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हमास के हाथ लगे केमिकल हथियार! इजराइल ने किया बड़ा दावा, जानें कितने खतरनाक होते हैं ये वीपन्स

नई दिल्ली। इजराइल और हमास के बीच जोरदार संघर्ष जारी है। इजराइल ने गाजा पट्टी पर जोरदार हमले किए हैं। उधर, हमास और लेबनान स्थित आतंकी संगठन हिजबुल्ला और यमन के हूती विद्रोही लगातार इजराइल पर हमला कर रहे हैं। इसी बीच इजराइल ने एक सनसनीखेज दावा किया है। इजराइल के राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग ने दावा किया है कि हमास के जिन आतंकियों ने 7 अक्टूबर को म्यूजिक फेस्टिवल पर हमला किया था, उन्हें केमिकल हथियार बनाने के निर्देश दिए गए थे।

इजराइली सेना के अनुसार किबुत्ज के म्यूजिक फेस्टिवल में अटैक करने वाले कुछ आतंकी मारे गए थे। उन आतंकियों की लाशों को जब बारीकी से परीक्षण किया गया, तो आतंकियों के पास से केमिकल हथियार बनाने का सामान बरामद हुआ। इसे देखकर इजराइली सेना के होश उड़ गए। आतंकियों से मिले सामान में साइनाइड भी शामिल है।

अलकायदा से क्या है केमिकल हथियारों का संबंध?
इजराइली राष्ट्रपति का यह दावा बेहद चौंकाने वाला है। क्योंकि जब भी आतंकियों के हाथ खतरनाक हथियार लगे हैं, तब उसका परिणाम बेहद बुरा ही रहा है। इजराइली राष्ट्रपति ने एक और बड़ा खुलासा किया है जो हैरान करने वाला है। इजराइली राष्ट्रपति ने खुलासा किया कि आतंकियों की लाशों के सूक्ष्म परीक्षण के दौरान जो केमिकल हथियार बनाने का सामान बरामद हुआ, उसका संबंध खतरनाक आतंकी संगठन अलकायदा से है।


इजरायली राष्ट्रपति ने इस दावे को सिद्ध करने के लिए कई कागज भी मीडिया को दिखाए हैं। ऐसा नहीं है कि पहली बार आतंकियों के हाथ केमिकल हथियार लगे हैं। इससे पहले ISIS से लेकर अलकायदा तक केमिकल हथियार उपयोग कर चुके हैं। अलकायदा सुप्रीमो ओसामा बिन लादेन ने तो अपने कुत्तों पर केमिकल हथियारों का ट्रायल किया था। लादेन के चौथे बेटे उमर ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने पिता के साथ अपने संबंधों पर खुलकर बात की थी।

कैसे काम करते हैं केमिकल हथियार?
केमिकल हथियार गैस या लिक्विड का एक खतरनाक ​मिश्रण होते हैं। इनमें बड़ी मात्रा में तबाही मचाने की क्षमता होती है। ये हथियार मनुष्यों के अलावा जानवरों और पक्षियों को भी गंभीर रूप से बीमार कर देते हैं। सबसे वीभत्स चेहरा इन केमिकल वीपन्स का यह है कि इसके उपयोग के बाद लोगों की मौत तड़प तड़पकर होती है।

पहली बार प्रथम विश्वयुद्ध में हुआ था ऐसे हथियारों का उपयोग
पहली बार रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल प्रथम विश्व युद्ध (1914 से 1918) में हुआ था। तब जंग में दोनों पक्षों को गंभीर नुकसान पहुंचाने के लिए दुम घोंटने वाली क्लोरीन फॉस्जीन, त्वचा पर जानलेवा जलन पैदा करने वाली मस्टर्ड गैस का इस्तेमाल किया गया था। उस समय इन खतरनाक हथियारों की वजह से एक लाख से ज्यादा मौतें हुई थीं।

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