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Face Recognition: कर्नाटक चुनाव में EC का नया प्रयोग, इस तकनीक से होगी वोटर की पहचान

नई दिल्ली (New Delhi)। 10 मई को होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly elections 2023) से पहले सियासी सरगर्मी जोरों पर है। कांग्रेस (Congress), भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) और जेडीएस (JDS) सभी पार्टियों के नेता एक दूसरे पर तंज कसने का एक भी मौका नहीं गवा रहे हैं। वही इस चुनाव में इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (Election Commission of India) एक नए तकनीक की शुरुआत करने जा रहा है। इस तकनीक के माध्यम से चेहरे की पहचान यानी Facial Recognition की शुरुआत होगी। यह पहली कोशिश होगी, इसलिए सिर्फ एक मतदान केंद्र पर ही इसे लगाया जाएगा। अगर इस बार यह एक्सपेरिमेंट सफल होता है तो आगे के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाएगा। बता दें कि, यह मतदान केंद्र कर्नाटक मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के पास रामनरायण चेल्लाराम कॉलेज में स्थित है।

जिस मतदान केंद्र को इस तकनीक के एक्सपेरिमेंट के लिए चयनित किया गया है, वहां पर वोट डालने वाले मतदाताओं को अपने मोबाइल में एक एप्लीकेशन डाउनलोड करना होगा और मतदाता फोटो पहचान पत्र पर जो एक स्पेशल नंबर होता है, वो और मोबाइल नंबर और ऐप द्वारा जो ओटीपी आएगी, उसे इस में डालना होगा। इसके बाद उन्हें एप्लीकेशन के जरिए एक सेल्फी भी अपलोड करनी होगी।


पूरा प्रोसेस क्या है
मतदान केंद्र पर सबसे पहले मतदाता सत्यापन के लिए चेहरे की पहचान करने वाली स्कैनिंग मशीन से गुजरेंगे। उसमें यदि मतदाता की तस्वीर चुनाव आयोग के डेटाबेस से मिल जाएगी, तो उन्हें कोई दस्तावेज प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं होगी। वैसे मतदाता मतदान के लिए आगे बढ़ सकते हैं। अगर स्कैनिंग के दौरान उनकी तस्वीर चुनाव आयोग के डेटाबेस से मेल नहीं खाएगी, तो उनके लिए कुछ अलग व्यवस्था किया जाएगा ताकि उनका मतदान न छूटे।

इस नई प्रणाली से चुनाव के दौरान लंबी-लंबी कतार को कम करने में सहायता मिलेगी और धोखाधड़ी से वोट देने वाले लोगों पर भी लगाम लगेगा। इस विषय में जब कर्नाटक के विशेष चुनाव अधिकारी सूर्य सेन से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा हमने पायलट प्रोजेक्ट के तहत शिवाजी नगर में इस मतदान केंद्र की पहचान की। क्योंकि अन्य मतदान केंद्रों पर 1500 से अधिक मतदाता है, उसके तुलना में यहां सिर्फ 300 मतदाता हैं। यह सीईओ कार्यालय से नजदीकी भी है, बूथ स्तर के अधिकारी मतदाताओं के घरों में जाकर इस नई तकनीक के बारे में जानकारी दे रहे हैं, और उन्हें कन्विंस करने की कोशिश कर रहे हैं।

इसी प्रणाली से चुनाव देने की बाध्यता नहीं है
आगे इस विशेष अधिकारी ने बताया कि यह प्रणाली अनिवार्य नहीं है, जो लोग इस सुविधा का विकल्प नहीं चुनना चाहते हैं, वह पुराने तरीके से भी मत डाल सकते हैं। इस नई तकनीक वाली सुविधा के लाभ उठाने वाले मतदाताओं के लिए हम एक अलग कतार का प्रबंध किया जाएगा।

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