चेन्नई । मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने कहा कि बगैर लाइसेंस (Without License) विदेशी आयुर्वेदिक दवाईयां या अन्य उत्पाद (Foreign Ayurvedic Medicines or other Products) आयात नहीं कर सकते (Cannot be Imported) । मद्रास हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि विदेशों से आयुर्वेदिक दवाएं या उत्पाद भारत में मंगवाने के लिए आयात लाइसेंस लेना अनिवार्य है।
कोर्ट ने यह फैसला एक केस की सुनवाई के दौरान सुनाया जिसमें सिंगापुर से आयात की जा रही एक आयुर्वेदिक दवा को कस्टम विभाग द्वारा रोका गया था। यह मामला ‘लेंग काई फूक मेडिकल कंपनी’ (सिंगापुर) द्वारा निर्मित एक आयुर्वेदिक तेल ‘कोडलाई थाईलम’ से जुड़ा है। इस तेल को भारत में ‘एक्सेन मार्केटिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’, जो चेन्नई के मंडैवेली में स्थित है, आयात कर रही थी और यहां बेच रही थी।
हाल ही में अरुंबक्कम स्थित राज्य प्राधिकरण ने ‘एक्सेन’ कंपनी को एक नोटिस भेजा, जिसमें कहा गया कि कोडलई थैलम का आयात करने के लिए उनके पास वैध लाइसेंस होना चाहिए। इसके बाद, कस्टम अधिकारियों ने सिंगापुर से आई इस दवा की खेप को जब्त कर लिया। इस कार्रवाई के विरोध में ‘एक्सेन’ कंपनी ने मद्रास हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की और मांग की कि उनकी जब्त की गई दवा की खेप छोड़ी जाए।
इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि ‘कोडलाई थाईलम’ एक कस्टम टैरिफ कैटेगरी के अंतर्गत आता है और यह एक आयुर्वेदिक दवा है, जो निरीक्षण के अधीन है। उन्होंने यह भी कहा कि आयुर्वेदिक उत्पादों पर भी औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम लागू होता है, और इसलिए सभी प्रकार की औषधियों के आयात के लिए लाइसेंस होना अनिवार्य है।
अदालत ने यह भी माना कि आयुर्वेदिक दवाओं के लाइसेंस से जुड़ी वर्तमान प्रक्रिया और नियम पुराने हो चुके हैं, और इन नियमों को नए समय के अनुसार संशोधित करने की जरूरत है। हालांकि, कोर्ट ने यह आदेश भी दिया कि याचिकाकर्ता की जो खेप फिलहाल रोकी गई है, उसे नियमों के अनुसार निरीक्षण कर रिहा किया जाए।
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