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विराट का ‘जीवन’ बचाने को नहीं मिली सरकार की मंजूरी, सुप्रीम कोर्ट​ जाएगी मुंबई की कंपनी ​

नई दिल्ली । ​आखिरकार ​तीस साल तक देश की सेवा करने वा​ले युद्धपोत ​​आईएनएस विराट को ​टूटने से बचाने की योजना को ​​रक्षा मंत्रालय ​ने ​औपचारिक रूप से ​खारिज कर ​दिया है​​। जहाज को टूटने से बचाने ​के लिए ​मुंबई की कंपनी एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड ​ने ​​​बॉम्बे हाईकोर्ट ​की शरण ली थी। ​मंत्रालय ने ​कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में ​साफ कर दिया कि ​विराट ​को संग्रहालय में बदलने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (​​​​एनओसी)​ नहीं दी जा सकती।​ यही कंपनी जहाज को समुद्री संग्रहालय में बदलकर गोवा की ज़ुआरी नदी में रखने के लिए आगे आई है। मुंबई की कंपनी और​ ​गोवा सरकार ने इसके लिए रक्षा मंत्रालय से एनओसी मांगा ​था लेकिन ​अब ​रक्षा मंत्रालय​ का रुख स्पष्ट होने पर ​अगले सप्ताह ​​सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की उम्मीद है।

‘ग्रांड ओल्ड लेडी’ के नाम से पहचाना जाने वाला आईएनएस विराट मई 1987 में भारतीय नौसेना के परिवार का हिस्सा बना था। देश को 30 साल की सेवा देने के बाद इसे 6 मार्च, 2017 को रिटायर कर दिया गया था। इसके बाद ‘विराट’ को संग्रहालय या रेस्तरां में बदलकर ‘जीवनदान’ देने की भी कोशिशें हुईं लेकिन ​​इसी बीच गुजरात के अलंग स्थित श्रीराम ग्रुप ने 38.54 करोड़ रुपये की बोली लगाकर ​जहाज को अपने नाम कर लिया। इस समय यह जहाज गुजरात के भावनगर जिले के अलंग में दुनिया के सबसे बड़े जहाज विघटन यार्ड में पहुंच चुका है, जहां इसे तोड़कर ढेर में बदलने की तैयारी है। इस बीच मुंबई की कंपनी एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड जहाज को ‘जीवनदान’ देकर समुद्री संग्रहालय में बदलने के लिए आगे आई।

श्रीराम ग्रुप के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश पटेल जहाज को 100 करोड़ रुपये में इस कंपनी को बेचने के लिए तैयार ​भी हो गये लेकिन उन्होंने सरकार के अनापत्ति प्रमाण पत्र की मांग रख दी। इस पर कंपनी के परिचालन निदेशक विष्णुकांत ​ने रक्षा मंत्रालय से ​​ एनओसी​ मांगा और न मिलने पर ​बॉम्बे हाईकोर्ट ​की शरण ली।​ उनका कहना है कि हमें सरकार से एनओसी के अलावा कुछ नहीं चाहिए, हम सारा पैसा लगा देंगे। उन्होंने कहा कि मेरे पिता नौसेना में थे। पूरे देश की भावना आईएनएस विराट के साथ जुड़ी हुई है। हम युद्धपोत को बचाने और इसे संग्रहालय में बदलने के लिए एक सार्वजनिक-निजी-साझेदारी (पीपीपी) मॉडल पर काम करने की कोशिश कर रहे हैं। ​उनका कहना है कि अब ​रक्षा मंत्रालय​ का रुख स्पष्ट होने पर ​अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की उम्मीद है।​

उन्होंने कहा कि इस युद्धपोत ने नवम्बर 1959 से अप्रैल 1984 तक (25 साल) एचएमएस हर्मीस के रूप में ब्रिटिश नौसेना की सेवा की लेकिन उसने जहाज का क्रूर अंत नहीं किया। इसके बाद 30 साल तक गर्व से भारत की सेवा करने के बाद रिटायर हुआ। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज युद्धपोत को गोवा की जुआरी नदी के किनारे ‘प्रमुख विरासत स्थल’ में बदलने की योजना बनाई है, जिसमें समुद्री विमानन संग्रहालय एवं भारतीय नौसेना की उपलब्धियों और इतिहास के बारे में बताया जाएगा। ​इसमें विमान प्रदर्शनी, कन्वेंशन हॉल, रेस्तरां, प्रदर्शनी केंद्र, परेड ग्राउंड आदि होंगे। इसे आर्थिक रूप से ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए परियोजना के चारों ओर एक पूर्ण पर्यटन स्थल का निर्माण किया जाएगा। यह परियोजना न केवल देश के लिए एक नई संपत्ति होगी, बल्कि इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे और राज्य पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।

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