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सागर में 500 एकड़ से अधिक बंजर भूमि को उपजाऊ करने के साथ बनाए गए खेत तालाब

सागर। लगातार किए गए प्रयास और दृढ़ इच्छाशक्ति (Willpower) नामुमकिन प्रतीत होने वाले कार्यों को भी मुमकिन बना देती है। ऐसा ही उदाहरण सागर (example ocean) के केसली विकासखंड के कृषकों ने पेश किया है जहाँ बंजर भूमि आज उपजाऊ बन कृषकों के जीवन यापन का साधन बन गई है।
   केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा भूमिहीन गरीबों के जीवन यापन के लिए चलायी जा रही अनेक योजनाएं साकार रूप लेती नज़र आ रही हैं।सागर में भूमिहीन आदिवासियों को पहले वन अधिकार पट्टे प्रदान किए गए फिर मनरेगा की उप योजना मुख्यमंत्री जय किसान योजना के तहत बंजर एवं अन उपजाऊ भूमि को उपजाऊ बनाया गया। इसके साथ ही खेती के लिए बीज भी प्रदान किए गए ताकि वे फ़सल उग आकर अपनी आजीविका चला सकें।



   सागर के ग़रीब जनजातीय बंधुओं द्वारा की गई इस मेहनत की सराहना मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भी की और आत्मनिर्भर कृषि की ओर इसे एक बेहतर क़दम बताया है।
   कलेक्टर श्री दीपक सिंह ने बताया कि, बंजर भूमि को कृषि योग्य बनाना आसान नहीं था साथ ही आदिवासियों के पास भूमि को उपजाऊ बनाने के साधन और आवश्यक राशि भी उपलब्ध नहीं थी। अतः राज्य शासन द्वारा मुख्य मंत्री जय किसान योजना के तहत राशि प्रदान की गई और  जिले मैं पाँच सौ एकड़ से भी अधिक बंजर भूमि को कृषि योग्य बनाया गया। अकेले केसली विकासखंड में ही 3 सौ एकड़ से अधिक बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया गया है। इसके साथ ही खेत तालाब और कपिल धारा के अंतर्गत कुँए भी स्वीकृत किए गए हैं ताकि यह भूमि सिंचित हो सके। केसली विकासखंड के आदिवासी कृषकों ने बताया कि, उन्हें भूमि समतल करने के लिए प्लाऊ और ट्रैक्टर ट्रॉली के उपयोग की अनुमति भी दी गई।
   आत्मनिर्भर कृषि का यह एक बेहतर उदाहरण है, इस आत्मनिर्भर योजना के तहत गरीब  अनुसूचित जाति जनजाति के व्यक्ति आत्मनिर्भर भी बन रहे हैं।
जहाँ बंजर भूमि को न केवल कृषि योग्य बनाया गया बल्कि खेत तालाब के द्वारा भूमि को सिंचित भी किया गया। कलेक्टर श्री दीपक सिंह के निर्देश पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ इच्छित गढ़पाले एवं केसली जनपद सीईओ सुश्री पूजा जैन द्वारा इन क्षेत्रों की निरंतर मॉनिटरिंग की जा रही है।
   ज़िला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री इच्छित गड़पाले ने बताया कि, पट्टेधारियों को जो बंजर भूमि मिली थी उसे सुधारा गया और मेड़बंधन कर उसमें फसल लगाने के लिए तैयार किया गया साथ ही कृषि विभाग द्वारा बीज भी उपलब्ध कराए गये। उन्होंने बताया कि, जिले का सबसे दूरस्थ ग्राम मारोमाधो जो केसली विकासखंड के अंतर्गत आता है, के अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों को उड़द ,राहर एवं तिली के बीज कलेक्टर श्री दीपक सिंह द्वारा वितरित किए गए थे। इसी विकासखंड के दूरस्थ ग्राम मरामाधो जो कि अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति बाहुल्य ग्राम है यहाँ भी पर 250 एकड़ बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि बनाया गया।
   श्री इच्छित गड़पाले ने बताया कि, मरामाधो गांव में 138 किसानों द्वारा 250 एकड़ भूमि को उपजाऊ बनाया गया है जिसमें 80 प्रतिशत कार्य प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की मनरेगा योजना के तहत और शेष 20 प्रतिशत कार्य अत्याधिक बड़े पत्थर होने के कारण मशीनों से कराया जा रहा है।
   क्षेत्र के कृषक जनजातीय भाई बताते हैं कि, पहेली मज़दूरी ही एकमात्र साधन थी और मज़दूरी की तलाश में अधिकांश लोग पलायन भी कर जाते थे। परंतु, अब अपने ही घर में रह कर परिवार का भरण पोषण कर पाने की ख़ुशी है। वे राज्य शासन का धन्यवाद देते हैं कि उन्हें वनाधिकार पट्टे के साथ-साथ भूमि को उपजाऊ बनाने के साधन मुहैया कराए गए जिसमें अब वे कृषि के माध्यम से जीवन यापन कर पा रहे हैं।

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