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उप्र की कानून व्यवस्था पर JNU में विमर्श, जीरो टॉलरेंस नीति की हुई सराहना

लखनऊ/नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था (Uttar Pradesh law and order) को लेकर नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) (Jawaharlal Nehru University (JNU)) में एक विमर्श हुआ, जिसमें योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति (Zero tolerance policy of Yogi government) की जमकर सराहना हुई। कार्यक्रम में मौजूद वक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी मजबूत इच्छा शक्ति से प्रदेश में कानून का राज्य स्थापित किया है।

‘आइए चलें यूपी की ओर’ कार्यक्रम श्रृंखला की पहली कड़ी में आयोजित विमर्श कार्यक्रम का विषय था, ‘उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था-अतीत की नजर से वर्तमान का आंकलन।’ पिछले पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के कामकाज का निष्पक्ष आकलन करने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम जेएनयू की प्रोफेसर पूनम कुमारी द्वारा आयोजित किया गया था।

कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सिद्धार्थ मिश्रा और सीटीसी एलएलपी, मुंबई के फाउंडर डायरेक्टर सौरभ कुमार अखौरी ने अपने वक्तव्य दिए, जबकि एनसीईआरटी के प्रोफेसर लालचंद राम ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

समाज में शांति और सुरक्षा पर जोर देते हुए संपूर्ण कल्याण को व्यक्ति के सर्वांगीण विकास से जोड़ते हुए सिद्धार्थ मिश्रा ने एक महत्वपूर्ण प्रश्न ‘व्यवस्था महत्वपूर्ण क्यों ?’ को उठाते हुए अपने वक्तव्य का आरम्भ किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रकृति में भी व्यवस्था मौजूद है और अनुशासित व्यक्ति तथा कानून व्यवस्था समाज की ‘मौलिक आवश्यकता’ है ।


प्रोफेसर मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बात ‘मैं प्रधानमंत्री नहीं प्रधानसेवक हूं’ को अपनी चर्चा में शामिल करते हुए यूपी के विशेष संदर्भ में वर्तमान सरकार की कानून व्यवस्था की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और तुलनात्मक रूप से कानून व्यवस्था के लिए पिछली सरकारों में प्रतिबद्धता की कमी तथा उदासीनता को कानून व्यवस्था में होने वाली ढिलाई का मुख्य कारण बताया। अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस और महिला सुरक्षा पर जोर देते हुए 1090 और पिंक बूथ की शुरुआत, अवैध स्लॉटर हाउस पर कार्रवाई, अनुसूचित जाति, जनजातियों को न्याय दिलाने वाले कानून के प्रति योगी सरकार के महत्वपूर्ण कदमों को भी रेखांकित किया।

कार्यक्रम के दूसरे हिस्से में सौरभ अखौरी द्वारा तुलसी के रामराज में प्रजा और शासक की भूमिका को याद दिलाती पंक्तियां ‘जासु राज प्रजा दुखारी..’ कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहीं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि शासक की दृष्टि सही और इच्छाशक्ति मजबूत हो तो प्रजा का कल्याण संभव है। उन्होंने 1986 के यूपी गैंगस्टर एक्ट का हवाला देते हुए यह बताया कि आतंक, हिंसा, फिरौती, राज्य की शांति और संपत्ति नष्ट करने की कोशिश इन सभी मुद्दों पर पहले भी कानून थे, किंतु इच्छाशक्ति की कमी के चलते पहले की सरकारें कानून व्यवस्था लाने में उतनी सफल न हो सकीं जितनी की यूपी में वर्तमान योगी सरकार। उन्होंने कहा कि जनता की मौलिक जरूरतों को समझते हुए कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने के लिए योगी सरकार द्वारा उठाये जाने वाले कदम प्रशंसनीय हैं।

विमर्श कार्यक्रम के अंतिम हिस्से में जिज्ञासु छात्र-छात्राओं द्वारा वक्ताओं से सवाल भी पूछे गए। अंत में संयोजक डॉ. पूनम कुमारी द्वारा कल्याण मंत्र ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ के मंत्रोच्चारण द्वारा कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में डॉ. शिवानी सक्सेना तकनीकी सहायक रहीं। कार्यक्रम की पहली श्रृंखला की रिपोर्टिंग प्रतीक्षा श्रीवास्तव ने की। डॉ. शिवा शुक्ला, संजीव निश्ट्टल, राहुल बरनवाल, कुलदीप उपाध्याय, अंकेश भाटी कुमकुम पांडे, धीरज कुमार सिंह सहायक शोधार्थी रहे। (एजेंसी, हि.स.)

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