- एप्रिजल रिपोर्ट में शामिल अन्य के खिलाफ भी जांच की कर सकते हैं मांग
- राज्य सरकार ने महाधिवक्ता से मांगी कानूनी सलाह
भोपाल। लोकसभा चुनाव में कालेधन के लेन-देने मामले में राज्य सरकार पर कार्रवाई के लिए दबाव बढ़ता रहा है। चुनाव आयोग ने इस संबंध में मुख्य सचिव एवं अपर मुख्य सचिव गृह को 5 जनवरी को तलब किया है। इसके बाद राज्य सरकार ने कानूनी पहलुओं पर विचार करना शुरू कर दिया है। इस बीच खबर है कि चुनाव आयोग ने सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर जिन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा है, वे कोर्ट जा सकते हैं। वे एप्रिजल रिपोर्ट में शामिल अन्य नामों की भी कालेधन मामले में जांच की मांग कर सकते हैं। वे फिलहाल इस संबंध में कानून विशेषज्ञों से सलाह-मशवरा कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार चुनाव आयोग ने जिन चार पुलिस अफसरों पर कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को लिखा है। उन्होंने हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के विकीलों से चर्चा भी की है। संभवत:2 जनवरी को कोर्ट खुलने के बाद वे अपने परिजन या फिर अन्य किसी के जरिए हाईकोर्ट में यह मांग कर सकते हैं कि आयकर विभाग की एप्रिजल रिपोर्ट में जिन नेता, अफसरों के नाम हैं, उनके खिलाफ भी जांच की जाए। यदि ऐसा होता है तो फिर एप्रिजल रिपोर्ट में शामिल नेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती है। इधर राज्य सरकार भी कानूनी मंथन कर रही है। खबर है कि राज्य सरकार ने इस संबंध में महाधिवक्ता पुरूषेंद्र कौरव से भी इस संंबंध में कानूनी सलाह मांगी है कि जांच के बिंदु और कार्रवाई की दिशा क्या होगी? ईओडब्ल्यू को केस सौंपने के बाद की संभावनाओं पर भी विचार किया गया।
भारी दबाव में सरकार
सीबीडीटी रिपोर्ट में तीन आईपीएस अधिकारी बी मधुकुमार, संजय माने, सुशोभन बैनर्जी, राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा के अलावा मप्र सरकार के कुछ मंत्रियों, विधायकों और कांग्रेस के नेताओं व विधायकों के नाम हैं। खास बात यह है कि एप्रिजल रिपोर्ट में उन नेताओं के नाम भी शामिल हैं, जो कमलनाथ सरकार में पैसा लेते थे और अब वे भाजपा सरकार में मंत्री हैं। यदि अफसरों के खिलाफ केस दर्ज होता है तो फिर एप्रिजल रिपोर्ट के आधार पर नेताओं पर भी कार्रवाई की मांग उठेगी। ऐसे में राजनीतिक संकट गहरा सकता है।
सीबीडीटी रिपोर्ट का गहन अध्ययन
सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार फिलहाल इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं चाहती है, लेकिन चुनाव आयोग ने सरकार से कार्रवाई को लेकर स्पष्टीकारण मांगा और मुख्य सचिव को दिल्ली तलब किया है। उसके बाद सरकार इस मामले को कोर्ट ले जाने की तैयारी में है। जिससे फिलहाल मामले में किसी तरह की कार्रवाई न हो। सीबीडीटी रिपोर्ट को लेकर मुख्यमंत्री के साथ भी चर्चा हो चुकी है। इसके अलावा एडवोकेट जनरल के साथ मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव गृह और विधि एवं विधायी विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग के अफसर भी बैठक कर चुके हैं। फिलहाल सरकार किसी भ्ीा नतीजे पर नहीं पहुंची है। बताया गया कि चुनाव आयोग में जाने से पहले सरकार कुछ फैसला ले सकती है। यह भी संभावना है कि मामला कोर्ट
पहुंच जाएं।