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CSIR का बड़ा दावा- सीरो पॉजिटिव लोगों में एंटीबॉडी की कमी के चलते भयावह हुई कोरोना की नई लहर

नई दिल्ली। कोरोना वायरस (Corona virus) की दूसरी लहर में संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, इस बीच काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च Council for Scientific and Industrial Research (CSIR) के सर्वे ने दूसरी लहर (Second wave) में संक्रमण फैलने के कारणों पर रोशनी डाली है. सर्वे में कहा गया कि पिछले साल सितंबर महीने में संक्रमण के चरम छूने के बाद भी लोगों के बीमार होने के पीछे एक वजह ये हो सकती है कि सीरो सर्वे में पॉजिटिव(Corona Positive) पाए गए लोगों में कोई खास एंटी बॉडीज मौजूद ना हों, जो संक्रमण से लड़ सकें. CSIR ने अपनी 20 लैबोरेट्री की मदद से 10,427 लोगों पर सीरो सर्वे किया था. इनमें कॉन्ट्रैक्ट पर रखे कर्मचारी भी शामिल थे और उनके पारिवारिक सदस्य भी. ये लोग दो केंद्रशासित प्रदेशों के साथ 17 राज्यों में निवास करते हैं. 10,427 लोगों पर किए गए सीरो सर्वे में औसत पॉजिटिविटी रेट 10.14 प्रतिशत थी.



सर्वे के मुख्य लेखकों में शामिल शांतनु सेनगुप्ता ने कहा कि पिछले पांच से छह महीनों में एंटीबॉडीज की संख्या में काफी गिरावट आई है, जिसकी वजह से लोग संक्रमण के शिकार हो रहे हैं. संक्रमण की पहली लहर में सितंबर 2020 में देश ने कोरोना का चरम देखा था, हालांकि अक्टूबर की शुरुआत के बाद देश में संक्रमण के नए मामलों में गिरावट देखी गई.
सर्वे के मुताबिक, “पांच से छह महीनों के बाद सीरो पॉजिटिव लोगों में महत्वपूर्ण न्यूट्रलाइजेशन एक्टिविटी की कमी देखी गई, हालांकि CSIR के डाटा में पता चला था कि एंटी-एनसी (न्यूक्लियोकैप्सिड) एंटीबॉडी वायरल और इंफेक्शन के खिलाफ लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करती है. अगर हम और ज्यादा सख्त प्रावधानों को लागू करें तो शरीर में न्यूट्रलाइजेशन की बड़ी कमी हो सकती है. ऐसे में हमारा मानना है कि यही चीज है जो मार्च 2021 में कोरोना की दूसरी लहर को और ज्यादा बड़ी बना रही है.”
भारत में इस समय संक्रमण के सर्वाधिक मामले सामने आ रहे हैं और हर रोज 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए जा रहे हैं. सर्वे में कहा गया है कि देश के कई स्थानों पर किए गए अध्ययन के मुताबिक 10.14 प्रतिशत सीरो पॉजिटिविटी रेट का मतलब ये था कि भारत में कई स्थानों पर सितंबर 2020 तक लोग कोरोना से ठीक होकर इम्यून हो चुके थे. खासकर उन लोगों में जो एक दूसरे के संपर्क में ज्यादा रहते हैं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करते हैं. इस वजह से अक्टूबर में संक्रमण के मामले कम होने शुरू हो गए. हालांकि ये इम्युनिटी इतनी पर्याप्त नहीं थी कि भविष्य में संक्रमण की लहर को रोक सकें, खासकर उन इलाकों में जो संक्रमण से ज्यादा प्रभावित थे.
महाराष्ट्र में मार्च के बाद से कोरोना का विस्फोट देखने को मिला है. अध्ययन में कहा गया है कि सर्वे में 24 शहरों से लोग शामिल थे और इससे मार्च 2021 से थोड़ा पहले पूरे देश में कोरोना वायरस के असर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी मिली थी. इससे ये भी पुष्टि होती है कि सितंबर 2020 तक भारतीयों की एक बड़ी संख्या संक्रमण से उबर चुकी थी और लोगों में इम्युनिटी विकसित हो चुकी थी. अध्ययन में यह भी कहा गया है कि इसी अवधि के दौरान अन्य सीरो सर्वे में भी लाखों भारतीय शामिल हुए थे और उनमें भी इम्युनिटी देखने को मिली थी. ऐसे में उन लोगों की संख्या काफी ज्यादा थी, जो कोरोना से ठीक चुके थे और समाज में अन्य व्यक्तियों के संपर्क में ज्यादा रहते हैं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करते हैं.
ये सर्वे जून में किया गया था और इसके शुरू होने के बाद से ही देश में मास्क और सोशल डिस्टैंसिंग का असर दिखने लगा था. संक्रमण के नए मामलों की संख्या काफी तेजी से कम होने लगी थी.

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