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लोकसभा चुनाव में अखिलेश का सियासी प्रयोग, BJP को नुकसान या BSP को निपटाने का प्लान

नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की कुल 80 लोकसभा सीटों में से अभी तक 41 सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस बार के चुनाव में पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) पर पूरी तरह से फोकस रखा है. पीडीए फॉर्मूले के साथ-साथ अखिलेश यादव टिकट वितरण में एक नया प्रयोग कर रहे हैं, जिसके तहत जनरल सीट पर दलित उम्मीदवार का दांव खेला है. अखिलेश का अपने सियासी प्रयोग से बसपा को पूरी तरह से निपटाने का प्लान है या फिर बीजेपी को राजनीतिक नुकसान पहुंचाने का मकसद?

सपा ने अभी तक यूपी में तीन जनरल लोकसभा सीट पर दलित समुदाय के प्रत्याशी उतारे हैं. फैजाबाद (अयोध्या) से अवधेश प्रसाद, बिजनौर से यशवीर सिंह और मेरठ से भानु प्रताप सिंह (एडवोकेट) को उम्मीदवार बनाया गया है. यह तीनों सीट जनरल हैं और कैंडिडेट दलित समुदाय से हैं. इसके अलावा सपा ने 11 दलित समुदाय के प्रत्याशियों को उनके लिए आरक्षित लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. सपा का यह दांव लोकसभा चुनाव में क्या जीत की गारंटी बन पाएगा.

अयोध्या सीट पर सियासी प्रयोग
फैजाबाद (अयोध्या) जनरल लोकसभा सीट है. सपा ने इस सीट पर दलित समुदाय से आने वाले अवधेश प्रसाद को उतारा है, जो पासी जाति से आते हैं. बीजेपी ने लल्लू सिंह पर फिर से भरोसा जताया है, जो ठाकुर समुदाय से आते हैं. बसपा ने सच्चिदानंद पांडेय को प्रत्याशी बनाया है, जो ब्राह्मण समाज से हैं. फैजाबाद लोकसभा सीट पर बीजेपी और बीएसपी ने सवर्ण कैंडिडेट उतारे हैं तो सपा-कांग्रेस गठबंधन ने दलित प्रत्याशी पर विश्वास जताया है. 2019 में लल्लू सिंह महज 65 हजार वोटों से जीत सके थे.

फैजाबाद लोकसभा सीट पर 22 लाख से ज्यादा मतदाता हैं, जिसमें 82 फीसदी आबादी हिंदू और 18 फीसदी मुस्लिम हैं. दलित मतदाता सबसे ज्यादा हैं, करीब सवा चार लाख के करीब हैं. इसके बाद साढ़े तीन लाख ब्राह्मण, ढाई लाख मुस्लिम, ढाई लाख यादव, दो लाख कुर्मी और एक लाख ठाकुर वोटर हैं. इसके अलावा वैश्य समुदाय से डेढ़ लाख, निषाद एक लाख, मौर्य 70 हजार और तीन लाख से ज्यादा अतिपिछड़े वर्ग का वोट है. दलित समुदाय के वोट में 50 फीसदी पासी समुदाय के लोग हैं, जिससे अवधेश प्रसाद आते हैं.

सपा ने अवध प्रसाद को उतारकर दलित-मुस्लिम-यादव समीकरण बनाने का दांव चला है तो बसपा ने सच्चिदानंद पांडेय के सहारे दलित-ब्राह्मण कॉम्बिनेशन बनाने की स्ट्रेटेजी अपनाई है. बीजेपी ने ठाकुर दांव खेला है, लेकिन उसकी कोशिश हिंदुत्व के सहारे अपने दबदबे को कायम रखने की है. सपा, बसपा और बीजेपी तीनों ही अयोध्या सीट जीतने का जबरदस्त तरीके से दांव चला है. मित्रसेन यादव अयोध्या में सपा और बसपा से जीत दर्ज करते रहे हैं, लेकिन मोदी लहर के बाद सारे समीकरण बदल गए हैं. ऐसे में अखिलेश यादव ने यादव कैंडिडेट उतारने के बजाय पासी समुदाय से आने वाले अवधेश प्रसाद पर दांव खेला है.


मेरठ सीट पर चला दलित दांव
मेरठ जनरल लोकसभा सीट है, लेकिन सपा ने दलित समुदाय से आने वाले सुप्रीमकोर्ट के वकील भानू प्रताप सिंह पर भरोसा जताया है. बसपा ने इस सीट पर देवब्रत त्यागी को टिकट दिया है जबकि बीजेपी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. पिछले तीन चुनाव से बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल का कब्जा है, लेकिन इस बार पार्टी अपना प्रत्याशी बदलने के मूड में है. सपा और बसपा अभी तक इस सीट पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारती रही है, लेकिन इस बार दोनों ने हिंदू कैंडिडेट पर विश्वास जताया है.

मेरठ लोकसभा सीट के सियासी समीकरण देखें तो दलित और मुस्लिम बाहुल्य वोटर्स का वर्चस्व माना जाता है. मुस्लिम 33 फीसदी तो दलित 22 फीसदी हैं. इस लिहाज से साढ़े पांच लाख वोटर मुस्लिम हैं और चार लाख के करीब दलित वोटर हैं. दलित समुदाय में जाटव जाति के लोग बड़ी संख्या में हैं. जाटव 3 लाख 14 हजार 788 हैं तो बाल्मीकि समाज 59,000 के करीब है. वैश्य समुदाय पौने दो लाख है तो ब्राह्मण और त्यागी वोटर भी करीब 2 लाख है. जाट समुदाय का वोट करीब सवा लाख है तो गुर्जर और सैनी समाज के वोटर्स डेढ़-डेढ़ लाख हैं.

सपा और बसपा दोनों ने मुस्लिम दांव खेलने के बजाय हिंदू दांव खेला है. सपा ने दलित-मुस्लिम समीकरण बनाने की कोशिश की है तो बसपा ने त्यागी-दलित गणित बैठाया है. बीजेपी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन माना जा रहा है कि किसी वैश्य समुदाय के नेता को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार सकती है. बसपा ने जरूर त्यागी कैंडिडेट उतारकर बीजेपी के सियासी समीकरण बिगाड़ने का दांव चला है जबकि सपा के जाटव उम्मीदवार उतारे जाने का विरोध भी सपा को उठाना पड़ सकता है. सपा ने मेरठ नगर निगम में मेयर के लिए गुर्जर समुदाय से प्रत्याशी उतारा था तो मुस्लिमों ने ओवैसी की पार्टी को बड़ी संख्या में वोट दे दिया था. ऐसे में सपा का दलित कार्ड कितना कारगर साबित होगा?

बिजनौर सीट पर चला दलित कार्ड
बिजनौर लोकसभा सीट पर सपा ने दलित समुदाय से आने वाले पूर्व सांसद यशवीर सिंह को प्रत्याशी बनाया है, जो धोबी जाति से आते हैं. बीजेपी ने यह सीट आरएलडी को दी है, जहां से पार्टी ने गुर्जर समुदाय से आने वाले चंदन चौहान को प्रत्याशी बनाया है. बसपा ने जाट समुदाय से आने वाले चौधरी बिजेंद्र सिंह को टिकट दिया है. सपा ने इस सीट पर सियासी प्रयोग किया है और दलित कार्ड चला है जबकि मुस्लिमों का 40 फीसदी वोट है. इस तरह बिजनौर सीट पर तीनों ही प्रमुख पार्टियों ने हिंदू समुदाय से प्रत्याशी उतारे हैं.

आरएलडी से गठबंधन टूटने के बाद सपा पश्चिमी यूपी की सीटों के लिए अलग सियासी बिसात बिछा रही है. मेरठ और बिजनौर में दलित दांव खेला है तो मुजफ्फरनर सीट पर जाट कार्ड चला है. तीनों ही सीटों पर मुस्लिम समुदाय 30 फीसदी से ऊपर है. बिजनौर में आरएलडी ने गुर्जर और जाट दांव चला है तो सपा ने दलित-मुस्लिम समीकरण तो बसपा ने दलित-जाट गणित बिठाने की स्ट्रेटेजी अपनाई है.

बिजनौर लोकसभा सीट पर मुस्लिम समुदाय की अच्छी खासी संख्या है और ये चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक बिजनौर की कुल आबादी 36 लाख से अधिक (36,82,713) है, लेकिन वोटर 23 लाख हैं. यहां पर हिंदू आबादी 55.18 % है जबकि मुस्लिम आबादी 43.04% है. दलित आबादी की संख्या करीब 22 फीसदी है. दलितों के अलावा यहां पर जाट समुदाय ता खास प्रभाव दिखता है. इसके अलावा ठाकुर और त्यागी के लोग भी बड़ी संख्या में हैं तो सैनी समुदाय का वोटर भी अहम है. देखना है कि सपा का दलित कार्ड क्या बिजनौर लोकसभा सीट पर सफल रहेगा?

सपा का दलित समीकरण
सपा ने अभी तक 43 सीट पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है, जिसमें एक सीट वाराणसी कांग्रेस को दे दी है जबकि संभल सीट से पार्टी के प्रत्याशी रहे शफीकुर्रहमान बर्क का निधन हो चुका है. इस तरह से सपा के 41 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिसमें 14 सीट पर दलित समुदाय से प्रत्याशी दिए हैं. इसमें से 11 टिकट सुरक्षित सीट पर दिए हैं तो 3 टिकट जनरल सीट पर दिए हैं. इटावा सीट से जितेंद्र दोहरे,मिश्रिख से मनोज कुमार राजवंशी, जालौन से नारायण दास आहिरवार, नगीना से मनोज कुमार, लालगंज से दरोगा सरोज, हाथरस से जसवीर बाल्मिकी, हरदोई से उषा वर्मा, मोहनलालगंज से आरके चौधरी, बहराइच से रमेश गौतम, शाहजहांपुर से राजेश कश्यप को प्रत्याशी बनाया है. जनरल सीट पर बिजनौर से यशवीर सिंह, मेरठ से भानु प्रताप सिंह और फैजाबाद से अवधेश प्रसाद को प्रत्याशी बनाया है.

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