बीजिंग। चीन (China) के सैनिक ताइवान (Taiwan) की रक्षा के लिए भेजे गए अमेरिकी सैनिकों (US Troops) पर हमला करेंगे. बीजिंग (Beijing) के सरकारी मीडिया ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर द्वीप पर जंग छिड़ जाती है, तो ऐसा बेहिचक किया जाएगा. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of China) के ग्लोबल टाइम्स अखबार ने एक धमकी जारी की है. दरअसल, चीन(China) की तरफ से ये बयान इसलिए आया है, क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन (US National Security Advisor Jack Sullivan) ने प्रतिज्ञा ली कि वाशिंगटन (Washington) कभी भी ताइवान (Taiwan) में चीन की घुसपैठ (China’s incursion) को होने नहीं देगा.
अखबार ने कहा, इस तरह की धमकियां विश्वसनीय नहीं हैं क्योंकि अमेरिका ताइवान की रक्षा करने की लागत को झेल नहीं सकता है. इसने सुलिवन से अपना ‘बड़ा मुंह’ बंद करने और ‘अपने देश के लिए और अधिक शर्मिंदगी पैदा करने’ से बचने का आग्रह किया. चीन ने शुक्रवार को ताइवान के हवाई क्षेत्र में 13 युद्धक विमानों को भेजा. इसमें आठ लड़ाकू विमान और दो न्यूक्लियर कैपेबल बॉम्बर विमान शामिल थे. ताइपे ने कहा कि चीनी जहाजों में छह J-16 लड़ाकू विमान, दो J-10 लड़ाकू विमान, दो H-6 बमवर्षक, एक Y-8 जासूसी विमान, एक Y-8 पनडुब्बी रोधी विमान, एक KJ-500 जासूसी विमान शामिल थे.
ताइवान के ‘एयर डिफेंस आईडेंटिफिकेशन जोन’ में घुसे चीनी जहाज
ताइवान रक्षा मंत्रालय ने कहा कि लड़ाकू विमानों, पनडुब्बी रोधी विमानों और KJ-500 विमानों ने शुक्रवार को ताइवान के ‘एयर डिफेंस आईडेंटिफिकेशन जोन’ (ADIZ) में घुसपैठ की. ताइवान को अपने ADIZ में उड़ान भरने वाले सभी विमानों को खुद की पहचान करने और इरादा बताने की जरूरत होती है. ये क्षेत्र देश के प्रादेशिक एयरस्पेस से अलग है. बमवर्षक और Y-8 जासूसी विमान ने द्वीप के दक्षिणी छोर के आसपास और इसके पूर्वी हिस्से में घूमने से पहले बहुत लंबा रास्ता तय किया. ये 28 नवंबर के बाद से इस तरह का सबसे बड़ा मिशन है. चीन ने उस दौरान 27 विमानों को ताइवान की ओर भेजा था.
अमेरिका ताइवान की रक्षा करने से बहुत दूर
चीन ताइवान को डराने के लिए अक्सर ही इस तरह की हरकत करता रहा है. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, किसी को विश्वास नहीं है कि अमेरिका के पास हर कीमत पर ताइवान की रक्षा करने की सच्ची इच्छा है. अमेरिका के युद्ध की कीमत पर ताइवान की रक्षा करने से बहुत दूर है. इसने लिखा कि वाशिंगटन का मानना है कि द्वीप पर अमेरिकी सैनिकों को भेजना सही है. लेकिन वास्तव में वे खुद को हमलों से घिरा हुआ पाएंगे. अखबार ने आगे लिखा, अमेरिका मुख्य रूप से ताइवान को हथियार बेचकर सैन्य सहायता प्रदान करता है. ये हथियार उसी दिन नष्ट कर दिए जाएंगे, जिस दिन ताइवान पर चीन का कब्जा हो जाएगा.