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चीनी रॉकेट फोर्स में भ्रष्टाचार चरम पर, ईंधन की जगह जब मिसाइल में भर दिया गया था पानी, 7 अफसरों पर गिरी गाज

September 09, 2025

नई दिल्‍ली । चीन (China) का सबसे बड़ा कंपटीशन और खतरा अमेरिका (America) से ही है. अमेरिकी मेनलैंड चाइना (US Mainland China) से लगभग 17,000 किलोमीटर दूर है, ऐसे में जंग के हालातों में पैदल सैनिकों (Infantrymen) का तो कोई रोल नहीं बनता. रोल अगर बनता है तो वह है लॉन्ग रेंज हथियारों का. इसीलिए शी जिनपिंग ने अपने सत्ता संभालने के बाद रॉकेट फोर्स को एक अहम आर्म बना दिया. तब से लेकर अब तक लगातार उसमें बढ़ोतरी कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक चीनी पीएलए में भ्रष्टाचार इतने चरम पर है कि शी जिनपिंग के काम को बढ़ा दिया है. यही वजह है कि चीन ने साल 2023 से लेकर 2025 के बीच रॉकेट फोर्स से 7 वरिष्ठ अधिकारियों पर गाज गिर चुकी है.

चीनी रॉकेट फोर्स में घोटाला
विक्ट्री डे परेड में चमचमाती खतरनाक मिसाइलों के जरिए शी जिनपिंग अपने मेड इन चाइना वेपन के जरिए दुनिया पर अपनी धाक जमाना चाहते थे. दुनिया का सबसे ताकतवर देश जो बनना है. उसके लिए चीन की सामरिक क्षमताओं को बड़ी तेजी से बढ़ाना शुरू किया. अलग-अलग तरह के रिफॉर्म किए. लेकिन दशकों पुराने भ्रष्टाचार ने शी की रफ्तार को धीमा कर दिया. पीएलए में भ्रष्टाचार का स्तर हाईएस्ट लेवल तक पहुंच गया है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 से पीएलए कई हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार घोटालों से जूझ रही है. रिपोर्ट के मुताबिक सबसे बड़ा झटका तो तब लगा जब पीएलए रॉकेट फोर्स ने अपने कमांडर और राजनीतिक आयुक्त को रिश्वत लेने के आरोप में बर्खास्त कर दिया. 2023 से इस महत्वपूर्ण यूनिट के कम से कम 7 वरिष्ठ अधिकारियों पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने की जांच चल रही है. रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी खुफिया एजेंसी की रिपोर्टों ने इस जांच के पीछे जिस वजह का खुलासा किया गया था, वह भी चौंकाने वाला है. इस खुलासे में बताया गया था कि भ्रष्टाचार इस कदर अंदर तक घुस गया कि मिसाइलों में ईंधन की जगह पानी भरा गया था और मिसाइल साइलो में डिफेक्टिव ढक्कन लगाए गए थे, जिससे मिसाइल की लॉन्च क्षमताओं में दिक्कतें पेश आई थीं. इसके अलावा अंडरग्राउंड मिसाइल साइलो के निर्माण से जुड़े धोखाधड़ी मामलों में लिप्त रॉकेट फोर्स सीनियर लीडरशिप की सामूहिक बर्खास्तगी हुई. चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन में नंबर दो जनरल हे वेइडोंग भ्रष्टाचार जांच के बीच 2025 की शुरुआत में सार्वजनिक जीवन से गायब हो गए.


रॉकेट फोर्स है कहा जाता है बैक बोन
पिछले कुछ समय में चीन ने अपनी रॉकेट फोर्स को बड़ी तेजी से आगे बढ़ाया है. अगर हम सिलसिलेवार तरीके से चीन के परमाणु हथियारों के जखीरे में शामिल चीन के मीडियम/इंटरमीडिएट लैंड बेस्ड बैलिस्टिक मिसाइलों पर नजर डालें तो फिलहाल चीन के पास इसकी संख्या लगभग 108 से ज्यादा है. इसमें 2000 किलोमीटर मार करने वाली DF-21A/E और 4000 किलोमीटर मार करने वाली DF-26 मिसाइलें मौजूद हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इंटर कॉन्टिनेंटल रेंज मिसाइलों की संख्या 350 के करीब है जिसमें DF-5A की मारक क्षमता 12,000 किलोमीटर, DF-5B की मारक क्षमता 13,000 किलोमीटर, DF-5C की मारक क्षमता 13,000 किलोमीटर, DF-27 की मारक क्षमता 5000 से 8000 किलोमीटर, DF-31 की मारक क्षमता 7200 किलोमीटर, DF-31A की मारक क्षमता 11,200 किलोमीटर, DF-31AG की मारक क्षमता 11,200 किलोमीटर और DF-41 की मारक क्षमता 12,000 किलोमीटर है। जबकि सबमरीन से लॉन्च होने वाली लगभग 75 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें हैं जिसमें JL-2 की मारक क्षमता 7000 किलोमीटर से ज्यादा और JL-3 की मारक क्षमता 9000 किलोमीटर से ज्यादा है. लेकिन सवाल यही उठता है कि कहीं यह सब भी कहीं भ्रष्टाचार का नतीजे का शिकार ना हो जाए.

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