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आडवाणी का किया वादा निभाएगी सरकार, 2030 में छूट जाएगा अबू सलेम! SC में हलफनामा


नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि भारत सरकार अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम पर पुर्तगाल अथॉरिटी को दिए गए अंडरटेकिंग का पालन करने के लिए बाध्य है और उसका पालन उचित मौके पर किया जाएगा। भारत सरकार ने दरअसल 17 दिसंबर 2002 को पुर्तगाल सरकार को अंडरटेकिंग दी थी कि सलेम को मौत की सजा नहीं दी जाएगी और साथ ही 25 साल से ज्यादा जेल की सजा नहीं दी जाएगी। मुंबई बम ब्लास्ट और अन्य केस में सलेम आरोपी है। उसे एक मामले में उम्रकैद की सजा हो रखी है।

गृह सचिव ने दाखिल किया हलफनामा
भारत सरकार के गृह सचिव अजय भल्ला की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा गया है कि भारत सरकार ने 17 दिसंबर 2002 को पुर्तगाल अथॉरिटी के सामने सलेम के प्रत्यर्पण के वक्त जो अंडरटेकिंग दी थी उसका उचित मौके पर पालन होगा। सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि हमारे देश में न्यायपालिका स्वतंत्र है और वह कानून के आधार पर फैसला लेती है। कार्यपालिका में जो भी स्टैंड लिया जाता है वह अदालत के फैसले में बाधक नहीं हो सकता है।

भारत अंडरटेकिंग से बंधा हुआ है
भारत सरकार पुर्तगाल में जो अंडरटेकिंग दी हुई है उससे बंधा हुआ है लेकिन सरकार ने जो अंडरटेकिंग दी हुई है उसका वह पालन कर रही है या नहीं यह सवाल तो तब पैदा होगा जब सलेम 25 साल की सजा काट लेगा। सलेम की 25 साल की सजा 10 नवंबर 2030 को पूरी हो रही है। उससे पहले सलेम अंडरटेकिंग की बात कह कर राहत नहीं क्लेम कर सकता है। सलेम की ओर से जो दलील रखी जा रही है वह समय से पहले की बात है। उसकी आशंका कल्पना पर आधारित है। मौजूदा मामले में जो अपील है उस दौरान उस बात को नहीं उठाया जा सकता है। सलेम की सजा जब 25 साल पूरी हो जाएगी तब यह बात उठगी। उससे पहले की बात नहीं है।


एल के आडवाणी ने दी थी अंडरटेकिंग
अबू सलेम के प्रत्यर्पण के समय तत्कालीन डेप्युटी पीएम एलके अडवाणी ने जो अंडरटेकिंग दी थी उससे भारत सरकार मानने को बाध्य है। अंडरटेकिंग के तहत सलेम को 25 साल से ज्यादा सजा न देने की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट के 12 अप्रैल के आदेश के तहत केंद्र सरकार के गृह सचिव ने हलफनामा दायर किया है। कोर्ट को केंद्र की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि भारत सरकार ने जो हलफनामा दिया है उसका पालन करने के लिए वह बाध्य है। सरकार सलेम मामले में उचित समय में उस उसे देखेगी। अभी सलेम की अर्जी समय से पूर्व कल्पना पर आधारित है।

मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को
मामले की सुनवाई 21 अप्रैल को होगी। 12 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के होम सेक्रेटरी से कहा था कि वह सलेम मामले में 18 अप्रैल तक हलफनामा दायर करे। सुप्रीम कोर्ट ने होम सेक्रेटरी से कहा था कि वह भारत सरकार द्वारा सलेम की सजा के मामले में दिए गए अंडरटेकिंग मामले में बताए कि क्या वह पूर्तगाल में दिए गए अंडरटेकिंग का पालन करने के लिए तैयार है।

8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के उस हलफनामा पर असंतुष्टि जाहिर की थी जिसमें सीबीआई ने कहा था कि अबू सलेम को प्रत्यर्पण के जरिए भारत लाने के दौरान भारत सरकार ने पुर्तगाल अथॉरिटी के सामने अधिकतम सजा को लेकर जो अंडरटेकिंग दी थी उससे भारतीय कोर्ट बाध्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के हलफनामे पर अंसुष्टि जाहिर की थी और केंद्र सरकार से इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा था। दरअसल दिसंबर 2002 में भारत सरकार ने पूर्तगाल सरकरा को प्रत्यर्पण प्रक्रिया के दौरान कहा था कि सलेम को 25 साल से ज्यादा सजा नहीं दी जाएगी।

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