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झूठे केस और जेल के बाद DSP बना किसान का बेटा, अधिकारी बनकर मिटाया पिता का दर्द, जाने पूरा मामला

December 04, 2025

नई दिल्‍ली । एक लड़के की दुनिया ऐसी थी…जहां से अधिकारी बनने का सफर बहुत मुश्किल था। पिता के साथ मारपीट हुई…घर भी जला दिया गया लेकिन दुनिया चुप रही। किसान (Farmer) का बेटा बेबस होकर देखता रहा कि कैसे उसे और उसके परिवार को झूठे केस (false cases) के बोझ तले दबाया गया। जेल भेज दिया गया। जिंदगी बिखर रही थी…पर वह अपने अनकहे दर्द लिए आगे बढ़ता रहा। पिता का दर्द मिटाने के लिए बस अधिकारी बनना ही उसका सपना था। इसलिए MPPSC का एग्जाम दिया। DSP बनकर लौटा तो परिवार के आंखों में अलग ही चमक थी। यह सिर्फ कहानी नहीं है बल्कि जैनेंद्र कुमार ने इसे जिया है। इस सक्सेस स्टोरी में जानें कैसे जैनेंद्र ने संघर्ष, अनगिनत चुनौतियों और जेल से सफलता की कहानी लिखी।

यहां से शुरुआत, सरकारी स्कूल से पढ़ाई
एक इंटव्यू में जैनेंद्र कुमार निगम बताते हैं कि उनके पिता केशव कुमार किसान हैं। खेती-किसानी कर घर चलाते हैं और उनकी माता कुसुम देवी घर संभालती हैं। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की।

इस घटना ने बदल दिया सबकुछ
जैनेंद्र का जीवन कठिनाइयों और संघर्ष से भरा रहा। उनके जीवन की एक घटना ने सबकुछ बदल दिया था। उनके परिवार की मजबूत स्थिति और जमीन के कारण कुछ गांव वालों ने उन्हें परेशान किया। जब उन्होंने जमीन देने से इन्कार किया तो उनके घर पर हमला हुआ, लूटपाट और आगजनी की गई। पिता के साथ मारपीट की गई। बाद में पिता, भाई और उनके खिलाफ ही FIR दर्ज हुई और हमें झूठे केस में जेल जाना पड़ा।



जेल से निकलने के बाद पाई सफलता
जनवरी 2021 में वह बेल पर बाहर आए और MPPSC एग्जाम की तैयारी के लिए इंदौर चले गए। चुनौतियों के बावजूद 3 सरकारी नौकरियां हासिल की। सबसे पहले उन्होंने राज्य सेवा परीक्षा-2020 में नायब तहसीलदार के पद पर चयन पाया। इसके बाद उन्होंने वन सेवा परीक्षा-2020 में रेंजर के पद पर भी सफलता हासिल की लेकिन नहीं ज्वाइन नहीं किया। फिर राज्य प्रशासनिक सेवा परीक्षा 2022 में सहायक संचालक के पद पर चयनित हुए लेकिन ज्वाइन नहीं किया। 2024 में उन्हें सभी केस से बरी कर दिया गया।

7-8 घंटे की पढ़ाई और MPPSC में 12वीं रैंक
जैनेंद्र का सपना अधिकारी बनने का था। जैनेंद्र ने अपनी तैयारी ऑनलाइन मॉक टेस्ट और इंटरव्यू प्रैक्टिस से पूरी की। उन्होंने MPPSC परीक्षा पास की और DSP बन गए। इसी नवंबर में MPPSC का परिणाम आया था और इसमें उन्होंने 12वीं रैंक हासिल की। वह बिना किसी कोचिंग के रोजाना 7 से 8 घंटे पढ़ाई करते थे।

‘आपका बेटा DSP बन गया’
जैनेंद्र का रिजल्ट जब आया तो उनके नाम के आगे DSP लग चुका था। उन्होंने अपने पिता को फोन किया और बताया कि ‘पापा आपका बेटा DSP बन गया है।’ जैनेंद्र की कहानी आज उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणादायी है जो कम संसाधनों में रहने और तैयारी करके सफलता की चमक बिखेरना चाहते हैं।

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