उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

पहले Oxygen की कमी और अब प्लेट लेट हो रहे कम

  • डेंगू के रूप में तीसरी लहर का लोगों में भय-सामान्य बुखार पर भी करा रहे डेंगू की जांच

आगर मालवा। कोरोना की दूसरी लहर की बात की जाए तो उस समय कोरोना पीडि़तों में आक्सीजन की कमी और उसको पाने के लिए जद्दोजहद देखने को मिली थी और अब बडी मात्रा में लोगों में अचानक प्लेटलेट की कमी का आ जाना, कहीं डेंगू के रूप में कोरोना की तीसरी लहर तो नहीं। यह भय वर्तमान में जिले में फेल रहे डेंगू को देखते हुए हर आम व खास के मन में बना हुआ है। स्वास्थ्य विभाग चाहे इसे सामान्य बुखार या मौषमी बिमारी मानकर उपचार कर रहा हो, लेकिन जिस गति से डेंगू जिले में फैलता नजर रहा है उससे तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि सामान्य बुखार होने पर भी लोग इसके भय से बड़ी संख्या में डेंगू की जांच अवश्य कराते नजर आ रहे है। निजी लेब संचालकों की माने तो प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में डेंगू की जांच हो रही है और उसमे डेंगू पॉजिटिव भी बड़ी संख्या में निकल रहे है।


पिछले दिनों डेंगू के मामलों में आगर जिला प्रदेश में चौथे नंबर पर भी आ गया था, लेकिन उसके बाद जिला प्रशासन द्वारा कुछ सख्ती अवश्य की और डेंगू के मच्छरों को मारने के लिए लार्वा सर्वे और फॉगिंग का उपयोग भी किया गया, लेकिन डेंगू पर अंकुश लगाने में प्रशासन सफल नहीं हो पाया है, यहीं कारण है कि जिले में निरंतर डेंगू के मामले बढ़ते जा रहे है और जिला अस्पताल हो या निजी अस्पताल हर कहीं मौसमी बिमारी जिसमे डेंगू के लक्षण वाले मरीज, सर्दी खांसी बुखार सहित अन्य बिमारी के मरीज बड़ी संख्या में उपचार कराते देखे जा रहे है।

डेंगू पीडि़तों को 20 से 25 यूनिट प्रतिदिन प्लेटलेट चढ़वा रही सामाजिक संस्था
डेंगू पीडि़त मरीजों में प्लेटलेट की कमी हो जाती है जिस पर उसे प्लेटलेट चढ़ाई जाती है, और यह सुविधा फिलहाल जिले में उपलब्ध नहीं होने पर बड़ी संख्या में डेंगू पीडि़त लोग प्लेटलेट चढ़वाने के लिए इंदौर उज्जैन भी जा रहे है। हालांकि नगर में संचालित सामाजिक संस्था संजीवनी रक्त वाहिनी अपने उज्जैन और आगर में कार्यरत संस्था सदस्यों के माध्यम से डेंगू पीडि़त लोगों की मदद के लिए प्रतिदिन प्लेटलेट उपलब्ध करवा रही है। संजीवनी रक्त वाहीनी के संचालक मुकेश पाटीदार ने बताया कि हमारे द्वारा आगर जिले के डेंगू पीडि़तों की मदद के लिए प्रतिदिन 20 से 25 यूनिट प्लेटलेट जिसमें एसडीपी (सेल्फ डोनर प्लेटलेट) शामिल है।

तीन दिन से नहीं मिला डेंगू का कोई मरीज
अब इसे चमत्कार कहे या कुछ और। एक ओर तो निजी लेब पर प्रतिदिन डेंगू के मरीज मिल रहे है और पहले प्रतिदिन जिला अस्पताल में भी बड़ी संख्या में डेंगू के मरीज सामने आ रहे थे, लेकिन जब से प्रदेश में डेंगू के लिए जिला चमकने लगा तब से जो रिपोर्ट जिला अस्पताल से आ रही है उनमें डेंगू पॉजिटिव मरीजों की संख्या कभी कुछ भी नहीं तो कभी इक्का-दुक्का पॉजिटिव ही निकल रही है। ऐसे में सच क्या है यह तो पता नहीं, लेकिन वर्तमान स्थिति को देखा जाए तो लोगों में डेंगू के प्रति भय और सतर्कता जरूर देखने को मिल रही है।

पहले एक भी डेंगू का मामला नहीं : आगर जिले का रिकार्ड यदि खंगाला जाए तो पता चलेगा कि पहले डेंगू के इक्का दुक्का मामले ही सामने आए होंगे, लेकिन इस वर्ष का ही केवल शासकीय आंकडा ही देखा जाए तो अब तक 210 डेंगू के मामले सामने आ चुके है। यह तो केवल शासकीय रिकार्ड है, लेकिन यहां संचालित एक दर्जन से अधिक निजी लेब पर भी जो जांचे प्रतिदिन हो रही है उनका रिकार्ड यदि खंगाला जाए तो पता चलेगा कि डेंगू के कितने मामले सामने आए है। यहीं नहीं जिला शासकीय अस्पताल में पदस्थ एक डाक्टर और दो अन्य की मौत भी डेंगू से हो चुकी है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग अब तक इन तीनों की मौत डेंगू से होना नहीं मान रहा है, लेकिन हालात इतने बिगड़ चुके है कि किसी को सामान्य बुखार भी आ जाता है तो वह डेंगू की जांच अवश्य करा रहा है।

इनका कहना
स्वास्थ्य कर्मचारियों और नपा कर्मचारियों के संयुक्त दल के द्वारा निरंतर क्षेत्र में लार्वा सर्वे, फीवर सर्वे कर लार्वा नष्ट करने की कार्रवाई की जा रही है। डेंगू से बचाव के लिए लोगों को समझाईश भी दी जा रही है। जिले में अब तक 210 मामले डेंगू के सामने आए है। इससे पहले डेंगू के मामले ना के बराबर ही थे।
2 एसएस मालवीय सीएमएचओ आगर

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