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ब्रेस्‍टफीडिंग कराने से घट जाता है महिलाओं में स्‍तन कैंसर का खतरा

छह माह तक के नवजात के लिए अपनी मां का स्तनपान किसी अमृत से कम नहीं होता। यहां तक की स्तनपान कराने वाली मां मोटी भी नहीं होती। उन्हें भविष्य में गर्भाश्य व स्तन कैंसर का खतरा भी बहुत कम रहता है। इस बात की पुष्टि चिकित्सा जगत के कई शोध में हो चुकी हैं। शिशुओं के लिए मां का दूध पहला कुदरती आहार है, यह न सिर्फ जन्म के बाद के शुरूआती महीनों में शिशुओं की जरूरत की समस्त ऊर्जा और पोषक तत्व उपलब्ध कराता है, बल्कि निमोनिया और डायरिया जैसे संक्रमणों से बच्चों की रक्षा भी करता है।

WHO के अनुसार, ब्रेस्टफीड करवाना जितना शिशु के लिए जरूरी है उतना ही मां के लिए भी फायदेमंद है। चलिए आपको बताते हैं स्तनपान करवाने से आपको क्या-क्या फायदे होते हैं।

ब्रेस्ट कैंसर

शोध के मुताबिक, स्तनपान करवाने वाली महिलाओं में दूसरी औरतों के मुकाबले ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी कम रहता है।

ओवेरियन कैंसर

दरअसल, स्तनपान ओव्यूलेशन प्रक्रिया को धीमी कर देता है, जिससे ओवरियन कैंसर का खतरा कम होता है।

पोस्टपार्टम अवसाद

डिलीवरी के बाद कुछ महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाती है, जिसके कारण अनिद्रा, भूख कम लगना, स्वभाव में चिड़चिड़ापन जैसी परेशानियां होती है। लेकिन स्तनपान करवाने वाली महिलाएं पोस्टपार्टम अवसाद से बची रहती हैं।

हार्ट अटैक का खतरा होगा कम

एक शोध के अनुसार, जो महिलाएं 6 महीने से ज्यादा स्तनपान करवाती हैं उनमें हार्ट अटैक व स्ट्रोक का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।

मैटर्नल मेटाबॉलिज्म

महिलाओं को अक्सर शिकायत रहती है कि प्रसव के बाद उनका वजन बढ़ गया है लेकिन अगर आप सही तरीके से ब्रेस्टफीडिंग करवाएंगी तो मोटापा कम हो जाएगा। दरअसल, स्तनपान करवाते समय कैलोरी बर्न होती है, जिससे वेट लूट में मदद मिलती है।

इंफेक्शन से बचाव

स्तनपान करवाने वाली सिर्फ शिशु ही नहीं बल्कि औंरतें भी इंफेक्शन के खतरे से बची रहती हैं। साथ ही इससे बच्चों डायबिटीज, सेल्स कम होना, एलर्जी, अस्थमा और एक्जिमा की चपेट में भी नहीं आते।

पोस्टपार्टम हैमरेज का खतरा

प्रसव के बाद से ही औरतों को ब्लीडिंग यानि पीरियड्स शुरी हो जाते हैं, जो करीब एक या डेढ़ महीने तक रहते हैं। इससे महिलाओं में पोस्टपार्टम हैमरेज का खतरा रहता है लेकिन अगर आप स्तनपान करवाती रहें तो इसका खतरा कम होता है।

अर्थराइटिस

इससे महिलाओं में ऑस्टियोपोरेसिस, रुमेटॉयड अर्थराइटिस और दिल से संबंधित बीमारियों का खतरा भी कम होता है।

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