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कैसे ध्वस्त हुआ आतंक का किला, PFI पर प्रतिबंध में है किसका दिमाग? जानें पूरा प्लान

नई दिल्ली: देश में आतंकवाद और कट्टरता को बढ़ावा देने वाले इस्लामिक संगठन PFI को 5 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है. मोदी सरकार ने PFI से जुड़े 8 अन्य संगठनों पर भी बैन लगा दिया है. गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई अधिसूचना में कहा गया है कि इस संगठन के खिलाफ कई ऐसे सबूत मिले हैं, जिनसे साबित होता है कि यह संगठन देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त था. हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस काम के पीछे आखिर किसका दिमाग है और आखिरकार किसने ये पूरा प्लॉन तैयार किया था.

इस खबर में ये है खास

  • क्या है पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया (PFI)?
  • कई राज्यों के दंगों में था हाथ
  • डोभाल को सौंपी गई थी जिम्मेदारी
  • पीएम के साथ मीटिंग में बना प्लॉन
  • मुसलमानों को समझाना बड़ा काम
  • NSA डोभाल का प्लॉन हुआ कामयाब
  • मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ बनाई रणनीति

क्या है पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया (PFI)?
2006 में पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया यानी PFI का गठन किया गया था और इसे उग्र इस्लामिक संगठन माना जाता है. यह संगठन 23 राज्यों में फैला है और इस संगठन की महिला विंग भी है. पीएफआई का दावा है कि वह समाजसेवा और लोगों को उनका हक दिलाने के लिए काम करता है. जबकि इसे कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन माना जाता है. हाल ही में कई राज्यों में हुए दंगों में PFI का ही हाथ पाया गया है. देश को मुस्लिम राष्ट्र बनाने की साजिश का भी पर्दाफाश हो चुका है.

कई राज्यों के दंगों में था हाथ
इस साल रामनवमी हो या हनुमान जयंती, देश के कई राज्यों में सांप्रदायिक दंगे देखने को मिले थे. इन सभी दंगों में पीएफआई की भूमिका होने के सबूत मिले थे. कई राज्य सरकारों ने दावे किए थे कि दंगों की पूरी साजिश PFI ने ही रची थी. CAA-NRC के वक्त भी PFI ने ही दंगों की साजिश रची थी. यूपी के तत्कालीन डीजीपी ओपी सिंह ने PFI पर प्रतिबंध के लिए गृह मंत्रालय को पत्र भी लिखा था. उदयपुर और अमरावती की घटनाओं के बाद PFI पर बैन लगाने के लिए प्लॉन तैयार होने लगा था.

डोभाल को सौंपी गई थी जिम्मेदारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने देश की सुरक्षा को लेकर जब भी कोई चुनौती खड़ी होती है, वे सबसे पहले NSA अजीत डोभाल को याद करते हैं. पाकिस्तान पर सर्जिकल-एयर स्ट्राइक करना हो या जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने पर शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी, डोभाल के कंधों पर ही थी. उन्होंने इसे बखूबी करके भी दिखाया है. PFI के मामले में भी पीएम मोदी को डोभाल ही याद आए थे.


पीएम के साथ मीटिंग में बना प्लॉन
बिहार में PFI के पकड़े गए आतंकियों के पास से मिले दस्तावेजों को देखकर मोदी सरकार भी हिल गई थी. उनके पास मिले दस्तावेजों में भारत को 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश करने का खुलासा हुआ था. इसके बाद ‘सर तन से जुदा’ की नारेबाजी से देश का माहौल और खराब हो गया. ‘उदयपुर’ और ‘अमरावती’ की घटनाओं के बाद से ही PFI को बैन करने की तैयारी शुरू हो गई थी. पीएम मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एनएसए अजीत डोभाल के साथ एक मीटिंग की थी. जानकारी के मुताबिक इसी मीटिंग में PFI पर बैन लगाने की रणनीति तैयार की गई थी.

मुसलमानों को समझाना बड़ा काम
PFI पर बैन से पहले मोदी सरकार के सामने मुसलमानों को समझाना बड़ा काम था. पीएम मोदी को पता था कि यदि तुरंत PFI पर बैन लगाया जाएगा, तो मुसलमान भड़क सकते हैं. इसलिए सरकार ने पहले PFI की पोल खोलने का फैसला लिया. इसके साथ ही डोभाल भी हिन्दू-मुसलमान की खाई को पाटने के काम में लग गए. एनएसए डोभाल लगातार मुस्लिम धर्मगुरुओं के संपर्क में रहे. इसके जरिए वे मुसलमानों को PFI की हकीकत दिखाने का काम करते रहे.

NSA डोभाल का प्लॉन हुआ कामयाब
डोभाल ने इसके लिए दिल्ली में एक अंतर धार्मिक बैठक का आयोजन किया. बैठक में उन्होंने कहा कि कुछ तत्व ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो देश की प्रगति को बाधित कर रहा है. उन्होंने कहा कि निंदा पर्याप्त नहीं है और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और अन्य सहित कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ काम करने की जरूरत है. इस दौरान मुस्लिम नेताओं ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग की.

मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ बनाई रणनीति
एनएसए डोभाल की अध्यक्षता में अंतर-धार्मिक बैठक में विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं ने भाग लिया. बैठक में मौजूद मुस्लिम नेताओं ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग की. इस बैठक में 8 सूत्री एक प्रस्ताव पास किया गया. 8 सूत्री प्रस्तावों में से एक में PFI पर प्रतिबंध लगाने की बात भी कही गई थी. प्रस्ताव में PFI और उससे जुड़े संगठनों पर देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने की बात कही गई थी. इस बैठक में मुस्लिम धर्मगुरुओं ने ही PFI पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया था.

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