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बृजभूषण के बहाने केंद्र को घेरने का चक्रव्यूह हुआ व्यर्थ, अब क्या करेगा विपक्ष?

– डॉ. मयंक चतुर्वेदी

एक खबर आई और देखते ही देखते सब कुछ बदल गया। हमलावर विपक्ष के हाथ से रेत की तरह मुद्दा फिसल गया। भाजपा के विरोधियों ने केंद्र की मोदी सरकार को बृजभूषण के बहाने घेरने के लिए झूठ का कितना बड़ा महल खड़ा किया, वह अब सभी के सामने आ गया है। दावे इतने किए गए कि पहलवान तो पहलवान कई राजनीतिक पार्टियां, अपने को किसान संगठन कहनेवाले अनेक दल मुद्दे को पकड़कर भागने की दौड़ में लग गए थे। देखें, आखिर जीतता कौन है ! इस पूरे प्रकरण की शुरुआत इस साल 18 जनवरी को हुई थी, जब देश के नामी रेसलर बंजरग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचे और भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर तानाशाही करने एवं भेदभाव के आरोप लगाए। उस समय वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीत चुकी विनेश फोगाट को पूरे देश ने रोते हुए देखा था। इन लोगों के साथ उन तमाम मोदी विरोधी आन्दोलन जीवियों को भी देखा गया था, जोकि हर उस आन्दोलन में दिखाई देते रहे हैं जो किसी न किसी रूप में केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या भाजपा के विरोध में किए गए ।

विनेश फोगाट ने आरोप लगाया, बृजभूषण सिंह और कोच महिला पहलवानों का यौन शोषण करते हैं। जब हम इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं तो हमें ये धमकाते हैं। उन्हें खेल के दौरान पर्याप्त सुविधाएं नहीं दी जाती। यहां तक कि ओलंपिक में खिलाड़ियों को फिजियो तक नहीं मिलता है। जिस नाबालिग पहलवान को आगे कर बृजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था, जिसके लिए देश की महान खिलाड़ी भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष “क्वीन ऑफ ट्रैक एंड फील्ड” पीटी उषा से जंतर मंतर पर पहलवानों के समर्थकों ने बदतमीजी, धक्का-मुक्की की। यहां तक कि पहलवानों की एक समर्थक महिला ने उन पर थप्पड़ तक चला दिया, जैसा की मीडिया रिपोर्ट्स में आया भी । जिसके बाद उनकी डबडबाई आंखों वाली तस्वीरें देश और दुनिया ने भी देखीं ।


फिर शुरू होता हुआ दिखा जंतर मंतर पर एक के बाद एक विपक्षी नेताओं का जमावड़ा । कभी खाप पंचायतों को तो कभी देशद्रोही तत्वों को जंतर मंतर पर देखा गया। ”मोदी तेरी कब्र खुदेगी, हमें चाहिए आजादी” जैसे नारे भी लगे । यहां से केंद्र को परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई और खाप पंचायतों ने दिल्ली को ट्रैक्टरों से पाट देने की धमकी दी। प्रियंका गांधी के बहाने कांग्रेस, आप जैसी राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे को भुनाने के लिए सबसे आगे दिखीं। प्रियंका गांधी की अपील आई कि पहलवानों का साथ दें । इसी बीच धरना स्थल जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भी खिलाड़ियों का समर्थन किया। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने खुलकर केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “हमारे पहलवानों को पीटा गया और प्रताड़ित किया गया। मैंने पहलवानों से बात की और उन्हें अपना समर्थन दिया, हम उनके साथ हैं। ” ममता बनर्जी ने पहलवानों के प्रदर्शन को लेकर केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। कांग्रेस नेता और हरियाणा से राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी पहलवानों में सबसे आगे वाली पंक्ति में दिखे।

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ऐसे में भला कैसे पीछे रहनेवाली थीं, वह भी इस मुद्दे में कूद गईं। उन्होंने इस प्रकरण में लापरवाही बरतने के आरोप में दोषी पुलिस अफसरों तक पर एफआईआर करने की सिफारिश भेज दी। किसान नेता राकेश टिकैत ने तो दो जून को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में खाप की बैठक के बाद ऐलान ही कर दिया था कि ”केंद्र सरकार के पास नौ जून तक का समय है। हम बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी से कम पर कोई समझौता नहीं करेंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तो हम नौ जून को जंतर-मंतर जाएँगे और देश भर में पंचायत करेंगे। पहलवानों पर लगे मुकदमे वापस हों और बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी हो।” इस आन्दोलन को शशि थरूर का भी साथ मिला और न जानें कितने दिग्गज नेताओं का साथ मिला है कि उसके लिए लिखने के शब्द भी कम हैं। इस तरह से वे सब कुछ तरह-तरह के प्रयास किए गए कि कैसे हम मोदी सरकार को घेर सकते हैं और उस पर दबाव बना सकते हैं। किंतु अब क्या ? इस पूरे प्रकरण की हवा निकल गई है।

बृजभूषण शरण सिंह को लेकर याद आता है वह समय,जब उन पर ये आरोप लगाए जा रहे थे, तब उन्होंने साफ कर दिया था कि अगर ये आरोप साबित हो गए तो वो फांसी पर लटकने को तैयार हैं। उन्होंने खुद पर लगे सभी आरोपों का खंडन किया था और आज उनकी बात सत्य साबित हुई है। वस्तुत: बृजभूषण शरण सिंह साल 2011 से ही भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं। वह पहलवानों को समर्थन दे रहे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंदर हुड्डा को भी एक अध्यक्ष पद के चुनाव में हरा चुके हैं। उन्होंने भारतीय कुश्ती संघ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दिलाई है।

आखिर फिर क्या मामला था जो उनका इतना विरोध किया गया? देखा जाए तो इसमें गहरी राजनीति छिपी हुई है। कुश्ती संघ के नियम कहते हैं कि कोई व्यक्ति अधिकतम तीन बार अध्यक्ष रह सकता है। जोकि बृजभूषण सिंह पूरे कर चुके हैं। अब भले ही वे महासंघ में अध्यक्ष नहीं बने किंतु उनके दबदबे को देखते हुए उनका कोई समर्थक ही अध्यक्ष बनेगा, जैसा कि सबसे अधिक प्रबल संभावना है। इसलिए उनके विरोधी चाहते थे कि किसी भी तरह से उनकी गिरफ्तारी हो जाए । कुश्ती संघ के अध्यक्ष का चुनाव होते वक्त वे जब सामने मौजूद ही नहीं रहेंगे तो स्वभाविक तौर पर चुनाव पर उनका प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ेगा । लेकिन अब उस बेटी के पिता ने ही आगे आकर पूरे मुद्दे की हवा निकाल दी है, जिसने कि बृजभूषण शरण सिंह पर आरोप लगाए थे। ऐसे में अब पहलवानों के इस आन्दोलन का कोई अर्थ नहीं रह जाता है।

नाबालिग पहलवान के पिता ने बता दिया है कि उसने डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के खिलाफ यौन उत्पीड़न की झूठी शिकायत दर्ज कराई थी क्योंकि वह अपनी बेटी के साथ हुई नाइंसाफी से नाराज था। इस पिता ने कहा है कि सरकार ने पिछले साल मेरी बेटी की हार (एशियाई अंडर 17 चैम्पियनशिप ट्रायल) की निष्पक्ष जांच का वादा किया है। मेरा भी फर्ज बनता है कि अपनी गलती सुधारूं। इस पिता ने बता दिया है कि कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के प्रति उनके मन में कड़वाहट की शुरुआत लखनऊ में 2022 में एशियाई अंडर 17 चैम्पियनशिप के ट्रायल से हुई थी, जिसमें नाबालिग लड़की फाइनल में हारकर भारतीय टीम में जगह नहीं बना सकी थी। उन्होंने रैफरी के फैसले के लिये बृजभूषण को दोषी मान लिया था । इसलिए बदले की भावना से भर गया था, मैंने बदला लेने का फैसला किया था।

चलो, इस पिता की सच्चाई अब सबके सामने आ चुकी है । फिर भी आप उम्मीद रख सकते हैं कि यह मोदी सरकार है, जो जांच बृजभूषण के खिलाफ शुरू हुई है वह अपने परिणाम तक अवश्य पहुंचेगी। उन पर जो एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप है। इसको लेकर दिल्ली पुलिस ने सिंह के खिलाफ पॉक्सो एक्ट सहित दो एफआईआर दर्ज की हैं। अब इस नबालिग खिलाड़ी के पिता के बयान सामने आने के बाद आगे इस मामले में पॉक्सो एक्ट का प्रकरण समाप्त हो जाएगा, किंतु फिर भी छह महिला पहलवानों के आरोप बरकरार हैं। जैसा कि खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रदर्शनकारी पहलवानों के साथ अपनी मुलाकात में कहा भी था कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल होगी। दिल्ली पुलिस पहलवानों के खिलाफ 28 मई को दर्ज एफआईआर भी वापस लेगी। वह तो होगा ही। मोदी सरकार में न्याय मिलता है अभी तक ये दिखता आया है। उम्मीद रखें इस खुलासे के बाद इस प्रकरण में जिन्हें भी आपत्ति है, उन्हें भी न्याय जरूर मिलेगा, लेकिन अब जो नहीं हो पाएगा, वह है इस मुद्दे पर राजनीति ।

(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

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