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    राजग के पक्ष में अंतरात्मा की आवाज

  • July 10, 2022

    – डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

    राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति निर्वाचित होना तय है। ओडिशा और आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टियों ने उनके समर्थन की घोषणा की है। इससे द्रौपदी मुर्मू प्रथम वरीयता मतों के आधार पर ही निर्वाचित हो जाएंगी। सभी समर्थक पार्टियां एकजुट हैं। दूसरी तरफ विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। संख्याबल और विचारधारा दोनों के आधार पर वह बहुत पीछे रह गए हैं। वह विपक्ष की पहली पसंद भी नहीं थे। सबसे पहले राष्ट्रपति पद के लिए शरद पवार का नाम आगे किया गया था। पराजय को सुनिश्चित मानते हुए उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था। इसके बाद फारुख अब्दुल्ला के समक्ष पेशकश की गई। वह भी अपनी फजीहत के लिए तैयार नहीं हुए। अंत में यशवंत सिन्हा ही पकड़ में आए। वह भी बहुत अनुभवी हैं। अपनी पराजय का उन्हें भी अनुमान होगा। लेकिन पिछले आठ वर्ष से वह नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध एक प्रकार की कुंठा से ग्रसित हैं। इसके लिए वह इधर-उधर भटक रहे थे।

    तृणमूल कांग्रेस खेमे में पहुंचना इसी भटकाव का ही परिणाम था। ममता बनर्जी के निर्देश पर वह राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बन गए। उन्होंने इसे नरेन्द्र मोदी पर हमला करने का एक अवसर माना। वह विचारधारा की बात कर रहे हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में अनेक पाले बदले हैं। अब वह किस विचारधारा में है, यह भी स्पष्ट होना चाहिए। विपक्षी दलों में भी आपसी मतभेद कम नहीं है। ममता बनर्जी ने तो यशवंत सिन्हा को मझधार में छोड़ दिया है। उन्होंने कहा है कि द्रौपदी मुर्मू के उम्मीदवार होने का पहले पता होता तो विपक्ष अपना उम्मीदवार नहीं उतारता। इस तरह ममता बनर्जी ने यह स्वीकार कर लिया है कि द्रौपदी मुर्मू अधिक उपयुक्त उम्मीदवार हैं।

    उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में राष्ट्रपति चुनाव से संबंधित दो दिलचस्प दृश्य दिखाई दिए। राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में भारी उत्साह रहा। विधानसभा चुनाव और उपचुनाव की सफलता और सौ दिन की उपलब्धियों का भी उत्साह इसमें परिलक्षित था। दूसरी तरफ विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की लखनऊ यात्रा उदासी में बीत गई। विपक्षी खेमे में विफलता और गठबंधन में दरार के चलते निराशा है। यशवंत सिन्हा को ममता बनर्जी की पहल से उम्मीदवार बनाया गया था। लेकिन उन्होंने अब हाथ खींच लिया है। हो सकता है कि विपक्षी मतदाता भी अंतरात्मा की आवाज पर द्रौपदी मुर्मू को वोट करें। राष्ट्रपति निर्वाचन मंडल में सर्वाधिक वोट होने के कारण उत्तर प्रदेश का विशेष महत्व है। यह संयोग है कि करीब चौबीस घंटे के अंतराल में द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा लखनऊ यात्रा प्रवास पर थे। वस्तुतः यहां से द्रौपदी मुर्मू की विजय का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। विपक्ष ने नकारात्मक राजनीति का अमल किया है। अन्यथा इस चुनाव की आवश्यकता ही नहीं थी। देश सर्वोच्च पद पर वनवासी समुदाय की सदस्य को देखना चाहता है। विपक्ष ने केवल निर्विरोध निर्वाचन की संभावना को समाप्त किया है। इससे विपक्ष की प्रतिष्ठा कम हुई है। राष्ट्रपति चुनाव में आमजन की कोई भूमिका नहीं होती है। बावजूद इसके द्रौपदी मुर्मू के प्रति आमजन का समर्थन दिखाई दे रहा है।

    उनके लखनऊ आगमन पर लोगों ने उत्साह प्रदर्शित किया। लोक कलाकारों ने परम्परागत ढंग से उनका स्वागत अभिनन्दन किया। प्रदेश सरकार में मंत्री असीम अरुण भी अपनी प्रसन्नता रोक नहीं सके। उन्होंने भी लोक कलाकारों के साथ ढोल बजाया। अनुच्छेद 52 के अनुसार भारत का एक राष्ट्रपति होगा।अनुच्छेद 53 में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति निर्वाचन नियम, 1974 के उपबंधों द्वारा संपूरित किया गया है, एवं और नियमों के अधीन उक्त अधिनियम राष्ट्रपति के पद के निर्वाचन के आयोजन के सभी पहलुओं को विनियमित करने वाला एक संपूर्ण नियम संग्रह का निर्माण करता है।

    अनुच्छेद 54 के अनुसार राष्ट्रपति का चयन एक निर्वाचक मंडल करता है। उसमे संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य एवं राज्यों की विधानसभाओं एवं साथ ही राष्ट्रीय राजधानी, दिल्ली क्षेत्र तथा संघ शासित क्षेत्र,पुदुचेरी के निर्वाचित सदस्य सम्मिलित होते हैं। संविधान के अनुच्छेद 55 (3) के अनुसार, राष्ट्रपतीय निर्वाचन एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुरूप किया जाएगा और ऐसे निर्वाचन में गोपनीय मतपत्रों द्वारा मतदान किया जाएगा। अनुच्छेद 58 के तहत, एक उम्मीदवार को राष्ट्रपति के पद का चुनाव लड़ने के लिए अनिवार्य रूप भारत का नागरिक होना चाहिए, 35 वर्ष की आयु पूरी करनी चाहिए, लोकसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए। इसके साथ ही भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन या किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के अधीन किसी भी उक्त सरकार के नियंत्रण के अधीन लाभ का कोई पद धारण नहीं किया होना चाहिए।

    (लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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