पंचकूला। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) प्लाट आवंटन मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Former Haryana Chief Minister Bhupendra Singh Hooda) को सीबीआई कोर्ट (CBI Court) से बड़ा झटका लगा है। पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई कोर्ट(CBI Court) ने पूर्व मुख्यमंत्री (Former Chief Minister) पर एजेएल प्लाट आवंटन मामले में आरोप तय कर दिए हैं। सीबीआई कोर्ट (CBI Court) ने पूर्व सीएम पर आईपीसी की धारा 420, 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 के अंतर्गत आरोप तय कर दिए हैं। सीबीआई कोर्ट द्वारा आरोप तय करने के साथ ही अब 7 मई से इस मामले में मुख्य ट्रायल शुरू हो जाएगा।
सीबीआई कोर्ट ने एजेएल प्लाट आवंटन मामले में बचाव पक्ष द्वारा लगाई गई डिस्चार्ज याचिका को खारिज कर दिया है। पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में इस मामले में मुख्य आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पेश हुए थे। एजेएल प्लाट आवंटन मामले के दूसरे मुख्य आरोपी रहे एजेएल हाउस के चेयरमैन मोतीलाल वोरा की पहले ही मौत हो चुकी है। अब इस मामले में सीबीआई कोर्ट में गवाहों के बयानों का सिलसिला शुरू होगा।
यह है मामला
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप है कि उन्होंने 64.93 करोड़ रुपये का प्लाट एजेएल को 69 लाख 39 हजार रुपये में आवंटित करवा दिया। पंचकूला सेक्टर-6 स्थित सी-17 नंबर एजेएल को आवंटित किया गया था। 2018 में ईडी ने इसे कुर्क कर लिया था। कथित तौर पर नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा संचालित किया जाने वाला एजेएल ग्रुप नेशनल हेराल्ड अखबार निकालता था।
ईडी की जांच में पाया गया कि हुड्डा ने मुख्यमंत्री पद पर रहने के दौरान अपने पद का दुरुपयोग कर यह प्लाट नए सिरे से एजेएल को 1982 की दर (91 रुपये प्रति वर्ग मीटर) और ब्याज के साथ फर्जी तरीके से आवंटित कर दिया।
दो साल में नहीं शुरू हुआ था निर्माण
24 अगस्त 1982 को पंचकूला सेक्टर-6 में 3360 वर्गमीटर का प्लॉट नंबर सी-17 तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल ने एजेएल प्रकाशन समूह के हिंदी अखबार नवजीवन को आवंटित किया था। कंपनी को छह माह में निर्माण शुरू करके दो वर्ष में काम पूरा करना था, वह 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई। इसके बाद 30 अक्तूबर 1992 को एचएसवीपी ने आवंटन रद्द करके प्लाट को वापस ले लिया। 14 मार्च 1998 को एजेएल की ओर से आबिद हुसैन ने चेयरमैन हुडा को प्लाट आवंटन की बहाली के लिए अपील की।
14 मई 2005 को एचएसवीपी के चेयरमैन ने अफसरों को एजेएल कंपनी के प्लाट आवंटन की बहाली की संभावनाएं तलाशने को कहा, पर कानून विभाग ने आवंटन बहाली के लिए साफ तौर पर इंकार कर दिया। 18 अगस्त 1995 को नए आवंटन के लिए आवेदन मांगे गए। इसमें एजेएल कंपनी को आवेदन करने की छूट दी गई। 28 अगस्त 2005 को एचएसवीपी ने एजेएल को ही 1982 की मूल दर पर प्लाट आवंटित कर दिया। इसके साथ ही साथ ही कंपनी को छह माह में निर्माण शुरू करके एक साल में काम पूरा करने को भी कहा। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया।