नई दिल्ली: एअर इंडिया (Air India ) की सेवाओं को लेकर यात्रियों (Passengers) के बीच नाराजगी तेजी से बढ़ रही है. 12 जून को अहमदाबाद में फ्लाइट (Flight) AI171 की भीषण दुर्घटना के बाद यह असंतोष और गहरा हो गया है. हाल ही में लोकलसर्कल्स (LocalCircles) द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में एअर इंडिया की उड़ानों की गुणवत्ता, रखरखाव, सुरक्षा और यात्री सुविधाओं को लेकर चिंताजनक आंकड़े (Worrying Statistics) सामने आए हैं. यह सर्वे यात्रियों के अनुभवों के आधार पर तैयार किया गया, जिसमें देशभर के हजारों नागरिकों ने भाग लिया और एअर इंडिया के संचालन पर गंभीर सवाल खड़े किए.
सर्वे में शामिल 79 प्रतिशत यात्रियों ने यह माना कि एअर इंडिया के विमानों की स्थिति और उनका रखरखाव बेहद खराब है. यह आंकड़ा वर्ष 2024 में 55 प्रतिशत था, जिससे स्पष्ट होता है कि एक साल में यात्री अनुभवों में भारी गिरावट आई है.
12 जून को एअर इंडिया की फ्लाइट AI171, जो बोइंग 787 ड्रीमलाइनर थी, अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हो गई. इस हादसे में 242 में से केवल एक यात्री जीवित बच पाया, जबकि जमीन पर मौजूद 34 अन्य लोगों की भी मौत हो गई. यह घटना एअर इंडिया की सुरक्षा व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े करती है और यात्रियों की आशंकाएं और भी गहरी हो गई हैं.
इस सर्वेक्षण में देश के 307 से अधिक जिलों से लगभग 15,000 यात्रियों ने हिस्सा लिया. इनमें 63 प्रतिशत पुरुष और 37 प्रतिशत महिलाएं थीं. प्रतिभागियों में 44 प्रतिशत टियर-1 शहरों से, 26 प्रतिशत टियर-2 और 30 प्रतिशत टियर-3, 4, 5 व ग्रामीण क्षेत्रों से थे. यह सर्वे यात्रियों के व्यापक अनुभवों पर आधारित था.
सर्वे में 48 प्रतिशत यात्रियों ने कहा कि उन्हें अपने सामान की हैंडलिंग में परेशानियों का सामना करना पड़ा, जबकि 2024 में यह संख्या 38 प्रतिशत थी. 36 प्रतिशत यात्रियों ने फ्लाइट के मनोरंजन सिस्टम को खराब बताया, जो पिछले वर्ष 24 प्रतिशत था. 31 प्रतिशत यात्रियों ने एअर इंडिया की कस्टमर सर्विस से असंतोष जताया, जबकि 2024 में यह आंकड़ा 24 प्रतिशत था. उसी तरह 31 प्रतिशत यात्रियों ने खाने की गुणवत्ता पर सवाल उठाए, जिससे भोजन संबंधी अनुभव भी नकारात्मक साबित हुआ.
जहां शिकायतें बढ़ीं, वहीं कुछ मामलों में सुधार भी दर्ज किया गया. उड़ानों के समय पर चलने को लेकर शिकायतें 2024 के 69 प्रतिशत से घटकर अब 46 प्रतिशत रह गई हैं. स्टाफ के व्यवहार को लेकर असंतोष भी घटकर 38 प्रतिशत से 31 प्रतिशत हो गया है. इसके अलावा, फ्लाइट संबंधित सूचनाओं में पारदर्शिता में भी मामूली सुधार देखा गया.
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