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मप्र में फिर बिगड़ा मौसम, कई जिलों में हुई बारिश और ओलावृष्टि

भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में शनिवार को फिर मौसम में बदलाव (change in weather) देखने को मिला। राजधानी भोपाल समेत पश्चिमी मध्य प्रदेश के जिलों में तेज हवाओं के साथ कहीं-कहीं गरज-चमक के साथ वर्षा (rain with thunder) हुई। कई जिलों में ओले भी गिरे। शनिवार को अचानक मौसम बिगड़ने (sudden bad weather) से भोपाल में शाम को बादल छाने के बाद तेज बारिश होने लगी। रतलाम, बैतूल और राजगढ़ में भी तेज बारिश हुई है। आगर जिले के नलखेड़ा में ओले गिरे। इंदौर में तेज हवा के साथ बूंदाबांदी हुई। ग्वालियर में आंधी चली। प्रदेश के कई इलाकों में सुबह से बादल छाए रहे। इधर धार में आकाशीय बिजली गिरने से एक महिला की मौत हो गई।

राजधानी भोपाल में सुबह नर्मदापुरम रोड पर हल्की बौछारें पड़ी, जबकि शाम को करीब 45 किमी की रफ्तार से हवाएं चलीं और देर शाम अचानक तेज बारिश शुरू हो गई। मंदसौर, शाजापुर, रतलाम और राजगढ़ जिले में कई स्थानों पर वर्षा हुई। खंडवा और शाजापुर में ओले भी गिरे। मौसम विज्ञानियों के अनुसार इस तरह की स्थिति तीन-चार दिन तक बनी रह सकती है। इस दौरान कहीं-कहीं ओले भी गिर सकते हैं। मौसम में इस बदलाव ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस बारिश होने से फसलों को नुकसान पहुंचने की आशंका है।


खरगोन में शनिवार शाम करीब 5.30 बजे हल्की बारिश शुरू हो गई। करीब 10 मिनट से ज्यादा बूंदाबांदी का दौर चला। वैसे सुबह मौसम साफ था, लेकिन दोपहर बाद अचानक से बादल छा गए और गरज-चमक के साथ बारिश शुरू हो गई। अशोकनगर में भी सुबह से ही बादल छाए हुए थे। शाम होते-होते अचानक तेज आंधी चलने लगी। धार में भी मौसम में अचानक परिवर्तन देखा गया। सरदारपुर तहसील में दोपहर को बारिश हुई। आगर-मालवा जिले के नलखेड़ा में भी तेज आंधी के साथ बारिश हुई। साथ ही क्षेत्र के कुशलपुरा गांव में ओले भी गिरे। यहां पिछले तीन दिनों से बादल छाए हुए हैं। शाजापुर के अकोदिया क्षेत्र में भी बादल छाए और तेज हवाएं चली। रतलाम जिले के जावरा क्षेत्र के पिपलौदा में दोपहर बाद बारिश हुई। यहां करीब 20 मिनट तक बूंदाबांदी हुई।

धार में शनिवार को खेत पर काम कर रही महिला पर आकाशीय बिजली गिरने से उसकी मौत हो गई। घटना जिले के बरमंडल पंचायत के मजरे नाहरखाली गांव में हुई। जानकारी के अनुसार गुड्डीबाई पति मुन्नालाल अपने परिवार के साथ खेत पर गेहूं कटाई का कार्य करवा रही थी। तभी करीब 4 बजे मौसम बदला, बादलों की गरज के साथ आकाशीय बिजली गिरी। जिससे गुड्डी बाई अचेत हो गई। परिजन उसे अस्पताल ले गए, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

रायसेन में दो दिन में दूसरी बार बूंदाबांदी हुई। जिले में इन दिनों खेतों में चने की फसल की कटाई का काम चल रहा है। वहीं गेहूं की फसल भी कई जगह पक कर कट चुकी है। बैतूल में भी शनिवार शाम को अचानक बादल छा गए और तेज हवाएं चलने लगीं। गरज-चमक के साथ करीब 5 मिनट तक बारिश होती रही।

बेमौसम की इस बारिश से किसानों की चिंता बढ़ गई। दरअसल वर्तमान में गेहूं की फसल पककर खेतों में खड़ी हुई है। वहीं, कुछ स्थानों पर फसल कटने के बाद खेतों में ही रखी हुई है। शुजालपुर के किसान संतोष राजपूत ने बताया कि गेहूं की कटाई भी शुरू हो चुकी है। बारिश के कारण गिरे हुए गेहूं के रंग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है, जिससे फसल का भाव कम मिलेगा। कई जगह तेज हवा से खेतों में खड़ी गेहूं की फसल आड़ी भी हो गई। जिससे अब किसानों को फसल की कटाई हार्वेस्टर मशीन की जगह मजदूर लगाकर ही कराना पड़ेगी।

इन जिलों में बारिश की संभावना
रविवार को भी भोपाल, नर्मदापुरम, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, चंबल, जबलपुर संभाग के जिलों में गरज-चमक के साथ कहीं-कहीं वर्षा हो सकती है। इस दौरान ओले भी गिरने की संभावना है। मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में एक पश्चिमी विक्षोभ ट्रफ के रूप में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बना हुआ है। हवाओं का रुख दक्षिण-पश्चिम बना हुआ है। मध्य प्रदेश में उत्तर-दक्षिण ट्रफ बना हुआ है। इस वजह से विपरीत दिशाओं में टकराव होने के कारण गरज-चमक के साथ वर्षा की स्थिति बनी हुई है। मौसम का इस तरह का मिजाज अभी तीन-चार दिन तक बना रह सकता है।

गेहूं का दाना काला पड़ेगा, सरसों चटककर खेत में बिखर जाएगी
कृषि विशेषज्ञ एवं पूर्व संचालक कृषि डा. जीएस कौशल ने बताया कि इस समय वर्षा होने से खेतों में खड़ी सभी फसलों को बड़ा नुकसान पहुंचने की आशंका है। गेहूं की फसल सूख चुकी है, पानी लगने से गेहूं का दाना काला पड़ जाएगा। इससे उसकी गुणवत्ता खराब हो जाएगी। सरसों की फसल भी पक चुकी है। इसकी फली भीगने के बाद सूखते ही चटक जाएगी। इससे सरसों के दाने खेत में बिखर जाएंगे। तेज हवाएं चलने से खड़ी फसल भी खेत में बिछ जाएगी। इससे भी नुकसान होगा। किसानों को जितनी जल्दी संभव हो हार्वेस्टर से फसल कटवाकर सुरक्षित रख लेनी चाहिए। (एजेंसी, हि.स.)

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