खरी-खरी ब्‍लॉगर

दवाई है तो ढिलाई क्यों…

यह देश महान है… मोदीजी (Modiji) बलवान…. वो जो कहते हैं पत्थर की लकीर बन जाता है… रात 8 बजे उनका चेहरा जब-जब नजर आता है, पूरे देश का चेहरा उतर जाता है… बात चाहे नोटबंदी (Demonetisation) की हो या लॉकडाउन (Lockdown)  की… ठीक इसी वक्त धमाका किया जाता है… लेकिन कई दिनों से मोदीजी खामोश नजर आ रहे हैं… कोरोना के कहर को वो खुद ही समझ नहीं पा रहे हैं…जब लॉकडाउन (Lockdown)  लगाना था तब वो ट्रंप की तिमारदारी में लगे थे…ट्रंप गए तो मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की सरकार की रुखसती में वक्त गंवाया और जब यकायक ख्याल आया तो बिना सोचे-समझे ‘जो जहां है वहां रहने का’ फरमान ऐसे सुनाया, जैसे अभी-अभी कोरोना विमान से उतरकर देश में आया… जान है तो जहान है का जुमला उछालकर करोड़ों लोगों को ऐसे फंसाया कि भूखे पेट… खडख़ड़ाते बर्तन…बिछड़े परिजन…. लुटते रोजगार…उद्योग की तालाबंदी…सन्नाटे में डूबा देश…अनिश्चित भविष्य…न देश को समझ में आ रहा था न मोदीजी को…कभी तालियां बजवा रहे थे… कभी मोमबत्ती जलवा रहे थे… पता नहीं कैसे-कैसे पागलपन के स्वांग देश में रचे जा रहे थे… फिर अर्थव्यवस्था का ख्याल आया…देश का खजाना खाली होते दिल भर आया… ‘जान है तो जहान है’ के जुमले को नया कपड़ा पहनाया और ‘जान भी जहान भी’ का नया जुमला लोगों को थमाया …लोगों को टुकड़े-टुकड़े आजादी देकर बाजारों को खुलवाया…कभी आधा-कभी पूरा…कभी दिन तो कभी रात जैसे प्रयोगों को आजमाया…फिर तुम जानो, तुम्हारा काम जाने का नारा लगाया और सब कुछ खुलवाया… फिर नया जुमला जुबान पर आया ‘जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं’ का नारा लगाया… बढ़ते कोरोना के बीच देश वैक्सीन का इंतजार कर रहा था…वैक्सीन का निर्माण मंजूरी के पहले से ही चल रहा था…करोड़ों डोज तैयार हो गए…वैक्सीन मंजूर हो गई…फिर मोदीजी का विदेश प्रेम जागा… दुनिया के कई देशों को मुफ्त वैक्सीन भिजवाई…देश में फिर टुकड़े-टुकड़े रियायत आई…पहले डॉक्टरों को लगवाई…फिर अफसर-कर्मचारियों की बारी आई…अब बुजुर्गों को फरमान भिजवाया…कइयों के मन में डर समाया तो कइयों को वैक्सीन के लिए तड़पता पाया…देश समझ ही नहीं पा रहा है कि जब दवाई है तो ढिलाई क्यों…करोड़ों डोज बनकर तैयार हैं…देश में कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो चुकी है…कहीं लॉकडाउन लगाए जा रहे हैं…कहीं नाइट कफ्र्यू के फरमान सुनाए जा रहे हैं… एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने वाले शंका की नजरों से देखे जा रहे हैं…मजदूर अब भी एक शहर से दूसरे शहर काम पर नहीं जा पा रहे हैं…उत्पादन हो नहीं पा रहा है… हर चीज का दाम बढ़ता जा रहा है…देश संकट में फंसता नजर आ रहा है…फिर भी वैक्सीन पाबंदी में सांस ले रही है…सरकार वैक्सीन को लेकर पूरे देश को भरोसा दिला रही है, लेकिन हकीकत यह है कि खुद वैक्सीन पर भरोसा नहीं कर पा रही है…करोड़ों डोज तैयार पड़े हैं और मात्र 20-25 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई गई है…वैक्सीन न दवाई की दुकानों पर लाई जा रही है न अस्पतालों को मनचाही खुराक दी जा रही है…कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है… बीमारी का दानव चिंघाड़ रहा है और सहमी सरकार इलाज दबाए बैठी है…जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं का नारा लगाने वाली सरकार पता नहीं अब दवाई है तो ढिलाई क्यों बरतते हुए देश को आफत में डाल रही है…

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