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बैंकों को एमएसएमई के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण पर विचार करने की आवश्यकता


जयपुर। विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि अन्य क्षेत्रों के साथ एमएसएमई भी देश के विकास को बढ़ावा दे रहे हैं। बैंकों को एमएसएमई के इस सकारात्मक दृष्टिकोण पर विचार करने की आवश्यकता है। रिवर्स रेपो ऑपरेशन के तहत आरबीआई के पास बैंकों का सरप्लस फंड होता है। बैंकों का सरप्लस फंड और फंड के लिए एमएसएमई की आवश्यकता एक साथ आ सकते हैं, ताकि एक—दूसरे का दोनों लाभ उठा सकें और देश की जीडीपी को बढ़ाने में मदद कर सकें। ट्रेड्स योजना के तहत पंजीकृत एमएसएमई बिल छूट की सुविधा का भी लाभ उठा सकतीं हैं। बैंक, कॉर्पाेरेट खरीदार और एमएसएमई विक्रेता यदि ट्रेड्स के माध्यम से कार्य करते हैं तो ये सभी लाभान्वित हो सकते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के फाइनेंशियल, इन्क्लूजन एवं डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के महाप्रबंधक, डॉ. मुकेश कुमार ने यह जानकारी दी। वे फिक्की राजस्थान स्टेट काउंसिल की ओर से ‘एमएसएमई फाइनेंसिंग’ विषय पर आयोजित वेबीनार को संबोधित कर रहे थे। रिसर्जेंट इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ज्योति प्रकाश गाड़िया ने वेबीनार संचालन किया।
सिडबी के महाप्रबंधक बलबीर सिंह ने कहा कि जहां तक एमएसएमई के पुनर्गठन की बात है, एमएसएमई को यह स्पष्ट करने की जरूरत है कि इस इकाई के साथ क्या हुआ है। बैंक अपने स्तर पर सक्रिय हैं और ये केवल कागजों पर नहीं चलते हैं। वे इकाई का इतिहास देखते हैं और यह भी जांचते हैं कि इसका क्या प्रभाव पड़ा है और वे व्यवसाय का समग्र दृष्टिकोण प्राप्त करते हैं। बैंक इन सभी के आधार पर ही किसी तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचते हैं। आर्थिक रूप से हर वास्तविक कारण का ध्यान रखा जाता है।
बीएसई-एसएमई एंड स्टार्ट-अप के प्रमुख अजय ठाकुर ने कहा कि एमएसएमई को ऋण और इक्विटी के बीच उचित संतुलन बनाने की आवश्यकता है। उन्हें अपनी इक्विटी को कम करने और सूचीबद्ध होने की भी जरूरत है। प्रमोटर एसएमई प्लेटफॉर्म के जरिए शेयर बाजार से अपना फंड जुटा सकते हैं। इक्विटी फंडिंग को हर महीने सर्विस की जरूरत नहीं है। सूचीबद्ध होने से प्रमोटर को नियमित अंतराल पर फंड मिलेगा, एमएसएमई को एक्सपोजर और विजिबिलिटी मिलेगी और कंपनी में बदलाव भी आएगा।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एसएमई (राजस्थान) प्रमुख एस. विजय कुमार ने कहा कि कोविड-19 महामारी से बैंकरों की मानसिकता में बदलाव आया है और उन्होंने अपनी विचार प्रक्रिया को बदला है। अब उन्होंने एसएमई के महत्व को महसूस करना शुरू कर दिया है। व्यवसायों के फिर से शुरू होने के साथ-साथ एनपीए के बढ़े हुए स्तर भी धीरे-धीरे कम होने लगे हैं। परियोजना की व्यवहार्यता का पेशेवर रूप से अध्ययन करने की आवश्यकता है और यह कही-सुनी बातों आधारित नहीं होनी चाहिए। कई एसएमई अभी भी पुनर्गठन का लाभ उठाने में झिझक रहे हैं। लोगों को यह समझाने की जरूरत है कि पुनर्गठन के अवसर का लाभ उठाया जाना चाहिए, क्योंकि भविष्य अनिश्चित होता है।
एमएसएमई पर फिक्की राजस्थान उप-समिति के चेयरमेन और एम्प्लॉयर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के प्रेसीडेंट एन. के. जैन ने एमएसएमई क्रेडिट कार्ड जारी किए जाने पर जोर दिया, ताकि कंपनियां फंडिंग की अपनी तत्काल आवश्यकता को शीघ्र पूरा कर सकें।

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