पेशावर। पाकिस्तान (Pakistan) में दारुल उलूम हक्कानिया मदरसा (Darul Uloom Haqqaniya Madrasa) उन बड़े और सबसे पुराने मदरसों (Madrasa) में से एक है जो दशकों से पूरे क्षेत्र में हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। आलोचकों ने इसे जिहाद विश्वविद्यालय(Jihad University) भी करार दिया है। इस मदरसे(Madrasa) ने दुनिया के किसी भी स्कूल की तुलना में सबसे ज्यादा तालिबान नेताओं (Taliban Leaders)को तालीम दी है। इस मदरसे (Madrasa) के पूर्व छात्र अब अफगानिस्तान में प्रमुख पदों पर काबिज(key positions in Afghanistan) हैं।
अफगानिस्तान (Afghanistan) के सियासी पदों पर काबिज तालिबान नेता इस बात का गवाह हैं कि पाकिस्तान दुनिया में कट्टरपंथियों की जमात फैलाने की फैक्ट्री है। स्कूल ने तर्क दिया है कि तालिबान को यह दिखाने का मौका मिलना चाहिए कि वे अपने खूनी तरीकों से आगे बढ़ गए हैं क्योंकि वे दो दशक पूर्व अफगानिस्तान पर पहली बार शासन कर चुके हैं।
मदरसा के कुलपति रशीदुल हक सामी (Madrasa Vice Chancellor Rashidul Haque Sami) ने बताया, दुनिया ने कूटनीतिक मोर्चे और युद्ध के मैदान दोनों पर तालिबान के देश चलाने की क्षमताएं देखी हैं। सामी के पिता की 2018 में इस्लामाबाद स्थित उनके आवास पर हत्या कर दी गई थी। उन्हें फादर ऑफ तालिबान के नाम से जाना जाता था।
हक्कानिया मदरसा के कुलपति रशीदुल हक सामी (41) ने बेबाक होकर कहा, हमें गर्व है कि अफगानिस्तान में हमारे छात्रों ने पहले सोवियत संघ को तोड़ा और अब यूएस सेनाएं लौटाईं। मदरसे के लिए यह सम्मान की बात है कि इसके स्नातक अब मंत्री हैं और तालिबान सरकार में उच्च पदों पर आसीन हैं। अफगानिस्तान में तालिबान की जीत मदरसा के छात्रों के लिए बड़े गर्व की बात है।
अफगानिस्तान के गृहमंत्री विदेश मंत्री और कई मंत्री कमांडर व जज
अफगानिस्तान में नए कार्यवाहक गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी पाक के दारुल उलूम हक्कानिया मदरसा के ही पूर्व छात्र हैं। उन्होंने लड़ाकों का नेतृत्व किया और उनके सिर पर अमेरिका ने 50 लाख डॉलर का इनाम भी रखा था।
अफगानिस्तान के नए विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी और उच्च शिक्षामंत्री अब्दुल बकी हक्कानी भी यहीं से पढ़े हैं। मदरसा प्रशासकों ने बताया कि अफगानिस्तान के न्याय मंत्री, जल-बिजली मंत्रालय के प्रमुख और कई प्रांतों के गवर्नर तथा सैन्य कमांडर व न्यायाधीश भी हक्कानिया मदरसा से ही निकले हुए हैं।