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पहली बार मरते हुए इंसान के दिमाग की गतिविधियों को किया गया रिकॉर्ड, खुले अनोखे राज

लंदन । पहली बार किसी मरते हुए इंसान के दिमाग (Brain) की गतिविधियों को रिकॉर्ड (record) किया गया है. दिमाग में होने वाली लयबद्ध क्रियाओं को देखा गया है. यह ठीक वैसी ही होती हैं, जैसा आप सपना देखते समय महसूस करते हैं. मरते समय की जो हरकतें दिमाग में होती हैं, उन्हें मौत से पहले जीवन दिखने के बराबर रखा गया है. इंसान मरने से ठीक पहले कुछ सेकेंड्स या मिनटों में अपने पुराने जीवन को याद (Life Recall) करता है.

एस्तोनिया (Estonia) की यूनिवर्सिटी ऑफ तारतू में डॉ. रॉल विसेंट ने 87 वर्षीय बुजुर्ग के दिमाग की रिकॉर्डिंग की. यह बुजुर्ग मिर्गी (Epilepsy) से पीड़ित थे. इनके दिमाग की हलचलों को रिकॉर्ड करने के लिए डॉ. रॉल ने इलेक्ट्रोइनसिफेलौग्राफी (EEG) का सहारा लिया. बुजुर्ग के दिमाग की मॉनिटरिंग लगातार EEG मशीन सी की जाती रही.

दुर्भाग्यपूर्ण ये रहा कि बुजुर्ग जीवित तो नहीं रहे. लेकिन मिर्गी की वजह से उन्हें बाद में दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई. लेकिन मौत से पहले उनके दिमाग की सारी हरकतें EEG मशीन में रिकॉर्ड हो गईं. जब डॉ. रॉल विसेंट और उनकी टीम ने बुजुर्ग के दिमाग की गतिविधियों की रिकॉर्डिंग देखी तो हैरान रह गए. क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ कि किसी मरते हुए इंसान की दिमाग की हलचलों को रिकॉर्ड किया गया हो. इस रिकॉर्डिंग की डिटेल स्टडी फ्रंटियर्स ऑफ एजिंग न्यूरोसाइंस में प्रकाशित हुई है.


इस स्टडी में शामिल यूनिवर्सिटी ऑफ लुईविले के न्यूरोसर्जन डॉ. अजमल जेमार ने कहा कि हमने EEG मशीन में मौत के समय की 900 सेकेंड्स की रिकॉर्डिंग की. यानी करीब 15 मिनट की. लेकिन हमारा पूरा फोकस सिर्फ मौत से पहले 30 सेकेंड और उसके बाद के 30 सेकेंड पर ही था. स्टडी में पता चला कि जब तक दिल चलता रहा, बुजुर्ग के दिमाग में तरंगें दौड़ती रहीं. यह तरंगें उस बुजुर्ग के संज्ञानात्मक क्रियाओं (Cognitive Function) को सक्रिय बनाए हुए थीं.

इनमें से कुछ तरंगें ऐसी भी थीं, जो जीवित इंसान सोते समय सपनों को देखते समय पैदा करता है. यानी अपनी पुरानी यादों में खो जाता है. पुरानी सूचनाओं को जमा करके एकसाथ उन्हें देखने और सोचने की कोशिश करता है. यह इतना हिस्सा ही वैज्ञानिकों को हैरान करने वाला था. क्योंकि इसके ठीक बाद दिल, शरीर और दिमाग सब शांत हो जाते हैं. किसी तरह की जैविक या रसायनिक प्रक्रिया शरीर में बंद हो जाती है, जो जीवित इंसान में होती है.

डॉ. अजमल ने कहा कि हमारी स्टडी से पता चला कि यह बुजुर्ग मृत्यु से पहले अपनी पुरानी घटनाओं को याद कर रहे थे. क्योंकि उस समय उनके दिमाग की तरंगें बहुत तीव्र थीं. यह मृत्यु से ठीक पहले तीव्रता की सारी हदें पार कर चुकी थीं. लेकिन जैसे ही मृत्यु नजदीक आती है, ये धीमी होने लगती है और अंत में EEG मशीन पर सिर्फ सीधी रेखा दिखने लगती है.

इस स्टडी से इंसानी दिमाग, उसके जीवन के खत्म होने की प्रक्रिया और उस समय होने वाली मानसिक गतिविधियों की समझ बढ़ी है. EEG मशीन से मिली रिकॉर्डिंग्स ने डॉ. रॉल विसेंट और डॉ. अजमल जेमार को हैरान करके रख दिया है. लेकिन दोनों ने कहा कि इससे एक फायदा है. वो ये कि हम यह जान सकते हैं कि इंसान के शरीर का कौन सा अंग मृत्यु के पहले और कौन से बाद में दान करने लायक कितनी देर तक बचेगा.

डॉ. अजमल ने कहा कि यह स्टडी सिर्फ एक इंसान के दिमाग पर की गई है. इसलिए इसकी सीमाएं भी हैं. क्योंकि हम तो उस मिर्गी से पीड़ित बुजुर्ग के सेहत की निगरानी कर रहे थे. हमें इस दौरान एक नई जानकारी मिल गई. लेकिन ऐसी ही स्टडी चूहों पर की जा चुकी है. जिसमें यह जानने की कोशिश की गई थी कि दिल का दौरा पड़ने के पहले और बाद में चूहे के दिमाग की तरंगों में कितना बदलाव आता है.

डॉ. रॉल ने कहा कि मरते समय पुरानी यादों को रिकॉल करने की घटना कई जीवों में देखने को मिलती है. लेकिन अगर इंसानी दिमाग की और स्टडी करनी है, तो हमें ज्यादा रिसर्च की जरूरत पड़ेगी. शायद किसी मरने वाले इंसान को अगर उसके पुराने लोग, यादें, घटनाएं दिखाई जाएं तो जाने वाला इंसान शायद खुशी से मौत को गले लगा सके. सुकून से मर सके. उसे अपने दिमाग पर इतना जोर न डालना पड़े.

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