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पंजाब में नई पीढ़ी को तवज्जो के बाद अब राजस्थान में हलचल, सचिन पायलट गुट की बढ़ी उम्मीद

जयपुर। पंजाब कांग्रेस का मसला सुलझने के बाद राजस्थान कांग्रेस की कलह के सुलझने के आसार भी दिखने लगे हैं। पंजाब में आलाकमान के सख्त फैसले के बाद राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट गुट में उत्साह भर गया है। दरअसल, इस उत्साह की वजह पार्टी के वरिष्ठ नेता और पार्टी के प्रदेश प्रभारी अजय माकन के एक ट्वीट के बाद से दिखने लगा है। माकन ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक पत्रकार के ट्वीट को रिट्वीट कर दिया जिसमें कहा गया कि कोई क्षत्रप अपने दम पर नहीं जीतता, नेहरू गांधी परिवार की वजह से वोट मिलता है, और मुख्य मंत्री बनते ही वह समझ लेते हैं कि उसकी वजह से पार्टी जीती।

माकन ने अपने ट्विटर अकाउंट से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पंजाब में सिद्धू को अध्यक्ष बनाने के बाद बधाई देते हुए भेजे गए एक ट्वीट को रिट्वीट किया जिसमे लिखा था कि सब की राय को ध्यान में रखकर जब एक बार पार्टी हाईकमान फैसला ले लेता है तब सभी कांग्रेसजन एकजुट होकर उसे स्वीकार करने की परंपरा को निभाते हैं यही बात कांग्रेस की आज भी सबसे बड़ी ताकत है।


दरअसल मुख्यमंत्री गहलोत ने आलाकमान द्वारा पंजाब में लिए गए फैसले पर प्रशंसा करते हुए आम राय का फैसला बताया और कहा कि कांग्रेस में आलाकमान का फैसला सब मिलकर मानते हैं, यही कांग्रेस की बड़ी ताकत आज भी है वही राजस्थान में सरकार बनने का हमेशा गहलोत ने आलाकमान को ही श्रेय दिया लेकिन सचिन पायलट और उनके समर्थक पिछले ढाई साल से यही कह रहे हैं कि राजस्थान में राज सचिन पायलट के कारण आया है और सचिन पायलट को राज से बाहर करके रखा गया है। यही वजह रही कि जब माकन ने पत्रकार के ट्वीट को रिट्वीट किया गलतफहतमी पैदा हो गई। लेकिन देर शाम तक मामला सलट गया।

राजस्थान में कांग्रेस पार्टी और सरकार में अशोक गहलोत की स्थिति मजबूत हैं लेकिन पायलट के पिछले साल बगावत करने और पार्टी में दोबारा शामिल होने के बाद उपजी परिस्थितियों से आलाकमान को निपटने में काफी मुश्किल आ रही थी। पायलट अभी चुप्पी साधे हुए हैं और अपने समर्थको को मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए दबाव बनाए हुए हैं। पायलट के अलावा सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक और बहुजन समाज पार्टी में कांग्रेस में आए विधायक भी मंत्रिमंडल में शामिल होने की आस लगाए हुए हैं। गहलोत पर पायलट समर्थक विधायकों को मंत्री बनाने का दबाव बना हुआ है लेकिन वह सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।

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