इंदौर, कमलेश्वरसिंह सिसोदिया। 200 साल पुरानी रेसीडेंसी कोठी में इंदौर आने वाले वीआईपी और वीवीआईपी अपनी आरामगाह बनाने के लिए प्राथमिकता देते हैं। सीमित आवासीय कक्ष होने के कारण यहां ज्यादातर समय बुकिंग रहती है, जिससे मंत्री और अधिकारियों को दूसरी जगह अपना ठिकाना बनाना पड़ता है। अब यहां पर तीन मंजिला अत्याधुनिक रेस्ट हाउस बनाने की कवायद शुरू हो गई है। अंग्रेजों के दौर में बनी रेसीडेंसी कोठी आज भी अपने हेरिटेज लुक के कारण सभी की पसंद बनी हुई है।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री के लिए एक-एक कक्ष हमेशा आरक्षित रहता है। कोठी में 9 आलीशान कक्ष बने हुए हैं। इसके साथ ही ओल्ड रेस्ट हाउस में 4 और 5 दशक पहले बने न्यू रेस्ट हाउस में 9 कमरे यहां आने वाले अतिथियों के लिए रहते हैं। प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी और देश के सबसे तेजी से बढ़ते शहर इंदौर में वीआईपी और वीवीआईपी का मूवमेंट आए दिन बना रहता है। इनके रुकने के लिए रेसीडेंसी कोठी ज्यादातर समय आरक्षित रहती है, जिसके कारण केंद्रीय व प्रदेश सरकार के मंत्री और आईएएस, आईपीएस अधिकारियों को भी दूसरी जगह अपना ठिकाना तलाशना पड़ता है। भोपाल से पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि भव्य रेसीडेंसी कोठी क्षेत्र में जी प्लस 3 की एक इमारत अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस बनाई जाना है। अधिकारी आपस में चर्चा कर स्थान निश्चित करने में जुट गए हैं। वहीं प्रारंभिक तौर पर यह बात सामने आई है कि यहां पर 30 कमरों का भवन बनाया जाएगा, जिसमें अतिविशिष्टजनों के लिए 15 कमरे रहेंगे।
पुरानी हो गई बिल्डिंग देखरेख में लाखों खर्च
रेसीडेंसी कोठी की बिल्डिंग को 200 साल के करीब हो गए हैं। बारिश के समय यहां पर सीलन सामान्य बात हो गई है, जिसके चलते पीडब्ल्यूडी को सालभर मरम्मत करना पड़ती है, जिस पर लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं। साथ ही यहां अतिथियों की देखभाल के लिए रतन एजेंसी को सर्विस प्रोवाइडर एजेंसी का जिम्मा दिया हुआ है, जिसको समय पर निर्धारित पेमेंट नहीं होने से कर्मचारियों में नाराजगी बनी रहती है।
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