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मशरूम में मिला कैंसर के इलाज में उपयोगी दुर्लभ तत्व ऐस्टाटीन

February 17, 2023
अहमदाबाद/कच्छ (Ahmedabad / Kutch)। देश के सबसे बड़े जिले कच्छ (Raw) में पाए जाने वाले मशरूम (Mushroom) में कैंसर मरीजों (cancer patients) को दिया जाने वाले रेडिएशन थेरेपी (radiation therapy) के मुख्य रासायनिक तत्व की खोज की गई है।

गुजरात इन्स्टीट्यूट ऑफ डेजर्ट इकोलॉजी (जीयूआईडीई) और कच्छ यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने खाने के उपयोग में इस्तेमाल किए जाने वाले मशरूम से पृथ्वी के सबसे दुर्लभ प्राकृतिक तत्व, ऐस्टाटीन सफलतापूर्वक प्राप्त किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी पर ऐस्टाटीन की उपलब्धता कुछ ग्राम है, इसकी वजह है कि किरणोत्सर्गी तत्व कुछ घंटों में नष्ट हो जाता है।

जीयूआईडीई के निदेशक वी विजय कुमार ने कहा कि कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी में कोबाल्ट रेडिएशन का उपयोग किया जाता है। परंतु कोबाल्ट लंबे समय तक शरीर के अंदर रहता है, जो कैंसर की कोशिकाओं के साथ स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचाता है। इसका असर होता है। जबकि मशरूम में पाया जाने वाला ऐस्टाटीन सिर्फ कैंसर की कोशिकाओं को लक्ष्य करता है और थोड़े समय के बाद निष्क्रिय हो जाता है। इसकी वजह से शरीर को कम से कम नुकसान होता है।



ऐस्टाटीन से यह फायदा होगा

कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव के कारण केश झड़ जाते हैं, कमजोरी, उल्टी और खून के थक्के बनने लगते हैं। मरीज की याददाश्त भी कम होने लगती है। कोबाल्ट जहां लंबे समय तक शरीर में रहता है, वहीं दो कीमोथेरेपी के बीच का अंतर भी लंबा होता है। इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे जीयूआईडीई के वैज्ञानिक कार्तिकेय ने दावा कहा कि कि विश्व भर के शोधकर्ताओं ने ढूढ़ लिया है कि यह रेडियोएक्टिव तत्व ट्यूमर समेत अन्य कैंसर के इलाज के लिए रेडियोइम्यूनथेरेपी की कार्यक्षमता में सुधार करेगा। इसकी वजह है कि टयूमर कोशिकाओं को मारता है, जो कि सामान्य रूप से कीमो और रेडियोइम्यूनथेरेपी के लिए प्रतिरोधी होते हैं। उनके अनुसार ऐस्टाटीन के मेडिकल उपयोग पर दुनिया में बड़ी संख्या में रिसर्च और अध्ययन हो रहे हैं। हालांकि इसमें मूल समस्या है कि तत्व की आपूर्ति सीमित और निश्चित क्षेत्रों में ही उपलब्ध है।

कच्छ में हो रही है मेडिकल मशरूम की खेती

जीयूआईडीई हाल में खाद्य और मेडिकल दोनों प्रकार के मशरूम की खेती करता है। वैज्ञानिकों ने कच्छ यूनिवर्सिटी के रसायन विभाग को खाद्य मशरूम लैब मूल्यांकन के लिए दिए। जिसमें जांच के दौरान दुर्लभ तत्व ऐस्टाटीन प्राप्त हुआ। जीयूआईडीई के एक अन्य वैज्ञानिक जी जयंती के अनुसार उन्होंने रिसर्च को आगे ले जाने की योजना बनाई है। जिसके जरिए तत्व की और अधिक प्रामाणिकता और शुद्धिकरण के लिए स्टडी सपोर्ट के लिए राशि जुटाई जा सके। इस प्रक्रिया से कैंसर के मरीजों को कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव से बाहर निकालने की उम्मीद जगी है। एजेंसी/(हि.स.)

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