बीजिंग । चीन (China) में राष्ट्रपति शी जिनपिंग (President Xi Jinping) ने सिचुआन प्रांत (Sichuan province) से भारत (India) के अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के नजदीक होकर तिब्बत (Tibet) तक बनने वाली रेललाइन पर काम तेजी से पूरा करने का निर्देश दिया है। तिब्बत को शेष चीन से जोड़ने वाला यह दूसरा रेलमार्ग होगा। भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद के मध्य इस रेलमार्ग को तैयार करने का फैसला और अब इसे तेजी से पूरा करने की मंशा के खास मायने हैं।
सिचुआन से तिब्बत तक का प्रस्तावित रेलमार्ग क्विंझाई-तिब्बत रेलमार्ग के बाद अपनी तरह का दूसरा रेल रूट होगा, जो चीन से तिब्बत को जोड़ेगा। पहले से जारी रेलमार्ग की तरह प्रस्तावित रेलमार्ग भी दुनिया के सबसे ऊंचाई वाले रेलमार्गो में से एक होगा। इस पर कार्य पूरा करना चुनौतीपूर्ण है। सिचुआन-तिब्बत रेलमार्ग चेंगडू से शुरू होगा और यान, कामडो होते हुए ल्हासा तक जाएगा।
चेंगडू से ल्हासा की यात्रा को 48 घंटे से कम करके 13 घंटे कर देगा। इस मार्ग पर करीब 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलेंगी। इस परियोजना पर 47.8 अरब डॉलर (3.54 लाख करोड़ रुपये) की लागत आने का अनुमान है। यह रेलमार्ग लिंझी से होकर गुजरेगा, जो अरुणाचल प्रदेश के नजदीक का इलाका है।
चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है जिसे भारत कड़ाई से नकारता है। इस रेलमार्ग के जरिये चीन भारतीय सीमा के और नजदीक पहुंचना चाहता है जिससे अशांति की स्थिति में उसे लाभ मिल सके। अरुणाचल प्रदेश के नजदीक स्थित लिंझी में चीन ने एयरपोर्ट भी बना रखा है, जो हिमालय क्षेत्र में मौजूद चीन के पांच हवाई अड्डों में से एक है। इन हवाई अड्डों का चीन जरूरत पड़ने पर सैन्य इस्तेमाल भी कर सकता है।
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