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औरंगजेब ने मस्जिद के लिए कृष्ण जन्मभूमि का मंदिर तोड़ा, ASI ने किया मथुरा पर बड़ा खुलासा

नई दिल्‍ली (New Dehli)। मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि (krishna birthplace)को लेकर अहम जानकारी सामने आई है। एक RTI यानी सूचाना के अधिकार (right to information)के जवाब में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने बताया है कि परिसर में मुगल शासक औरंगजेब (Mughal ruler Aurangzeb)ने मस्जिद के लिए हिंदू मंदिर तोड़ा था। हालांकि, RTI के जवाब में विशेषरूप से ‘कृष्ण जन्मभूमि’ का जिक्र नहीं है, लेकिन केशवदेव मंदिर की बात कही गई है। कहा जा रहा है कि शाही ईदगाह हटाने के लिए जारी कानूनी जंग में RTI का जवाब अहम साबित हो सकता है।

कृष्ण जन्मभूमि परिसर में होने का दावा

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के अजय प्रताप सिंह ने RTI दाखिल कर केशवदेव मंदिर को तोड़े जाने के संबंध में जानकारी मांगी थी। इसके कृष्ण जन्मभूमि परिसर में होने का दावा किया गया था। RTI का जवाब ASI आगरा सर्किल के अधिकारी की तरफ से दिया गया था। इसमें पुष्टि की गई है कि विवादित स्थान पर केशवदेव मंदिर को मुगल शासक ने तोड़ दिया था।


1920 गजट के ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स के आधार पर

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ASI ने मथुरा कृष्ण जन्मभूमि के 1920 गजट के ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स के आधार पर यह जानकारी दी है। इसमें गजट का कुछ अंश भी शामिल किया गया है, जिसमें कहा गया, ‘कटरा टीले के कुछ हिस्से जो नजूल के कब्जे में नहीं थे, जहां पहले केशवदेव का मंदिर था, उसे तोड़ दिया गया था और औरंगजेब की मस्जिद के लिए इस्तेमाल किया गया…।’

अहम क्यों?

रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद के खिलाफ याचिकाकर्ताओं में से एक एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि वह अहम सबूत को इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश करेंगे। उन्होंने कहा, ‘ऐतिहासिक सबूत के आधार पर हमने अपनी याचिका में बताया है कि औरंगजेब ने 1670 CE में मथुरा में केशवदेव मंदिर को गिराने का फरमान जारी किया था।’

उन्होंने कहा, ‘इसके बाद शाही ईदगाह मस्जिद का वहां निर्माण किया गया। अब एएसआई ने RTI के जवाब में जानकारी दी है। हम 22 फरवरी को अगली सुनवाई के दौरान ASI के जवाब को भी हाईकोर्ट में पेश करेंगे।’ उन्होंने कहा कि यह शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे की हमारी मांग को मजबूत करेगा। बीते सप्ताह ही शीर्ष न्यायालय ने शाही ईदगाह मस्जिद के कोर्ट की निगरानी में इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से दिए गए आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। यह रोक अप्रैल के मध्य तक लागू रहेगी।

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