुछ सालों में साइबेरिया के जंगलों में कई बार आग लगी है. रूस की सेना से इसी हफ्ते पानी गिराने वाले विमानों की मदद से करीब 8 लाख हेक्टेयर जंगल में फैली आग को बुझाया है. दुनिया के सबसे ठंडे इलाकों में एक याकुतिया (Yakutia) के जंगलों में आग लग गई. यहां पर कई हफ्तों से आपातकाल घोषित है।

इस साल जून में अलास्का में 18 हजार एकड़ का इलाका बिजली गिरने से जल गया. यह इलाका टुंड्रा से करीब 200 किलोमीटर दूर नोआटाक नेशनल प्रिजर्व के पास स्थित था. लगातार बढ़ रही गर्मी की वजह से बर्फीले टुंड्रा में अब हरियाली बढ़ रही है. जिसकी वजह से आग की घटनाएं भी बढ़ रही है. क्योंकि जहां पेड़-पौधे होंगे वहां पर आग लगने की घटनाओं के बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है।

इंटरनेशनल आर्कटिक रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इसी तरह क्लाइमेट चेंज होता रहा और ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती रही तो इस सदी के अंत तक आर्कटिक, अलास्का, टुंड्रा, साइबेरिया में अक्सर बिजली गिरेगी. इसकी वजह से यहां पर आग लगने की घटनाएं दोगुना तेजी से बढ़ेंगी. जिसे रोक पाना मुश्किल हो जाएगा।

समुद्र के आसपास जब बिजली गिरती है तो उसकी वजह से समुद्री जहाजों, वेसल, नाविकों, समुद्री जीवों को खतरा ज्यादा होता है. इसकी वजह से बर्फ का बड़ा टुकड़ा टूट सकता है. ग्लेशियर में दरार आ सकती है. या फिर हिमस्खलन हो सकता है. टुंड्रा जैसे खुले इलाके में बिजली का गिरना ज्यादा खतरनाक और जानलेवा साबित हो सकता है।

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