इंदौर न्यूज़ (Indore News)

खतरनाक गणेश घाट के नए रास्ते पर फ्लायओवर भी बनेगा

वन विभाग की 34 हेक्टेयर जमीन पर अब तक नहीं मिली काम की अनुमति

इन्दौर। इंदौर-खलघाट फोर लेन रोड (Indore-Khalghat Four Lane Road) स्थित खतरनाक बाकानेर घाट (गणेश घाट) को बायपास करने के लिए जो नौ किमी लंबा रास्ता बनाया जाएगा, उसमें एक फ्लायओवर (flyover) भी बनेगा। फ्लायओवर ज्यादा ऊंचाई वाले पहाड़ी हिस्से में वाहनों की आसान आवाजाही के लिए बनेगा। नए रोड का काम शुरू करने के लिए नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को वन विभाग की अनुमति का इंतजार है। सडक़ का ज्यादातर हिस्सा वन विभाग की जमीन पर बनना है। नया रास्ते बनने से इंदौर से खलघाट की ओर जाने वाले वाहन चालकों को तीखे ढलान से नहीं गुजरना होगा।


अभी घाट सेक्शन की ढलान पर उतरते समय वाहन अनियंत्रित होकर पलट जाते हैं या आगे जा रहे वाहन से भिड़ जाते हैं। लगातार दुर्घटनाओं और जान-माल के नुकसान के कारण एनएचएआई ने गणेश घाट को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिह्नित किया है और इसका बायपास बनाने का काम सर्वोच्च प्राथमिकता से होना है। 30 मीटर चौड़ा नया रास्ता इंदौर से खलघाट की तरफ जाने वाले वाहनों के लिए बनना है। इस पर लगभग 209 करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान है। खलघाट तरफ से इंदौर की ओर आने वाले वाहनों को वर्तमान रास्ते से ही गुजारा जाएगा। एनएचएआई के नईदिल्ली स्थित मुख्यालय ने सडक़ निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया कर ली है। इसी महीने सडक़ निर्माण करने की इच्छुक कंपनियों के तकनीकी और वित्तीय प्रस्तावों का आकलन कर ठेका सौंपने की तैयारी है। एनएचएआई को दूसरी बार टेंडर बुलाना पड़े, क्योंकि पहली बार सिर्फ एक ही कंपनी ने टेंडर डाला था। जो कंपनी ठेका लेगी, उसे 2024 तक यह बायपास बनाकर तैयार करना होगा।

डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा का मुआवजा बांटने की प्रक्रिया जारी

एनएचएआई के सूत्रों ने बताया कि इंदौर से खलघाट की ओर जाने वालों के लिए धार जिले के ढाल गांव से खरगोन जिले के कुसुमभिया गांव तक बायपास बनाया जाना है। सडक़ के निर्माण के लिए कुल 36.22 हेक्टेयर जमीन ली जा रही है। इसमें से 34.13 हेक्टेयर जमीन तो अकेले वन विभाग की है। शेष 2.09 हेक्टेयर जमीन राजस्व विभाग की है। इन जमीनों के एवज में एनएचएआई को 1.56 करोड़ रुपए का मुआवजा बांटना है, जिसमें से अब तक 55 लाख रुपए बांटे जा चुके हैं। अब तक प्रोजेक्ट के लिए न तो निर्माण कंपनी चुनी गई है और न ही वन विभाग की जमीन पर काम की अनुमति मिली है, इसलिए प्रोजेक्ट का काम मार्च के बजाय अप्रैल-मई तक शुरू होने की संभावना है।

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