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वायुसेना के कमांडर्स तय करेंगे चीन से निपटने की रणनीति

नई दिल्ली । पूर्वी लद्दाख की चीन सीमा पर जारी तनाव और इसी सप्ताह फ्रांस से मिलने वाले लड़ाकू विमान राफेल की तैनाती पर चर्चा करने के लिए भारतीय वायुसेना के शीर्ष कमांडरों की दो दिवसीय कान्फ्रेंस 22-23 जुलाई को दिल्ली में होगी। इस समय पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीन के साथ चल रहे तनाव की वजह से वायुसेना अपने लड़ाकू विमानों के साथ किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए मात्र आठ मिनट में तैयार रहने के अलर्ट पर है। इसलिए इस कान्फ्रेंस में कई अहम फैसले लिये जा सकते हैं।

वायुसेना के सूत्रों ने बताया कि इस कान्फ्रेंस में देश की सुरक्षा स्थितियों के साथ खास तौर पर पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे तनाव के मद्देनजर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर वायुसेना की तैनाती और तैयारी की समीक्षा की जाएगी। कान्फ्रेंस में मुख्य रूप से वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया देश के सातों वायुसेना कमांडरों के साथ देश की पूर्वी और उत्तरी सीमाओं पर वायुसेना की तैनाती और परिचालन पर चर्चा करने के साथ ही चीन से निपटने की रणनीति तैयार करेंगे। खासकर पूर्वी लद्दाख के अग्रिम मोर्चों पर तैनात वायुसेना के लड़ाकू विमानों के बारे में समीक्षा की जानी है कि उनकी तैनाती में कहीं बदलाव की जरूरत तो नहीं है।

दरअसल वायुसेना ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर नजर रखने के लिए लड़ाकू विमान मल्टी रोल कम्बैक्ट, मिराज-2000, सुखोई-30 एस एमकेआई और जगुआर तैनात कर रखे हैं, जो रात में भी ऑपरेशन कर सकते हैं। भारत ने 14 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर किसी भी ऑपरेशन को करने के लिए अपाचे हेलीकॉप्टर, सुखोई लड़ाकू जेट और टैंक को एलएसी के साथ जोड़ा है। अमेरिकी अपाचे हेलीकॉप्टरों को उन क्षेत्रों के करीब तैनात किया गया है, जहां जमीनी सैनिक तैनात हैंं। अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टर भी रात के समय संचालन करते हैं। अब मिग-29 के भी अपग्रेड हो जाने से उनका भी ‘नाइट ऑपरेशन’ में इस्तेमाल किया जा सकेगा।

इस कान्फ्रेंस का दूसरा मुख्य मुद्दा फ्रांस से 27 जुलाई को आने वाले 6 लड़ाकू विमान राफेल की तैनाती के बारे में होगा। यह फ्रांसीसी लड़ाकू विमान उल्का बीवीआर एयर-टू-एयर मिसाइल (बीवीआरएएएम) की अगली पीढ़ी है, जिसे एयर-टू-एयर कॉम्बैट में क्रांति लाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। राफेल जेट मिसाइल प्रणालियों के अलावा विभिन्न विशिष्ट संशोधनों के साथ भारत आएंगे, जिसमें इजरायल हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले, रडार चेतावनी रिसीवर, कम बैंड जैमर, 10 घंटे की उड़ान डेटा रिकॉर्डिंग, इन्फ्रा-रेड सर्च और ट्रैकिंग सिस्टम शामिल हैं। लड़ाकू विमान राफेल के पहले दस्ते को अंबाला एयरबेस में तैनात किया जाएगा। इसीलिए विमान में लगने वाले इन्हीं उपकरणों की खेप वायुसेना के अंबाला एयरबेस पर पहुंच चुकी है।

वायुसेना के सूत्रों ने बताया कि राफेल में इस्तेमाल की जाने वाली मिटयोर मिसाइल अंबाला पहुंच गई है। इस मिसाइल की रेंज करीब 150 किलोमीटर है जो हवा से हवा में मार करने के मामले में दुनिया के सबसे घातक हथियारों में गिनी जाती है। इसके अलावा राफेल में लगने वाले अन्य उपकरण भी भारत पहुंचने लगे हैं। राफेल फाइटर जेट लंबी दूरी की हवा से सतह में मार करने वाली स्कैल्प क्रूज मिसाइल और हवा से हवा में मार करने वाली माइका मिसाइल से भी लैस है। चीन से चल रहे तनाव के बीच वायुसेना में राफेल के शामिल होने से दक्षिण एशिया में भारत की भूमिका ‘गेमचेंजर’ की हो सकती है क्योंकि यह लड़ाकू विमान 4.5 जेनरेशन मीडियम मल्टीरोल एयरक्राफ्ट है। पहली खेप में 6 राफेल विमान आने से भारत की ताकत और बढ़ जाएगी।

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