
नई दिल्ली । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह(Union Home Minister Amit Shah) ने इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तानी(Pakistani) आक्रमण का मुंहतोड़(smashing the invasion) जवाब देने के लिए सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force) की सराहना की। उन्होंने कहा कि जम्मू सीमा पर जवाबी कार्रवाई में 118 से अधिक दुश्मन चौकियां तबाह और क्षतिग्रस्त हो गईं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद जम्मू-कश्मीर की अपनी पहली यात्रा के दौरान शाह ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल ने दुश्मन के निगरानी नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया है, जो एक बड़ा झटका है। इसकी भरपाई करने में उन्हें वर्षों लग जाएंगे। सुरक्षा स्थिति, अमरनाथ यात्रा की तैयारियों की समीक्षा करने और पाकिस्तानी गोलाबारी के पीड़ितों से बातचीत करने के लिए जम्मू क्षेत्र के अपने दो दिवसीय दौरे के समापन पर केंद्रीय गृह मंत्री ने बीएसएफ जवानों की सराहना की। उन्होंने कहा कि तीन दिनों में 118 से अधिक चौकियों को क्षतिग्रस्त या नष्ट करना महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
अमित शाह ने कहा, ‘जब पाकिस्तान ने हमारी सीमाओं और नागरिक क्षेत्रों पर हमला करके हमारे आतंकवाद विरोधी अभियानों का जवाब दिया, तो यह बीएसएफ के जम्मू फ्रंटियर के जवान थे जिन्होंने 118 से अधिक चौकियों को तबाह और क्षतिग्रस्त करके जवाबी कार्रवाई की। उन्होंने दुश्मन की पूरी निगरानी प्रणाली को टुकड़े-टुकड़े करके नष्ट कर दिया, एक ऐसी प्रणाली जिसे दोबारा बनाने में उन्हें चार से पांच साल लगेंगे।’ उन्होंने कहा कि बीएसएफ महानिदेशक से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान की संचार प्रणाली और निगरानी उपकरणों को सबसे बड़ा झटका लगा है। इससे वह काफी समय तक पूर्ण सूचना आधारित युद्ध लड़ने में असमर्थ हो जाएगा।
बीएसएफ की तत्परता की जमकर तारीफ
बीएसएफ की तत्परता की प्रशंसा करते हुए अमित शाह ने कहा कि उनकी खुफिया जानकारी के कारण सटीक पूर्व-कार्रवाई संभव हो सकी। उन्होंने कहा, ‘इससे यह सिद्ध होता है कि शांति काल में भी आपने सतर्क दृष्टि रखी। आपकी सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर सटीक जवाबी रणनीति पहले से ही तैयार कर ली गई थी। जब अवसर आया तो आपने उसे सफलतापूर्वक लागू किया।’ इस उपलब्धि को अपार देशभक्ति और बलिदान का प्रतिबिंब बताते हुए शाह ने कहा, ‘ऐसी बहादुरी तभी सामने आती है जब राष्ट्र के प्रति गौरव हो, दिल में देशभक्ति की भावना हो और सर्वोच्च बलिदान का जुनून हो। तभी ऐसे परिणाम संभव हैं।’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बीएसएफ भारत की प्रथम रक्षा पंक्ति के रूप में कार्य कर रही है। रेगिस्तान, पहाड़ों, जंगलों और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में अटूट समर्पण के साथ मुस्तैद है।
खराब मौसम के बावजूद मिलने पहुंचे
गृह मंत्री शाह ने कहा, ‘जब भी भारत की सीमाओं पर किसी भी तरह का हमला होता है, सबसे पहले इसका खामियाजा हमारे बीएसएफ जवानों को भुगतना पड़ता है। लेकिन वे यह सोचने के लिये कभी रुकते नहीं कि सीमा कहां है।’ खराब मौसम के बावजूद पुंछ की अपनी यात्रा के बारे में शाह ने कहा कि वह जवानों से व्यक्तिगत रूप से मिलने के लिए दृढ़ संकल्पित थे। उन्होंने कहा, ‘मैं पुंछ में गुरुद्वारों, मंदिरों, मस्जिदों और नागरिक आबादी को हुए नुकसान का दौरा करने और उसका दुख साझा करने आया हूं। मुझे बताया गया कि मौसम ठीक नहीं है। फिर भी मैंने तय किया कि मैं सड़क मार्ग से जाऊंगा और सीमा पर तैनात जवानों से मिलकर ही लौटूंगा। भगवान की कृपा रही कि मौसम साफ हो गया और मुझे आपसे मिलने का मौका मिला।’
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