ज़रा हटके देश

पहले मुकदमा, 30 पन्नों की चार्जशीट, फिर गिरफ्तारी…एक चूहे के कत्ल के आरोप में ऐसे फंसा इंसान

नई दिल्‍ली (New Delhi) । हमारे देश में चूहा मारने (rat kill) की दवा आम तौर पर मिलती है. लेकिन इसी देश में अब चूहा मारने का ना सिर्फ मुकदमा दर्ज हुआ है, बल्कि एक इंसान को गिरफ्तार भी कर लिया गया. फिर उसी चूहे का पोस्टमॉर्टम भी किया गया और अदालत में 30 पन्नों की चार्जशीट (charge sheet) भी दाखिल कर दी गई. हालांकि मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है. लेकिन अभी से इस मुकदमे पर देश की निगाहें लगी हुई हैं.

बात 24 नवंबर 2022 की है. उत्तर प्रदेश के बदायूं इलाके में एक शख्स चूहेदानी से एक जिंदा चूहा निकालता है. इसके बाद उस चूहे की पूंछ को प्लास्टिक (plastic) की डोरी से एक वजनी पत्थर के साथ बांध कर नाले में डुबोता-निकालता रहता है.

इत्तेफाक से जब वो ऐसा कर रहा था. तभी वहां से इलाके के पशु प्रेमी वीकेंद्र शर्मा गुजर रहे थे. चूहे के साथ इस क्रूरता को देखकर उन्होंने उस शख्स को रोकने की कोशिश की फिर बड़ी मुश्किल से उसके चंगुल से चूहे को छुड़ाया लेकिन अफसोस तब तक चूहे की मौत हो चुकी थी.


इस क्रूरता को लेकर वीकेंद्र ने जब उस शख्स से बात करनी चाही तो वो बिफर पड़ा. उसने कहा हम पहले भी ऐसा करते रहे हैं और आगे भी करेंगे. ये सुनकर वीकेंद्र शर्मा उस मुर्दा चूहे को उठाकर सीधे बदायूं के कोतवाली थाने जा पहुंचे.

वीकेंद्र ने पुलिसवालों से मुर्दा चूहे के साथ हुई क्रूरता के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने को कहा. ये सुनते ही थाने में मौजूद पुलिस वाले हंस पड़े, पर वीकेंद्र अड़ा रहा. बाद में पुलिसवालों को गुस्सा भी आया. उन्होंने यहां तक कहा कि क्या अब पुलिसवालों को चूहे की मौत का मुकदमा भी दर्ज करना पड़ेगा.

वीकेंद्र को पुलिसवालों से करीब तीन घंटे तक बहस करनी पड़ी. थाने में मौजूद पुलिसवालों को समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करें. फिर उनमें से किसी ने अपने आला अफसर को फोन किया और पूरी बात बताई. तब कहीं जाकर 24 नवंबर की शाम को ही चूहे की मौत को लेकर कोतवाली पुलिस ने FIR दर्ज की.

FIR दर्ज होते ही अब वीकेंद्र चूहे का पोस्टमॉर्टम (Postmortem) कराने की बात पर अड़ गया. पुलिसवाले फिर चकराए. मगर वीकेंद्र अपनी बात पर डटा रहा. आखिर थक हार कर 24 नवंबर की देर शाम को कोतवाली पुलिस का एक कांस्टेबल वीकेंद्र के साथ मुर्दा चूहे को लेकर बदायूं के पशु चिकित्सालय पहुंचा.

चौंकने की बारी अब चिकित्सालय में मौजूद डॉक्टरों की थी. जब उन्हें पूरी कहानी बताई गई. तो पहले तो उन्होंने यही कहकर टालना चाहा कि हमारे अस्पताल में रात को पोस्टमॉर्टम नहीं होता.

इस पर वीकेंद्र ने दलील दी कि अगले दिन सुबह पोस्टमॉर्टम कर दें और तब तक मुर्दा चूहे को अपनी कस्टडी में रख लें. ये सुनते ही अब पशु चिकित्सालय के डॉक्टर ने दूसरी कहानी सुनाई. डॉक्टर ने कहा कि एक तो हमारे इस अस्पताल में कभी चूहे का पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ. दूसरा हम डॉक्टरों को चूहे के बारे में नहीं पढ़ाया गया. लिहाजा आप चूहे की लाश बरेली के IVRI पशु चिकित्सालय ले जाएं.

अब चूंकि मामला दूसरे ज्यूरिडिक्शन का था. लिहाजा वीकेंद्र ने डॉक्टर से रेफर लेटर देने को कहा. डॉक्टर ने रेफर लेटर दे दिया. अब दिक्कत ये थी कि रात हो चुकी थी. पोस्टमॉर्टम अगले दिन ही होनी थी. तो इस पूरी रात में चूहे की लाश को कहां और कैसे रखा जाए?

बदायूं पशु चिकित्सालय ने लाश लेने से मना कर दिया था. पुलिस को एक चूहे की लाश माल खाने में रखने का कोई तजुर्बा ही नहीं था. उधर वीकेंद्र को डर था कि मामले की लीपापोती के लिए पुलिसवाले चूहे की लाश को कहीं फेंक सकते हैं या फिर बिल्ली के आगे डाल सकते हैं.

लिहाजा वीकेंद्र ने तय किया कि पोस्टमॉर्टम होने से पहले चूहे की लाश को वो अपने पास रखेगा. वैसे भी चूहे की मौत हुए करीब छह सात घंटा बीत चुके थे. वीकेंद्र अब मुर्दा चूहे को अपने घर ले आता है. घर लाने के बाद वो फ्रिज से खूब सारे आइसक्यूब निकालता है. फिर उन्हें एक डिब्बे में रख कर चूहे की लाश को उसी बर्फ के बीच रख देता है.

अगले दिन यानी 25 नवंबर को अब चूहे की लाश को लेकर बदायूं से 60 किलोमीटर दूर बरेली के पशु चिकित्सालय ले जाना था. कायदे से केस कोतवाली थाने का था, लाश को बाहिफाजत बरेली तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उन्हीं की थी. मगर कोतवाली पुलिस वीकेंद्र को एक सिपाही के साथ बरेली जाने को कहती है. वो भी मोटरसाइकिल पर.

पुलिसवाले बजट को लेकर वीकेंद्र से हाथ पांव जोड़ लेते हैं. अब मजबूरी में वीकेंद्र 1500 रुपये में बदायूं से बरेली तक के लिए एक टैक्सी बुक करता है. फिर उसी टैक्सी में एक सिपाही के साथ आईसबॉक्स में चूहे की लाश रखकर दोनों बरेली के पशु चिकित्सालय पहुंचते है.

बरेली पशु चिकित्सालय पहुंचने के बाद वीकेंद्र अपनी जेब से ढाई सौ रुपये की पर्ची कटाता है. रेफर लेटर साथ था, लिहाजा डॉक्टर चूहे की लाश रिसीव करने और पोस्टमॉर्टम के लिए तैयार हो जाते हैं.

चार पांच दिन बाद बरेली पशु चिकित्सालय से बाकायदा बंद लिफाफे में बदायूं कोतवाली पुलिस को चूहे की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिल जाती है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक चूहे की मौत पानी में डूबने और दम घुटने से हुई. रिपोर्ट में ये भी लिखा था कि पानी में डुबोने की वजह से चूहे के फेफड़े में न सिर्फ पानी भर गया था बल्कि उसमें सूजन भी थी. इसकी वजह से लीवर भी संक्रमित हो गया था.

इसी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद बदायूं कोतवाली पुलिस ने आरोपी मनोज कुमार के खिलाफ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम और आईपीसी की धारा 429 के तहत मुकदमा दर्ज किया है. मनोज कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन गिरफ्तारी के साथ ही थाने से ही जमानत भी दे दी गई.

वारदात के 5 दिन बाद मनोज खुद ही बदायूं के जिला कोर्ट पहुंचा. सरेंडर करने. कोर्ट ने उसी वक्त उसे अग्रिम जमानत पर छोड़ दिया. इसके बाद जनवरी 2023 में बदायूं की कोतवाली पुलिस ने चूहे के कत्ल के सिलसिले में 30 पन्नो की चार्जशीट तैयार की. इसमें मुख्य आरोपी मनोज कुमार को बनाया गया है.

जिन धाराओं के तहत चार्जशीट दर्ज की गई है अगर वो सारे आरोप अदालत में साबित हो गए तो मनोज को पशु क्रूरता अधिनियम के तहत 10 रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक का जुर्माना और तीन साल की सज़ा या आईपीसी की धारा 429 के तहत पांच साल की सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है.

हालांकि चार्जशीट दाखिल हुए तीन महीने हो चुके हैं. मगर अभी तक ट्रायल शुरू नहीं हुआ है. जबकि दूसरी तरफ तमाम लोगों की निगाहें इस मुकदमे और मुकदमें के फैसले पर टिकी हैं. क्योंकि एक चूहे के कत्ल का देश में ये पहला मुकदमा है, तो फैसले का इंतजार कीजिए.

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