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भाजपा ने सिर्फ राजनीति की, हमने काम करके दिखाया : गहलोत

जयपुर। राजस्थान विधानसभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस का जवाब दिया। केंद्र की मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व और राष्ट्रीयता के नाम पर राजनीति करना आसान है, लेकिन इस पर काम करना मुश्किल है। भाजपा सिर्फ इन नामों पर राजनीति करती है, जबकि हमने इन पर काम करके दिखाया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात में राज्यसभा चुनाव थे, वहां एक सीट कांग्रेस जीतती और एक भाजपा। लेकिन दो सीटों पर चुनाव के लिए अलग—अलग तारीख तय की गई ताकि दोनों सीट भाजपा जीते। राज्यसभा की दो सीटों पर चुनाव की अलग-अलग तारीख तय करने का काम 70 साल में आज तक चुनाव आयोग ने नहीं किया था। गुजरात में हॉर्स ट्रेडिंग पूरी नहीं हुई थी इसलिए दो दिन पहले चुनाव आयोग ने कोरोना का हवाला देकर चुनाव स्थगित कर दिया। एक दिन पहले शिवराज चौहान का मुख्यमंत्री बनने पर जुलूस निकला तब कोरोना नहीं था, लेकिन राज्यसभा चुनाव के वक्त कोरोना हो गया।


गहलोत ने कहा कि गौमाता का आप नाम लेते हैं। आप नाम लेते हो, पर हम काम करते हैं। आपने गौमाता का नाम राजनीति के लिए लिया, हमने गौमाता के लिए काम किया। हमने पहली बार गौमाता के लिए गौपालन निदेशालय बनाया। क्या आपने बनाया? आप भी 1978 में सरकार में आ गए थे। हिंदुओं की भावना है, इसलिए हमने किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय का स्वतंत्रता संग्राम से कोई वास्ता नहीं था। स्वतंत्रता संग्राम से वास्ता न बीजेपी-न जनसंघ का है, न आपके नेताओं का है। आप योजना लाओ तो किसके नाम से लाओगे। स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले कांग्रेस नेताओं के नाम हम योजनाएं लाते हैं तो आपके पेट में दर्द क्यों होता है। जवाहरलाल नेहरू 17 साल आजादी के आंदोलन में जेल में रहे, वीर सावरकर तो छह बार माफी मांगकर आए।

गहलोत ने कहा कि देश में आज भय का वातावरण है। लोग फोन पर बात करने से डरते हैं, किसी से बात करें तो वह कहता है कि फोन काटकर वॉटसएप या अन्य मीडियम से बात कर लीजिए। सामाजिक कार्यकर्ता गिरफ्तार किए जा रहे हैं, जिस देश में यह माहौल हो, लोग डर रहे हों वहां क्या कहा जा सकता है।

गहलोत ने कहा कि किसान आंदोलन कर रहे हैं उनकी कोई सुनवाई ही नहीं कर रहा है। हमने तीन कानून पास किए, आज तक राज्यपाल के पास लंबित पड़े हैं। हम चार कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने राष्ट्रपति से मिलने का वक्त मांगा लेकिन वक्त नहीं मिला। हमने पांच एकड़ तक किसान की जमीन कुर्की से मुक्त करने का भी बिल पास किया, उसे भी राज्यपाल दबाव में राष्ट्रपति के पास नहीं भेज पा रहे हैं।

गहलोत ने कहा कि हम पर यह आरोप लगता रहा है कि हमने कर्जमाफी का वादा पूरा नहीं किया। किसान कर्ज माफी पर हमने वादा निभाया। हमारी राज्य की सहकारी बैंकों के पूरे कर्ज माफ किए। राष्ट्रीयकृत बैंकों के लिए हमने शुरु से प्रधानमंत्री को चि_ी लिखी कि वन टाइम सैटलमेेंट करवा दीजिए। जब बैंकों ने बड़े-बड़े उद्योगपतियों के कर्ज माफ कर दिए तो किसानों के क्यों माफ नहीं हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमत ज्यादा होने का जिम्मेदार केंद्र सरकार है। हम कम करेंगे तो हमारा रेवेन्यू कम हो जाएगा। हमने कोविड के बावजूद जनभावनाओं को देखते हुए वैट दो फीसदी कम करने कर प्रयास किया। डीजल-पेट्रोल के दाम की बात है तो एमपी, कर्नाटक, मणिपुर में रेट क्या हैं। हरियाणा और पंजाब की रेट में हमेशा फर्क रहता हैं, मध्यप्रदेश में हमसे दरें ज्यादा हैं, अभी हमने दो फीसदी वैट कम किया तो 1000 करोड़ का भार पड़ा है। यूपीए राज में कच्चे तेल की रेट 135 डॉलर पर बैरल थी, जबकि आज 40 डॉलर प्रति बैरल है, फिर भी रेट बढ़ती जा रही है। केंद्र सरकार ने एक्साइज डृयूटी बढ़ा दी है, केंद्र ने डीजल पेट्रोल पर वह सब ड्यूटी बढ़ा दी, जिनका राज्यों को हिस्साा नहीं मिलता। केंद्र ने कई गलत फैसले किए हैं, योजनाओं का हिस्सा 50:50 कर दिया है। जीएसटी पर लिखित समझौता होने के बावजूद हमारे 10 हजार करोड़ रुपए काट लिए। (एजेंसी, हि.स.)

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