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AIIMS की डॉक्टर ने अपने 13 साल के बेटे पर किया कोरोना वैक्सीन का ट्रायल

पटना। पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में बच्चों पर कोरोना वैक्सीन के ट्रायल का एक फेज यानी 12 से 18 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन पूरा हो चुका है. अब दूसरे फेज के तहत 6 से 12 साल के बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है. इस संबंध में एम्स के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट सीएम सिंह ने बताया कि बच्चों की वैक्सीन के ट्रायल में किसी तरह की झिझक नहीं दिख रही है.

उन्होंने कहा कि वैक्सीन के वयस्कों पर ट्रायल के दौरान ज्यादा झिझक दिख रही थी. बच्चों के ट्रायल में डॉक्टर्स, स्टाफ के साथ ही आम लोग भी अपने बच्चों को शामिल कराने के लिए उत्साहित हैं. सीएम सिंह ने बताया कि ट्रायल पूरा करके एविडेंस जेनरेट करने में कम से कम तीन महीने का समय लगेगा. इसके बाद इसे अप्रूवल के लिए भेजा जाएगा. अगर सबकुछ ठीक रहा तो इस साल के अंत तक बच्चों के लिए वैक्सीन आ सकती है.

पटना एम्स में बच्चों की वैक्सीन के ट्रायल के दौरान ये बात भी सामने आई है कि कई सारे बच्चों में पहले से ही एंटीबॉडी मौजूद थी. मेडिकल सुपरिंटेंडेंट ने बच्चों का आंकड़ा तो नहीं बताया लेकिन इतना जरूर कहा कि कुछ बच्चों में पहले से ही एंटीबॉडी मौजूद पाई गई जिसकी वजह से उन्हें वैक्सीन के ट्रायल में शामिल नहीं किया गया. बताया जा रहा है कि इस ट्रायल में कई डॉक्टर्स ने भी अपने बच्चों को वैक्सीन लगवाई है.


एम्स में प्लास्टिक सर्जरी विभाग की हेड ऑफ डिपार्टमेंट वीणा सिंह ने अपने 13 साल के बेटे सत्यम पर वैक्सीन का ट्रायल कराया है. वीणा सिंह ने पिछले साल खुद भी वैक्सीन ट्रायल में हिस्सा लिया था. डॉक्टर वीणा ने बताया कि एक मां होने के नाते वैक्सीन लगने के बाद होने वाले एलर्जिक रिएक्शन को लेकर उन्हें थोड़ा सा डर जरूर लग रहा था लेकिन खुद भी वैक्सीन ट्रायल में हिस्सा ले चुकी हूं और डॉक्टर होने के नाते इतने सारे लोगों का वैक्सीनेशन देखा है. यह देखा है कि अभी तक पटना एम्स में किसी को भी एनाफिलैक्टिक शॉक (anaphylactic shock) नहीं हुआ है, इसकी वजह से आत्मविश्वास था और डर को दरकिनार किया.

वीणा सिंह ने कहा कि ट्रायल में शामिल होने का फैसला मेरे बेटे का खुद का था. मैंने उसे सारी औपचारिकताएं और क्राइटेरिया बताए थे जिसके बाद उसने वैक्सीन के ट्रायल में हिस्सा लेने का निर्णय लिया. उन्होंने बताया कि वैक्सीन ट्रायल से पहले आरटीपीसीआर के लिए सैंपल और एंटीबॉडी टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल लिया जाता है. मेरे बेटे ने सारे सैंपलस अच्छे से दिए. वैक्सीन लगते समय और उसके तुरंत बाद उसे कोई प्रॉब्लम नहीं हुई. शाम तक इंजेक्शन वाली जगह पर थोड़ा सा दर्द था लेकिन अगले दिन वो भी ठीक हो गया और इसके लिए कोई दवाई नहीं लेनी पड़ी. बुखार या दूसरा कोई साइड इफेक्ट नहीं हुआ.

वीणा सिंह ने बताया कि अब वो अपने छोटे बेटे को भी अगले चरण के ट्रायल में वैक्सीन लगवाएंगी. उन्होंने कहा कि लोगों में वैक्सीन ट्रायल में हिस्सा लेने को लेकर थोड़ी झिझक है इसीलिए आम लोगों को जागरूक और मोटिवेट करने के लिए खुद आगे आई और ट्रायल में हिस्सा लिया था जिसके बाद बड़ी संख्या में लोग ट्रायल के लिए आगे आए थे. बच्चों में बड़ो के मुकाबले झिझक थोड़ी कम है. वे खुद भी फोन करके ट्रायल में हिस्सा लेने के लिए पूछ रहे थे लेकिन अब जब छोटे बच्चों पर ट्रायल शुरू होगा, झिझक थोड़ी बढ़ सकती है. डॉक्टर वीणा ने लोगों से ट्रायल में हिस्सा लेने की अपील करते हुए कहा कि ऐसा होगा तभी बच्चों के लिए वैक्सीन जल्द आ सकती है.

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