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दिल्ली में सर्द हवाओं के कारण आज दर्ज हुआ सीजन का सबसे कम तापमान


नई दिल्‍ली। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के ऊंचाई वाले कुछ इलाकों में बर्फबारी के बाद उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में पारा लुढ़क गया है। दिल्ली और एनसीआर सहित अन्य जगहों पर न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार 22 नवंबर को ठंड और बढ़ेगी। इसके बाद तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जाएगी। शुक्रवार सुबह दिल्‍ली का न्‍यूनतम तापमान 7.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो इस सीजन का सबसे कम तापमान है। इसके अलावा दिल्‍ली की हवा अब भी ‘खराब’ बनी हुई है। कोहरे के साथ-साथ आसमान में धुंध छाई रह रही है।

पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी के बाद चलने वाली ठंडी हवाएं मैदानी इलाकों में ठंड बढ़ा रही हैं। सुबह के समय कोहरा छाया रहेगा और 5 से सात किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हवाएं चलने का अनुमान है। बताया जा रहा है इसके बाद भी ठंड का ग्राफ धीरे धीरे बढ़ता जाएगा और 30 नवंबर तक अच्छी ठंड पड़ने लगेगी। अभी का हाल देखा जाए तो अधिकांश लोगों ने दिन में गर्म कपड़ों का इस्तेमाल शुरू नहीं किया है।

राजधानी में हवा की क्‍वालिटी पिछले हफ्ते के मुकाबले बेहतर हुई है, मगर यह अब भी ‘खराब’ कैटेगरी में है। आरके पुरम में एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स 302 रहा जो ‘बहुत खराब’ की श्रेणी में आता है। श्री अरबिंदो मार्ग पर AQI 291 दर्ज हुआ। आसमान में धुंध छाई है और सूरज के दर्शन बड़ी मुश्किल से हो रहे हैं।

इस बार दिल्ली के अधिकांश हॉट स्पॉट में प्रदूषण पिछले साल की तुलना में अधिक रहा है। अक्टूबर में 13 में 11 हॉट स्पॉट पिछले साल से अधिक प्रदूषित रहे तो वहीं नवंबर के 15 दिनों में 12 हॉट स्पॉट अधिक प्रदूषित रहे। एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस बार पराली जलाने का सिलसिला काफी पहले शुरू हो गया था। वहीं बारिश भी राजधानी में जल्दी बंद हो गई। जिसकी वजह से प्रदूषण अधिक रहा है। डीपीसीसी और सीपीसीबी ने राजधानी में पीएम 2.5 के स्तर के आधार पर 13 हॉट स्पॉट निर्धारित किए हैं। यह राजधानी के अन्य एरिया से अधिक प्रदूषित है। अक्टूबर की बात करें तो इस साल महज आर के पुरम और द्वारका में पिछले साल की तुलना में प्रदूषण स्तर कुछ कम रहा। आरके पुरम में इस बार अक्टूबर में एक्यूआई 267 रहा, जो पिछले साल 201 था। वहीं, अक्टूबर में सबसे अधिक प्रदूषण विवेक विहार में बढ़ा, जहां एक्यूआई औसत 227 रहा। जबकि पिछले साल यह 197 रहा था।

वहीं नवंबर के पंद्रह दिन का ट्रेंड भी इस साल कुछ अच्छा नहीं रहा है। 13 में से 12 हॉट स्पॉट में प्रदूषण इस दौरान बढ़ गया है। महज रोहिणी में ही प्रदूषण स्तर में कमी दर्ज की गई है। इस साल नवंबर में रोहिणी का औसत एक्यूआई 261 रहा जो पिछले साल 275 रहा था। सीपीसीबी के एक अधिकारी ने बताया कि इस बार राजधानी को प्रदूषित करने में बाहरी कारणों और मौसम ने बड़ी भूमिका निभाई है। पराली जलाने का सिलसिला इस बार 10 से 15 दिन पहले शुरू हो गया था। वहीं इस बार बारिश 8 सितंबर के बाद नहीं हुई जबकि पिछले साल अक्टूबर में भी बारिश हुई थी। इसी वजह से गंभीर प्रदूषण की शुरूआत भी राजधानी में इस बार जल्दी हुई है।

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