आज खां अपने हरदिल अजीज, दुनिया ओ जहान में सबसे हसीन भोपाल की सालगिरा हे। आप सबी हजरात को इस मुबारक मौके की दिली मुबारकबाद। अपनी मौजूदा हुस्कुमत ने 1 जून को भोपाल गौरव दिवस मनाने का सरकारी एलान किया हे। इसके पीछे की कहानी ये हे साब के भोपाल के आखरी नवाब हमीदुल्ला खां ने 15 अगस्त 1947 को भोपाल का मर्जर भारत शासन में नहीं होने दिया था। नवाब ने इस रोज तिरंगा झंडा बी नई फहराने दिया। आजादी के लिए भोपाल में विलीनीकरण आंदोलन शुरू हुआ था। जिसमे बाबू कामता प्रसाद, चतुर नारायण मालवीय, डाक्टर शंकर दयाल शर्मा, मथुरा बाबू, मोहिनी देवी, खान शाकिर अली खां सहित सैकड़ों लोगों ने नवाब की मुखालफत के लिए सड़कों पे आंदोलन करे। उदयपुरा तहसील के गांव बोरास में नवाब ने विलीनीकरण के 4 आंदोलनकारियों पे गोली चलवा दी। जिसमे चार नौजवान शहीद हो गए थे। नवाब हमीदुल्ला खां किसी सूरत में भारत गणराज्य में मिलने तैयार नहीं था। वो तो सरदार वल्लभ भाई पटेल का जहूरा था के उन्ने नवाब में ऐसी चमक भरी के वो 30 मई 1949 को मर्जर के लिए तैयार हो गया। उसने बाकायदा मर्जर एग्रीमेंट पे दस्तखत कर दिए। इसके फोरन बाद 1 जून 1949 को भोपाल भारत गणराज्य का हिस्सा बन गया। इसी दिन पूरे शहर में तिरंगे फहराए गए। चौक, जुमेराती, पीर गेट, फतेहगढ़ में लोगों ने मिठाई बांटी। सेंट्रल गवर्नमेंट की तरफ से एनबी बनर्जी को भोपाल का कमिश्नर बनाया गया। नवाब को 11 लाख रुपए सालाना प्रीविपर्स तय कर सारे अधिकार ले लिए गए। भोपाल में पेली असेंबली के चुनाव 1952 में हुए थे। इसे तब पार्ट सी स्टेट के चुनाव कहा गया। कुल जमा 30 सीटों के लिए चुनाव हुए थे। उम्मीदवारों ने तांगे और सायकल तक पे चुनाव प्रचार करा था। 30 में से 25 सीटों पे कांग्रेस, 3 पे निर्दलीय और एक एक पे जनसंघ और हिंदू महासभा के उम्मीदवार जीते थे। शंकर दयाल शर्मा भोपाल स्टेट के मुख्यमंत्री चुने गए थे। स्पीकर सुलतान अहमद और वाइस स्पीकर लक्ष्मीनारायण अग्रवाल बनाए गए थे। पंडित कामता प्रसाद, उमराव सिंह, तर्जी माशरिकी, सलामुद्दीन, एफ हैदर, और मुजफ्फर अली खान मिनिस्टर बनाए गए थे। जहां आजकल लोकायुक्त ऑफिस हे वहां पहली विधान सभा लगी थी। भोपाल हमेशा से गंगा जमुनी तहजीब का शहर रहा है। इसकी ये तासीर आज भी जिंदा है। पुराने शहर के कदीमी बाशिंदों में आपसी भाईचारा आज भी कायम है। आज का। भोपाल स्मार्ट सिटी की तरफ कदम बड़ा चुका है। नया हो या पुराना भोपाल की स्पीड काफी तेज हो चुकी है। ये मुहब्बत और अपनापन हमेशा कायम रहे सूरमा यही दुआ करता है। आप सबों को भोपाल गौरव दिवस की एक बार फिर से मुबारकबाद।
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छह माह में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी को मतदान दल में नहीं किया जाएगा शामिल
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