नई दिल्ली । पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीन के अड़ियल रुख के चलते भारत ने पूरी सतर्कता बरतते हुए अब उत्तराखंड की सीमा पर भी अपनी स्थिति मजबूत करनी शुरू कर दी है। चीन से लगी सीमा के बेहद करीब उत्तराखंड के इलाकों में तीन हवाई पट्टी बनाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने हरी झंडी दे दी है। केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने के बाद अब यहां एयर स्ट्रिप बनाने का काम तेज कर दिया गया है। कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं में सहमति जताने के बाद चीन को एलएसी से अपनी सेनाएं पीछे हटाने थीं लेकिन अभी तक चीन ने ऐसा नहीं किया है। इसलिए वहां हालात अभी भी ठीक नहीं हुए हैं और सेना के 40 हजार सैनिकों और वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने मोर्चा संभाल रखा है।
उत्तराखंड में करीब 345 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा है। इस इलाके पर पहले से चीन की नजर है और कई बार चीनी हेलिकॉप्टर मंडराते हुए नजर आ चुके हैं। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद चमोली में भारत-चीन सीमा पर सेना को अलर्ट किया गया है। उत्तराखंड की सीमा पर भी चीनी सेना और वायुसेना कई सालों से घुसपैठ करने की कोशिशें करती रही है। 2016 में सीमा के नजदीक इलाकों के निरीक्षण के दौरान चमोली जिला प्रशासन की टीम का चीनी सैनिकों से सामना हुआ था। 3 जून, 2017 को बाड़ाहोती में दो चीनी हेलीकॉप्टर 3 मिनट तक मंडराते रहे। 25 जुलाई, 2017 को चीनी सेना के 200 जवान भारतीय सीमा में एक किलोमीटर अंदर तक घुस आए थे। 10 मार्च, 2018 को बाड़ाहोती में चीनी सेना के तीन हेलीकॉप्टर भारतीय सीमा में 4 किलोमीटर अंदर तक घुस आए। जुलाई, 2018 में भी चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की थी, जिन्हें भारतीय सेना ने खदेड़ा था।
पूर्वी लद्दाख की सीमा पर मई में माहौल गर्म होने के बाद उत्तराखंड सरकार की ओर से वायुसेना के लिए राज्य में कम से कम तीन लैंडिंग ग्राउंड बनाने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेजा गया था ताकि मुश्किल वक्त में चीन सीमा तक सामान पहुंचाने में कोई दिक्कत ना आए। उत्तराखंड सरकार ने प्रस्ताव में भारतीय वायुसेना को चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ इलाके में 3 आधुनिक हवाई पट्टी बनाने के सुझाव दिए थे। हालांकि इस बारे में पिछले साल ही वायुसेना ने खुद उत्तराखंड सरकार से पहल शुरू की थी लेकिन उस समय इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनातनी बढ़ने पर राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को चिट्ठी लिखी। राज्य सरकार के प्रस्ताव पर कुछ दिनों पहले सेना और वायुसेना की टीम ने तीनों जगहों का निरीक्षण करने के बाद रक्षा मंत्रालय को हवाई पट्टी बनाने की सहमति दी थी।
चीन की निगाहें सिर्फ लद्दाख ही नहीं उत्तराखंड में भी लगीं हैं। इसलिए चीन के आक्रामक रुख को देखते हुए सेना और वायुसेना ने भी लद्दाख सीमा के साथ ही अब इन तीनों जगहों पर भी अपनी तैयारी तेज कर दी है।उत्तरकाशी की हवाई पट्टी पर पिछले कुछ हफ्तों में काफी गतिविधि हुई है और इसे लगभग ऑपरेशनल बना दिया गया है। वायुसेना के फाइटर जेट ने एक महीने के अन्दर दो बार पिथौरागढ़ से सटी भारत-चीन सीमा के इलाके में उड़ान भरकर हालात का जायजा लिया है। यहां से चीन सीमा की हवाई दूरी महज 125 किमी. है। आखिरकार रक्षा मंत्रालय ने चमोली के गोचर में, उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड और पिथौरागढ़ के चौखुटिया में एयर स्ट्रिप बनाने के लिए मंजूरी दे दी है। यह तीनों जिले भारत-चीन सीमा के बेहद करीब हैं। केंद्र सरकार ने हवाई पट्टियों का निर्माण कार्य तेज करने के लिए निर्देश दिए हैं ताकि जरूरत पड़ने पर चीन के खिलाफ सैन्य कार्यवाही को तेजी के साथ अंजाम दिया जा सके।
रक्षा मंत्रालय से हवाई पट्टी की मंजूरी मिलने के पहले ही वायु सेना और भारतीय सेना ने चीन सीमा से सटे इस पहाड़ी इलाके के लिए रोडमैप तैयार करके तैयारी शुरू कर दी थी। सूत्रों का कहना है कि चमोली के गोचर में दोनों तरफ ऊंची-ऊंची पहाड़ियां होने से एयर स्ट्रिप बनाने में समस्या आ रही है लेकिन यहां एयर स्ट्रिप बनाने के लिए सर्वे पूरा कर लिया गया है। पिथौरागढ़ के चौखुटिया में कुछ मकानों को हटाने के लिए कहा गया है। इसके एवज में मकान मालिकों को मुआवजे का भुगतान भी कर दिया गया है। जिला मुख्यालय से 30 किमी. दूर उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड में एयर स्ट्रिप के विस्तार की गुंजाइश कम है लेकिन निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। यहीं पर वायुसेना ऑपरेशन ‘गगन शक्ति’ के नाम से अभ्यास कर चुकी है। पिछले कुछ दिनों में चिन्यालीसौड में वायुसेना के हेलीकाप्टरों की आवाजाही बढ़ी है, क्योंकि यहां वायुसेना सी-130 और एएन-32 जैसे बड़े मालवाहक जहाज उतारना चाहती है।
चीन सीमा के नजदीक सड़कों के निर्माण में आ रही अड़चनों को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के साथ 7 जुलाई को सैन्य अफसरों ने बैठक की थी। सेना के अधिकारियों ने चीन सीमा के नजदीक सड़कों के निर्माण व चौड़ीकरण में वन अधिनियम आड़े आने का मुद्दा उठाया था। सड़कों के निर्माण में हो रही देरी को देखते हुए सैन्य अफसरों ने क्लीयरेंस दिलाने में केंद्र स्तर पर नियमित पैरवी करने का सुझाव दिया था। इसी बैठक में चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ जिले में सीमावर्ती सड़कों के रखरखाव व विस्तारीकरण में आ रही अड़चनों को दूर करने का निर्णय लिया गया, ताकि सैन्य वाहनों के आवागमन में दिक्कतों का सामना न करने पड़े।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved