चमोली: चार धाम यात्रा (Char Dham Yatra) की शुरुआत हो चुकी है. बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कपाट 4 मई को खुलेंगे. हालांकि, यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खोले जा चुके हैं. बद्रीनाथ की यात्रा भी जल्द शुरू हो जाएगी. हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा का विशेष महत्व माना गया है. चारों धामों में से एक बद्रीनाथ धाम को धरती का बैकुंठ भी कहते हैं, लेकिन ऐसा क्यों? चलिए आपको बताते हैं कि बद्रीनाथ धाम को धरती का बैकुंठ क्यों कहा जाता है.
बद्रीनाथ धाम का चार धामों में विशेष महत्व माना जाता है इसलिए इसे धरती का बैकुंठ धाम भी कहते हैं. इसका कारण है कि बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु निवास करते हैं, इसलिए इसे हिंदू धर्म में प्रमुख धाम का स्थान दिया गया है. धार्मिक मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में एक बार बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है, तो उसे जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए इसे दिव्य लोक भी कहा जाता है.
बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु, जिन्हें वहां बद्रीनारायण भी कहा जाता है, की पूजा की जाती है. यहां उनकी एक मीटर ऊंची काले पत्थर की स्वयंभू मूर्ति स्थापित है, जिसकी स्थापना आदि शंकराचार्य ने नारद कुंड से निकालकर की थी. इस मूर्ति के दाहिनी ओर कुबेर देव, लक्ष्मी जी और नारायण की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं. यह मूर्ति भगवान विष्णु की आठ स्वयं प्रकट हुई मूर्तियों में से एक मानी जाती है.
बद्रीनाथ धाम में दर्शन कैसे करें?
बद्रीनाथ धाम में दर्शन के लिए आपको सुबह उठकर गर्म कुंड में स्नान करना है.
गर्म कुंड में स्नान करने के बाद फिर आपको नए कपड़े पहनने चाहिए.
फिर आदि ईश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करने चाहिए.
इसके बाद वहां पर मिलने वाले प्रसाद को लेकर भगवान के दर्शन करें.
बद्रीनाथ मंदिर अलकनंदा नदी और पर्वतों के बीच स्थित है.
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