भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

सुनी सुनाई : संकट में वरिष्ठ IPS!

मप्र के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी विपिन माहेश्वरी आजकल अपने कैरियर के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। एडीजी माहेश्वरी के पास पुलिस दूरसंचार के अलावा एसटीएफ का चार्ज भी है। उन्होंने व्यापम घोटाले को लेकर दिग्विजय सिंह के 8 वर्ष पुराने आवेदन पर 6 दिसम्बर को एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर में शिवराज सरकार के मंत्री और भाजपा नेताओं की मिलीभगत का उल्लेख है। इस एफआईआर से भाजपा संगठन आग बबूला है। अपनी ही सरकार में अपने ही मंत्री और नेताओं के खिलाफ बिना सशक्त प्रमाण के एफआईआर होने पर भाजपा संगठन में भोपाल से दिल्ली तक हंगामा मचा हुआ है। बताया जाता है कि माहेश्वरी से पूछताछ में उन्होंने सफाई दी है कि सीएम हाऊस के एक ‘ताकतवर डिप्टी सेकेट्ररीÓ के फोन पर यह एफआईआर दर्ज की गई है। फिलहाल माहेश्वरी सत्ता व संगठन के निशाने पर बताये जा रहे हैं।

एफआईआर की टाइमिंग को लेकर भी चर्चा?
व्यापम मामले में एसटीएफ में दर्ज हुई एफआईआर की टाइमिंग को लेकर राजनीतिक व प्रशासनिक गलियारे में जबर्दस्त चर्चा है। दरअसल वर्ष 2014 में दिग्विजय सिंह ने भाजपा नेता (अब भाजपा प्रदेशाध्यक्ष) वीडी शर्मा पर व्यापम घोटाले को लेकर गंभीर आरोप लगाये थे। इससे व्यथित होकर वीडी शर्मा ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि का प्रकरण दर्ज किया था। बीते 5 दिसम्बर को भोपाल कोर्ट ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि के तहत एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। अगले दिन 6 दिसम्बर को एसटीएफ ने दिग्विजय सिंह के 2014 के शिकायती आवेदन पर शिवराज सरकार के मंत्री व भाजपा नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। खास बात यह है कि एसटीएफ की इस एक एफआईआर ने मप्र में विधानसभा चुनाव से पहले व्यापम के जिन्न को फिर से जिन्दा कर दिया है और कांग्रेस को बड़ा मुद्दा थमा दिया है।

बेरोजगारों के 8 करोड़ कौन लौटाएगा!
मप्र में कानून बनाने वाली विधानसभा के सचिवालय में ही आजकल अंधेरगर्दी मची हुई है। चर्चा है कि भोले-भाले स्पीकर को एक कॉकस ने घेर लिया है। कुछ चापलूस अफसर अपने नाते रिश्तेदारों को प्रतिनियुक्ति पर विधानसभा सचिवालय में फिट कराने में लगे हुए हैं। सचिवालय में भर्ती के नाम पर हुए एक बड़े खेल के भी चर्चे आम है। सचिवालय में भर्ती का काम एक निजी एजेंसी को सौंपा गया। एजेंसी ने बेरोजगारों से आवेदन के साथ 8 करोड़ रूपए वसूल लिए। इन भर्तियों में आरक्षण नियमों का पालन न होने और पारदर्शिता न होने के कारण बबाल मचा तो भर्तियां रद्द करना पड़ी। लेकिन विधानसभा सचिवालय आजतक यह बताने को तैयार नहीं है कि 8 करोड़ वसूलने वाली एजेंसी का नाम पता क्या है और बेरोजगारों से वसूली गई 8 करोड़ की राशि कौन और कब लौटाएगा?

वर्ष के पहले दिन महिला आरक्षक से छेड़छाड़
सिंगरौली पुलिस के लिए नये वर्ष की शुरुआत अच्छी नहीं हुई। पुलिस कन्ट्रोल रूम में रात की ड्यूटी कर रही महिला आरक्षक के साथ वहां तैनात दो आरक्षकों ने शराब पीकर दुष्कर्म करने का प्रयास किया। महिला ने स्वयं को कमरे बंद करके आबरू बचाई। इसकी लिखित शिकायत और सीसीटीवी फुटेज भी मिले हैं। दुखद पहलू यह है सिंगरौली एसपी ने एक आरक्षक को तो निलंबित कर दिया लेकिन दूसरे आरक्षक को जांच के नाम पर बचा लिया है। दूसरा आरक्षक एसपी साहब के समाज का है और उनका खास माना जाता है। इसे लेकर महिला आरक्षक के समाज के लोग आग बबूला बताये जा रहे हैं। वे एसपी के खिलाफ सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं। भोपाल पहुंची खबरों के अनुसार इस गंभीर प्रकरण में एसपी साहब पर गाज गिर सकती है।


जैन समाज के पक्ष में प्रस्ताव क्यों प्रस्तुत नहीं हुआ?
मप्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सत्ता पक्ष ने सम्मेद शिखर को लेकर जैन समाज की भावनाओं के अनुरूप विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने की तैयारी कर ली थी। भाजपा विधायक पारस जैन को सदन में प्रस्ताव प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। पारस जैन ने प्रस्ताव टाइप भी करा लिया। सदन में जैन समाज के सभी 9 विधायक उत्साहित थे। इस प्रस्ताव को पारित कराने स्पीकर को भी तैयार कर लिया गया। विपक्ष भी इसे सर्व सम्मति से पारित करने तैयार हो गया। लेकिन जैसे ही सत्ता पक्ष को अहसास हुआ कि यह प्रस्ताव केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के नोटीफिकेशन के खिलाफ होगा तो पारस जैन को सदन में प्रस्ताव लाने से रोक दिया गया। यह बात दूसरी है कि राज्य सरकार ने मौखिक रूप से जैन समाज की भावनायें प्रधानमंत्री तक पहुंचाने की बात कही, लेकिन विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने का कदम पीछे खींच लिया।

मप्र में गुजरात का फार्मूला नम्बर दो काम करेगा
मप्र में भाजपा गुजरात के फार्मूला नम्बर दो पर काम कर सकती है। भाजपा ने गुजरात में दो फार्मूले अपनाए थे। पहला एंटी इंकम्बेंसी कम करने सीएम से लेकर सभी मंत्री बदले गये। दूसरा सत्ता विरोधी लगभग 13 प्रतिशत वोट आम आदमी पार्टी के खाते में डलवाकर अपनी बम्फर जीत की राह आसान कर ली। खबर है कि मप्र में भाजपा इस दूसरे फार्मूले पर गंभीरता से विचार कर रही है। मप्र में गुजरात की तरह आम आदमी पार्टी की प्रभावी एंट्री कराई जाए जो भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर हमलावर हो। भाजपा की रणनीति है कि सत्ता विरोधी वोट कांग्रेस के बजाय आम आदमी पार्टी में शिफ्ट किया जाए तो मप्र में भाजपा की सरकार आसानी से बन सकती है। इस रणनीति के तहत मप्र के अनेक दलों के अनेक प्रभावी नेता अपनी अपनी पार्टी में असंतोष के नाम पर आम आदमी पार्टी में भेजे जा सकते हैं।

और अंत में…..!
मप्र सरकार के संकटमोचन गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अचानक सत्ता और संगठन के कई कार्यक्रमों से दूरी बना ली है। वे कटनी में आयोजित भाजपा की प्रदेश कार्य समिति की बैठक में नजर नहीं आए। इंदौर के प्रभारी मंत्री होने के बाद भी वे इंदौर में आयोजित प्रवासी सम्मेलन और इंवेस्टमेंट मीट के आयोजन की तैयारी से दूरी बनाये हुए हैं। हद तो यह हो गई कि 25 दिसम्बर को ग्वालियर में अटल जी की स्मृति में आयोजित भव्य समारोह में जहां मुख्यमंत्री और दो केन्द्रीय मंत्री शामिल हुए, तब नरोत्तम मिश्रा ग्वालियर में होने के बाद भी इस समारोह में नहीं पहुंचे। यह बात दूसरी है कि हमेशा की तरह नरोत्तम मिश्रा ने विधानसभा में सत्ता पक्ष की ओर से प्रभावी भूमिका निभाई और लगभग रोज ही वे मीडिया के जरिये सरकार के बचाव और विपक्ष को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

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