ब्‍लॉगर

कारोबारी सुगमता में भारत की ऊंची छलांग

– सियाराम पांडेय ‘शांत’

कारोबारी सुगमता सूची में इस साल देश का 14 पायदान चढ़ना मायने रखता है। विश्व बैंक की कारोबार सुगमता सूची-2020 में भारत की रैंकिंग 63वीं है। वर्ष 2019 की कारोबार सुगमता सूची में भारत का स्थान 77वां था। 190 देशों की रैंकिंग में 63वें स्थान पर रहना गौरव की बात है लेकिन देश को इतने भर से संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए। उसे इनसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड को सफलतापूर्वक लागू करने के अपने प्रयासों की निरंतरता बनाए रखनी चाहिए।

वर्ष 2014 में जब देश में नरेंद्र मोदी सरकार बनी थी, तब से सरकार देश में कारोबारी माहौल बनाने में जुटी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशी निवेश आकृष्ट करने और मेक इन इंडिया पर बल देने के मामले में सतत अग्रणी रहे हैंं। सरकार के लगातार प्रयासों से 2014-19 तक पांच साल में देश की इस रैकिंग में 79 स्थान का सुधार आया था। सूची के 10 मानकों में से भारत का सात पर जबर्दस्त प्रदर्शन रहा था। 2014 में कारोबार सुगमता सूची में देश की रैंकिंग 142 थी। देश में मोदी राज में हुए आर्थिक सुधारों का ही परिणाम था कि 2018 की कारोबार सुगमता सूची में भारत शीर्ष 100 देशों में शामिल हो गया था। इनसॉल्वेंसी रेजोल्यूशन, निर्माण से जुड़ी अनुमतियों से निपटने, परिसंपत्ति के पंजीकरण, सीमा पार व्यापार और कर भुगतान के संकेतकों में भारत का जिस तरह का हाल के वर्षों में प्रदर्शन रहा है, उसके नतीजे आज हम सबके सामने हैं। अगर हम राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की कारोबार सुगमता रैंकिंग पर गौर करें तो आंध्र प्रदेश ने तीसरे साल भी शीर्ष पर अपनी जगह बरकरार रखी है।

उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग द्वारा तैयार रेटिंग के तहत उत्तर प्रदेश इस रैंकिंग में 2019 में 10 स्थानों की छलांग के साथ दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। 2018 में वह 12वें स्थान पर था। वहीं तेलंगाना एक स्थान फिसलकर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। 2018 में वह दूसरे स्थान पर था। 2020 की कारोबार सुगमता सूची में मध्य प्रदेश (चौथे), झारखंड (पांचवें), छत्तीसगढ़ (छठे), हिमाचल प्रदेश (सातवें), राजस्थान (आठवें), पश्चिम बंगाल (नौवें) और गुजरात (दसवें) स्थान पर है। दिल्ली 12वां स्थान पर है। जबकि 2019 में दिल्ली 23वें स्थान पर थी। गुजरात पांचवें स्थान से फिसलकर दसवें स्थान पर पहुंच गया है। संघ शासित प्रदेशों में असम 20वें, जम्मू-कश्मीर 21वें, गोवा 24वें, बिहार 26वें, केरल 28वें और त्रिपुरा सबसे नीचे 36वें स्थान पर है। इस रैंकिंग से साफ है कि विकास को लेकर जो प्रतिस्पर्धा केंद्र सरकार ने राज्यों के बीच आरंभ की है, यह सब उसी का परिणाम है। हाल ही में स्वच्छता को लेकर जो रैंकिंग जारी हुई थी, उसमें भी राज्यों का प्रदर्शन काबिले तारीफ रहा। इससे पता चलता है कि राज्य और संघ शासित प्रदेश अपनी प्रणाली और प्रक्रियाओं को बेहतर तरजीह दे रहे हैं। उसे अपना रहे हैं और अपने-अपने राज्य को आगे बढ़ाने की दिशा में बखूबी सचेष्ट हैं। इस रैंकिंग में फिसल गए राज्यों के लिए यह आत्ममंथन का भी अवसर है। उन्हें अपने कार्यों की पुनर्समीक्षा करनी चाहिए। वर्ष 2015 की रैंकिंग में गुजरात शीर्ष पर था, जबकि आंध्र प्रदेश दूसरे और तेलंगाना 13वें स्थान पर था। 2016 में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना संयुक्त रूप से शीर्ष पर थे। जुलाई, 2018 में जारी पिछली रैंकिंग में आंध्र प्रदेश पहले स्थान पर था। वहीं तेलंगाना दूसरे और हरियाणा तीसरे स्थान पर था। इसबार की रैंकिंग में हरियाणा फिसलकर 16वें स्थान पर पहुंच गया है। इस पूरी प्रक्रिया का मकसद राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है, जिससे वे घरेलू के साथ विदेशी निवेश भी आकर्षित कर सकें। राज्यों को रैंकिंग कई मानकों मसलन निर्माण परमिट, श्रम नियमन, पर्यावरण पंजीकरण, सूचना तक पहुंच, जमीन की उपलब्धता तथा एकल खिड़की प्रणाली के आधार पर दी जाती है। डीपीआईआईटी विश्वबैंक के सहयोग से सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के लिए कारोबार सुधार कार्रवाई योजना के तहत सालाना सुधार प्रक्रिया करता है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस रैंकिंग में उत्तर प्रदेश को अगर देश में अग्रणी बनाने की बात कही है और प्रदेश के सभी जिलों में ईज आफ डूइंग व्यवस्था को लागू करने की बात कही है तो इससे इस बात का पता चलता है कि मोदी सरकार की नीतियों को शत-प्रतिशत लागू करने को लेकर योगी आदित्यनाथ कितने गंभीर हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि स्टेट बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान-2019 के अंतर्गत प्रदेश ने अपनी रैंकिंग में 10 पायदान का सुधार करते हुए दूसरा स्थान प्राप्त किया है। पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को सफल बनाने में यूपी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। यूपी की रैंकिंग में अभूतपूर्व और उल्लेखनीय सुधार की यह उपलब्धि सभी के सहयोग से संभव हुई है। इससे साबित हो गया है कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से यूपी निवेशकों व कारोबारियों के लिए एक आकर्षक डेस्टिनेशन के तौर पर उभरा है। यह उपलब्धि इसलिए भी बड़े महत्व वाली है क्योंकि प्रदेश ने गुजरात, तेलंगाना, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि अनेक अग्रणी राज्यों को पीछे छोड़ते हुए इसे प्राप्त किया है।

यह कहने में शायद ही किसी को गुरेज होगा कि उत्तर प्रदेश में उद्यमियों, निवेशकों तथा उद्योगपतियों को अनेक सुविधाएं देने की पहल की जा रही है। प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा निवेश आए, इसके लिए आकर्षक नीतियां बनाकर उन्हें लागू किया गया है। उद्यम स्थापना की कार्यवाही को सुगम, पारदर्शी तथा समयबद्ध ढंग से संपन्न करने के लिए व्यापक स्तर पर इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में यूपी की यात्रा उल्लेखनीय रही है। यह इस बात का प्रमाण है कि सरकारी मशीनरी और उद्योग जगत की आवश्यकताओं के बीच अंतर को कम करने में निवेश मित्र पोर्टल महत्वपूर्ण माध्यम बन गया है। उद्योग जगत के बीच निवेश मित्र पोर्टल की व्यापक स्वीकृति है। इस पोर्टल पर अबतक उद्यमियों से 18120 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इनमें से 17752 का समाधान किया जा चुका है।

विपक्ष के तमाम विरोध ओर आलोचनाओं के बीच यूपी सरकार ने अगर निवेशक सममेलन आयोजित किए हैं तो उन्हें सुविधा देने के लिहाज से उपयुक्त कदम भी उठाए हैं। इस तरह की प्रतिस्पर्धा सभी राज्यों के बीच होनी चाहिए। उनके जिलों, तहसीलों के बीच होनी चाहिए। जबतक इस देश का जन-जन विकासकामी नहीं होगा, यह देश समग्र विकास नहीं कर सकेगा। प्रतिस्पर्धा आरंभ हुई तो उसके नतीजे भी अच्छे ही आएंगे। बस हमें धैर्य के साथ अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभानी है। अगर हम इतना कर सके तो देश को पूरी दुनिया में आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता।

(लेखक हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

Share:

Next Post

साप्ताहिक कॉलम: सुनी सुनाई... रवीन्द्र जैन

Tue Sep 8 , 2020
अंडे का फंडा आ खिर मध्यप्रदेश की आंगनबाडिय़ों में अंडे का फंडा है क्या? बार-बार महिला बाल विकास विभाग आंगनबाडिय़ों में अंडा वितरण का प्रस्ताव क्यों तैयार करते हैं? मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने तीसरे कार्यकाल में घोषणा कर चुके हैं कि इनके मुख्यमंत्री रहते मप्र की किसी भी आंगनबाड़ी में अंडा वितरण नहीं किया […]