खरी-खरी

पिंजरे के पंछी रे… तेरा दरद न जाने कोय…

पिंजरे के पंछी रे… तेरा दरद न जाने कोय… बुरा तुम देखो… बुरा तुम सुनो… पर बुरा मत कहो… छोटा सा ही तो परिवर्तन है… गांधी के तीन बंदरों को सिखाई सीख में… अब सुनना भी पड़ेगा… सहना भी पड़ेगा… पर खामोश रहना पड़ेगा… ऐसे ही खामोशी की घुटन ज्वालामुखी बनाती है और जब फूटने […]

खरी-खरी

जो कोई नहीं कर सका वो आपने कर दिखाया… लेकिन मोदीजी देश में न महंगाई कम हुई न भ्रष्टाचार मिट पाया…

देश के लिए नवतपा जैसे रहे मोदीजी के नौ साल…जिस तरह भीषण गर्मी के बाद वर्षा का सुकून मिलता है, उसी तरह देश में तपन का निखार नजर आया… जो कोई नहीं कर सका वो काम मोदीजी ने कर दिखाया… देश में चल रहे राम मंदिर के बवंडर को दोनों वर्गों की सहमति और कानून […]

खरी-खरी

लोकतंत्र के मंदिर में राजदंड का साष्टांग क्यों…

लोकतंत्र में राजदंड कैसा… राजा-महाराजा चले गए… राजतंत्र चला गया… हजारों लोगों की कुर्बानियां… सैकड़ों लोगों की शहादत के बाद हमने लोकतंत्र को पाया… अपनों के द्वारा चुने गए अपनों को देश का नेतृत्व थमाया… राजपाट का युग मिटाया और जिस राजदंड को हमने वर्षों पहले दफनाया और भारत के संविधान को अपने भविष्य का […]

खरी-खरी

शांत है हमारा शहर… इसे आक्रांत न बनाओ…

यह तो होना ही था…जब हिंदूवादी लव जिहाद आंदोलन चलाएंगे… मुस्लिम लडक़े के साथ हिंदू लडक़ी के पाए जाने पर बवाल मचाएंगे…थाना घेरकर ताकत दिखाएंगे…द केरला स्टोरी फिल्म दिखाकर गैरजातीय विवाह के दुष्परिणाम बताएंगे तो मुस्लिम भी अपनी कौम में हिंदूवादी संबंध स्वीकारने पर उंगली उठाएंगे…अपनी बेटियों के हिंदू धर्म में विवाह को गैरवाजिब बताएंगे… […]

खरी-खरी

शहर की संवेदनाओं का गांधी हॉल… निगम ने बना डाला बिकाऊ मॉल…

अब शर्म करें… मन-मसोसकर खामोश रहें या विद्रोह की अग्नि के साथ जलते रहें…क्योंकि अब तक जिस धरोहर पर हमें गर्व था, गुमान था… जो धरोहर शहर का मान थी, वो बेची जा रही है…गुलामी के काल में जिसे हमारे पूर्वजों के हाथों ने बनाया… आजादी के बाद जिस धरोहर पर से हमने अंग्रेजों का […]

खरी-खरी

अभी तो सूखे पत्तों ने साथ छोड़ा है…कहीं हरियाली रूठ ना जाए…

बुझे हुए चिरागों की रुखसती से हैरान न हो…अभी तो रोशन चिरागों का अंधेरा बाकी है… तिलमिलाहट इस बात की नहीं कि उन्हें तवज्जो नहीं मिली… बगावत इस बात की है कि दुश्मनों को गले लगाकर सियासत का शहंशाह बना डाला और पार्टी पर कुर्बान होने वालों का वजूद तक मिटा डाला…और यह तो होना […]

खरी-खरी

बाप का पाप बेटे की ऐसी मौत बन गया कि खौफ का कारवां लेकर चलने वाला दरिंदा चार कांधों के लिए तरस गया…

असद का लाश बनना जायज है…उस नापाक जिंदगी का हक छीनना माकूल था…वो हिमाकत की उस इंतहा पर पहुंच चुका था, जहां दानव पहुंचते हैं…उस मगरूर ने एक हंसते-खेलते परिवार से एक बेटे को छीन लिया…एक पत्नी को विधवा बना दिया… बच्चों को अनाथ कर दिया…उसे भी उसी अंजाम पर पहुंचाना, उसके परिवार का भी […]

खरी-खरी

हम बेटियों की नाक नहीं कटने देंगे… उन्हें शूर्पणखा तो नहीं बनने देंगे….

सही सवाल तो कैसा बवाल…देश में बढ़ती जा रही अश्लीलता और इंदौर में उभरते जा रहे उसके समकक्ष परिदृश्य पर भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की टिप्पणी का जहां संभ्रांत और सभ्य समाज ने पुरजोर स्वागत किया, वहीं विरोधी राजनीतिक दलों ने परम्परागत विरोध जताते हुए उसे कहीं शहर के नाइट कल्चर से जोड़ा तो कहीं […]

खरी-खरी ब्‍लॉगर

जहां कल थी राम नाम की जयकार… वहां आज है राम नाम सत्य है के साथ चीत्कार

जहां कल थी राम नाम की जयकार… वहां आज है राम नाम सत्य है के साथ चीत्कार जिस गली, मोहल्ले, इलाके में सुबह उत्सव का उल्लास, वंदनवारों का शृंगार, भजन का शक्तिभाव, हवन की आस्था, आरती का शंखनाद गूंजा…उसी इलाके में आज मातम की चीत्कार… हादसे की दहशत… मौतों का विलाप… शवों की कतार नजर […]

खरी-खरी

बचपन की गलती पचपन तक सजा देती है… जिंदगी है, यह तो हर घड़ी इम्तिहान लेती है…

जब नादानी परेशानी बन जाती है…गलतियां माफ नहीं हो पाती हैं…फिर अहंकार की सजा तो बचपन से लेकर पचपन की उम्र में भी पीछा नहीं छोड़ पाती है…फिर वो रावण हो या राहुल…इम्तिहान की घड़ी तो सबके जीवन में आती है…दस साल पहले सरकार ने जो अध्यादेश बनाया… भविष्य को सोचकर जिसे ढाल बनाया…स्वयं पर […]