भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

साप्ताहिक कॉलम: सुनी सुनाई… रवीन्द्र जैन

अंडे का फंडा
आ खिर मध्यप्रदेश की आंगनबाडिय़ों में अंडे का फंडा है क्या? बार-बार महिला बाल विकास विभाग आंगनबाडिय़ों में अंडा वितरण का प्रस्ताव क्यों तैयार करते हैं? मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने तीसरे कार्यकाल में घोषणा कर चुके हैं कि इनके मुख्यमंत्री रहते मप्र की किसी भी आंगनबाड़ी में अंडा वितरण नहीं किया जाएगा। इसके बाद भी महिला बाल विकास मंत्री अंडा वितरण पर अड़ी हुईं थीं। अब ज्योतिरादित्य सिंधिया के हस्तक्षेप के बाद यह मामला फिर से उपचुनाव तक ठंडे बस्ते में चला गया है। लेकिन बार-बार अंडा सामने क्यों आता है? मुख्यबिरों की खबर है कि अंडा सप्लायर लॉबी महिला बाल विकास अधिकारियों के जरिए ऐसे-ऐसे प्रस्ताव भेजते हैं कि मंत्री उनके झांसे में आ जाते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रतिबद्धता के कारण अफसर और मंत्रियों की दाल नहीं गल पा रही।

पूर्व मुख्य सचिव का अधूरा दर्द
भो पाल के मास्टर प्लान से छेड़छाड़ को लेकर पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच का दर्द आधा अधूरा है। उन्हें मास्टर प्लान से हटकर वे तमाम निर्माण तो दिखते हैं जो आम आदमी ने किए हैं, लेकिन आईएएस अधिकारियों के अवैध निर्माण नजर नहीं आते। इस सप्ताह निर्मला बुच ने मौजूदा मुख्य सचिव को पत्र लिखकर बड़े तालाब के डूब क्षेत्र में निर्माण रोकने की मांग की है। खास बात यह है कि मेडम बुच को बरखेड़ी खुर्द (साक्षी ढाबे के पास) में तेजी से तन रही आईएएस अधिकारियों की अवैध कॉलोनी दिखाई नहीं देती। लो डेंसिटी ऐरिये में जहां 15 प्रतिशत से ज्यादा निर्माण नहीं किया जा सकता, वहां 50 प्रतिशत से ज्यादा भूमि पर अफसरों के बंगले पूरे मास्टर प्लान को ठेंगा दिखा रहे हैं। क्या मेडम बुच इस पर भी एकाध पत्र लिखेंगी?

जेल में वसूली का खेल
म ध्यप्रदेश की जेलों अवैध वसूली का खेल खुलेआम और जमकर चल रहा है। यह खौज का विषय है कि इस खेल को किसका संरक्षण मिला हुआ है? इंदौर की जिला जेल इस मामले में सबसे आगे चल रही है। इस अवैध वसूली के खेल के कारण ही जेल के अंदर के तमाम वीडियो मीडिया की सुर्खी बने हैं। इंदौर केंद्रीय जेल अधीक्षण राजेश भांगरे की गोपनीय रिपोर्ट पर भरोसा किया जाए तो इस खेल का मास्टर माइंड जेलर मनोज चौरसिया रहा है। चर्चा है कि भांगरे की रिपोर्ट के बाद स्वयं को बचाने के लिए मनोज चौरसिया ने एक अन्य जेलर कुलश्रेष्ठ के साथ हनी ट्रेप की आरोपियों के साथ फोटो वॉयरल कर दिए। फिलहाल जेल मुख्यालय ने चौरसिया और कुलश्रेष्ठ का तबादला कर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश भर की है। जेलों में वसूली फिलहाल तो नहीं थमी है।
एक भदौरिया, दो मंत्री
म ध्यप्रदेश के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के एक राजेश सिंह भदौरिया को भोपाल के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो का एसपी बनाने के लिए प्रदेश के दो मंत्री तीन महीने तक प्रयास करते रहे, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हरी झंडी नहीं दी। मुख्यमंत्री का कड़ा रूख देखने के बाद आखिर मंत्रियों ने प्रस्ताव बदला और भदौरिया को ईओडब्ल्यू के बदले राजधानी भोपाल में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की कुर्सी पर पदस्थ करा लिया। इस घटना से संदेश गया है कि भाजपा कोटे के पुराने मंत्री चाह कर भी मनचाही पोस्टिंग नहीं करा सकते, लेकिन सिंधिया कोटे के मंत्रियों पर यह नियम यह लागू नहीं होता।

जनसेवक के लिए अलग नियम
ग्वा लियर नगर निगम ने मनमाने तरीके से कचरा टैक्स ठोक दिया है। सभी मैरिज गार्डन और होटलों पर लगभग 1 लाख रुपए सालाना और सबसे छोटे आवास पर 300 रुपए सालाना से लेकर बड़े आवासों पर हजारों रुपए के इस टैक्स को लेकर काफी विरोध चल रहा है। इस विरोध के बीच नगर निगम ने नियम बना दिया कि संपत्ति कर तभी जमा होगा, जब कचरा टैक्स की एनओसी ले लोगे। मजेदार बात यह है कि ग्वालियर के एक जन सेवक ने अपनी ताकत का अहसास कराते हुए बिना कचरे टैक्स जमा किए अपनी सभी संपत्तियों का टैक्स जमा कर दिया है। अब उपचुनाव में इसे मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही है।

आईएफएस ने सीएस को कोर्ट में बुलावाया
व न विभाग के एक आईएफएस ने घूस मांगने पर राज्य सरकार ने जो सजा दी तो उसे कोर्ट में चुनौती दी और मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव को कोर्ट से बुलावा भिजवा दिया है। अब वन विभाग इसको लेकर परेशान है कि वरिष्ठ अफसरों को पेशी से कैसे बचाया जाए। यह आईएफएस अधिकारी अजीत श्रीवास्तव हैं, जिन्होंने पांच साल पहले जबलपुर मुख्य वन संरक्षक रहते टिंबर कारोबारी से लकड़ी से भरे ट्रक छोडऩे के एवज में कथित तौर पर 45 लाख की घूस मांगी थी। इस मामले में जांच अधिकारी पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह की रिपोर्ट पर राज्य शासन ने आईएफएस को सजा दी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और फिर कमलनाथ ने भी आईएफएस की सजा पर मुहर लगाई थी। दोनों मुख्यमंत्रियों के फैसले को आईएफएस ने कैट में चुनौती दी है। अब कैट ने मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत तौर पर तलब किया है।

मंत्रियों के काम देख रहे हनीट्रैप के आरोपी
प्रदेश सरकार के एक मंत्री और कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त एक निगम के अध्यक्ष का हनीटै्रप के आरोपी अफसरों से मोह नहीं छूट रहा है। पिछले साल कमलनाथ सरकार के दो मंत्रियों के ओएसडी के नाम हनीट्रैप में आए थे। इसके बाद मंत्रियों ने तत्काल दोनों अफसरों को बाहर कर दिया था। इनमें से एक शिवराज सरकार में फिर से मंत्री हैं और दूसरे को खनिज विकास निगम का अध्यक्ष बनाया है। खबर है कि निगम अध्यक्ष का काम पर्दे के पीछे रहकर पुराने ओएसडी देख रहे हैं। वहीं दूसरे ओएसडी मंत्री के बंगले पर अक्सर दिखाई देते हैं।

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