न्यूयॉर्क। चीन (Chine) का एक विशाल 23 टन वजनी रॉकेट (Rocket) अंतरिक्ष में बेकाबू (Uncontroll) होकर शनिवार दोपहर 12:45 बजे हिंद व प्रशांत महासागर के ऊपर धरती पर गिर गया। अमेरिकी व चीनी अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। ‘लॉन्ग मार्च 5बी’ रॉकेट 24 जुलाई को अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया था।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रबंधक बिल नेल्सन ने जानकारी साझा न करने को लेकर चीन की आलोचना की है। नेल्सन ने कहा कि अगर चीन की तरफ से रॉकेट को लेकर जानकारी दी जाती, तो उसके संभावित मलबे के जोखिम भरे प्रभाव का पता चलता। चीन का यह रॉकेट एक बड़ा खतरा साबित हो सकता था। दरअसल, चीन ने किसी को भी इस बारे में पहले से सूचित नहीं किया था।
5बी का उद्देश्य लैब मॉड्यूल को उस अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचाना था, जिसका निर्माण चीन कर रहा है। हालांकि, रॉकेट ने लैब मॉड्यूल को जरूर चीन के निर्माणाधीन स्पेस स्टेशन तक पहुंचा दिया, लेकिन उसके बाद ये बेकाबू हो गया। चीन की स्पेस एजेंसी ने कहा कि लॉन्ग मार्च 5बी के अधिकतर हिस्से वायुमंडल में ही जल गए थे। रॉकेट के मलबे ने प्रशांत महासागर के सुलु सागर के ऊपर पृथ्वी में दोबारा प्रवेश किया।
सोशल मीडिया पर बना चर्चा का विषय
सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा थी। जैसे ही रॉकेट का मलबा गिरते हुए दिखा, लोगों ने इसके वीडियो बनाए और शेयर किए। कई यूजर्स ने इसे उल्कापिंड की बारिश जैसा बताया। लोगों ने कहा कि आसमान में तेज रोशनी दिखाई दी। आकाश पूरी तरह से लाल, नीले और पीले रंग की रोशनी से भर गया था। ऐसा लग रहा था कि ब्लैक कैनवस को किसी ने रंगों से भर दिया हो।
पहले भी हो चुका है हादसा पिछले साल भी हुआ था हादसा
पिछले साल मई महीने में भी चीन का रॉकेट बेकाबू हो गया था, जो हिंद महासागर में मालदीव की सीमा के पास समुद्र में गिरा था और जिस जगह वो रॉकेट गिरा था, उससे महज एक किलोमीटर दूर एक यात्री जहाज गुजर रहा था। मई, 2020 में इसी तरह के एक मलबे ने आइवरी कोस्ट पर कई संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था।
चीन ने दी सफाई
चीनी सरकार ने कहा था कि रॉकेट के धरती के लौटने से किसी को कोई भी खतरा नहीं होगा। क्योंकि इसके समुद्र में गिरने की संभावना है। हालांकि, मलबे के रिहायशी इलाके पर गिरने की संभावना भी थी।
मलबे में ऐसे तब्दील होते हैं बड़े-बड़े रॉकेट
धरती से लॉन्च किए गए सैटेलाइट और रॉकेट अंतरिक्ष में जाकर एक समय के बाद मलबा बन जाते हैं। ये मलबा न सिर्फ सक्त्रिस्य उपग्रहों और स्पेस मिशन के लिए घातक होता है बल्कि धरतीवसियों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है।
