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42 करोड़ के चर्चित आबकारी चालान घोटाले में ईडी ने मारे छापे

  • April 28, 2025

    • सुबह गाडिय़ों में भरकर ठेकेदारों के निवासों पर पहुंचे सुरक्षा गार्डों के साथ अफसर, 8 साल पहले उजागर हुआ था घोटाला, अभी तक आधी वसूली ही हो सकी

    इंदौर, राजेश ज्वेल। 8 साल पहले इंदौर के आबकारी अफसरों की मिलीभगत से शराब चालान घोटाला हुआ था, जिसके चलते 42 करोड़ रुपए की चपत राजस्व की शासन को लगी और इसमें से आधी वसूली भी शराब ठेकेदारों से नहीं हो सकी। रावजी बाजार पुलिस में शराब ठेकेदारों सहित 14 लोगों के खिलाफ 2017 में धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज किया और जब दिल्ली के बहुचर्चित शराब घोटाले में ईडी ने कार्रवाई की तो उसके बाद इंदौर के इस आबकारी घोटाले की भी जांच ईडी ने अपने हाथ में ली और कुछ समय पूर्व ईडी ने एक पत्र भेजकर आबकारी विभाग से कुछ बिन्दुओं पर जानकारी मांगी और उसी कड़ी में आज कुछ ठेकेदारों के निवासों पर छापे भी पड़े।

    सरकारी गोदाम से शराब लेने के लिए इस्तेमाल हुए 194 बैंक चालानों में ये फर्जीवाड़ा किया गया और हजारों रुपए के बैंक चालानों को लाखों रुपए का बनाकर उतनी कीमत की शराब गोदामों से उठाकर ठेकेदारों ने दुकानों से बेच डाली। इस 42 करोड़ के आबकारी चालान घोटाले में क्राइम ब्रांच ने कुछ समय पूर्व 14 शराब ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई भी की और अधिकांश ठेकेदारों की गिरफ्तारी भी हुई, जो जेल में रहे और फिर जमानत पर छूटे। आज सुबह ईडी ने कुछ शराब ठेकेदारों के निवास पर छापे मारे। निपानिया स्थित अपोलो डीबी सिटी के भी एक टॉवर के फ्लैट नम्बर 204 में ईडी की टीम सुबह गार्डों के साथ पहुंची, जिसमें एक महिला बैंक अधिकारी भी शामिल रही। ये छापा अविनाश और विजय श्रीवास्तव के फ्लैट पर मारा गया। सुबह काफी देर तक गेट का दरवाजा नहीं खोला, फिर टॉवर के सिक्युरिटी गार्ड की सहायता से खुलवाया गया।


    फिलहाल ईडी ने इस मामले में कोई अधिकृत जानकारी नहीं दी है। मगर सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों ईडी ने आबकारी आयुक्त कार्यालय को पत्र लिखकर 5 बिन्दुओं पर जानकारी मांगी थी। शराब ठेकेदारों के साथ विभाग के अधिकारियों की भी मिलीभगत रही और उस वक्त पदस्थ रहे जिला आबकारी अधिकारी संजीव दुबे सहित 6 को निलंबित भी किया गया था, जिसमें ठेकेदार श्रीवास्तव के अलावा राकेश जायसवाल, योगेन्द्र जायसवाल, राहुल चौकसे, सूर्यप्रकाश अरोरा, प्रदीप जायसवाल, शिवहरे सहित अन्य ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की गई। लगभग एक दर्जन ऑडिटरों ने सभी चालानों की जांच की और उस वक्त 42 करोड़ की गड़बड़ी सामने आई। हालांकि बाद में यह भी चर्चा चली कि यह घोटाला 100 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है और आबकारी महकमा इसके बदले सिर्फ 20 करोड़ रुपए ही वसूल कर पाया, जिसके चलते ठेकेदारों की चल-अचल सम्पत्तियों की जब्ती और उसे नीलाम करने की भी जानकारी दी गई। ईडी द्वारा अन्य शराब ठेकेदारों के ठिकानों पर भी कार्रवाई की सूचना मिली है।

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