ब्‍लॉगर

परीक्षा घोटाला होने पर उस केन्द्र पर ही पुनः परीक्षा

– डॉ. रामकिशोर उपाध्याय

मध्य प्रदेश पटवारी भर्ती परीक्षा को लेकर तमाम तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं। पटवारी भर्ती के लिए लगभग बारह लाख परीक्षार्थियों ने आवेदन भरे थे। इनमें से लगभग नौ लाख परीक्षा में शामिल हुए । परीक्षा परिणामों में आठ हजार छः सौ अभ्यर्थी चयनित सूची में आए। किन्तु 13 जिलों के 78 केंद्रों में से एक सेंटर पर हुए कथित घोटाले या कहें कि सामूहिक नकल के आरोपों के कारण पूरी भर्ती प्रक्रिया पर ही उँगली उठाई जा रही है। कांग्रेस पार्टी इसे चुनावी मुद्दा बनाने के लिए पूरे प्रदेश भर में व्यापक आंदोलन कर रही है । विपक्षी दल होने के कारण सरकार की किसी भी चूक पर विरोध करना उसका कर्तव्य है किंतु क्या इस विरोध से पीड़ित छात्रों को न्याय मिल पाएगा ?

यहाँ प्रश्न यह भी है कि पीड़ित कौन है ? वे एक सौ चौदह संभावित विद्यार्थी, जिनका अधिकार इन कथित नकलचियों ने पैसे देकर छीन लिया या फिर पूरी भर्ती प्रक्रिया के लटक जाने से नौकरी से वंचित हो जाने वाले साढ़े आठ हजार योग्य, परिश्रमी और पूरी ईमानदारी से परीक्षा पास करने वाले युवा ? मूल समस्या क्या है ? ऐसे मामले सामने आने पर उनका स्थायी समाधान होना चाहिए। पर इसकी बजाय चुनावी मौसम में जिसे देखो वही अपनी सुविधा और लाभ के लिए विरोध या समर्थन का झंडा उठाए घूम रहा है।


आज पूरे देश में ऐसा वातावरण बनाया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में परीक्षा घोटाला होना आम बात है जबकि वर्तामान समय में यह सही नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में अपवादों को छोड़कर पूरे प्रदेश में निर्विघ्न परीक्षाएं संपन्न होती आ रही हैं। राजनीति अपनी जगह है सच्चाई अपनी जगह। कुछ नकलचियों के पाप की सजा ईमानदारी से परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों को क्यों मिले ? हमारा संविधान भी यही कहता है कि किसी निर्दोष को सजा नहीं मिलनी चाहिए।

अभी पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में राज्य सेवा परीक्षा में हुए कथित घोटाले को लेकर छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के विरुद्ध वहां के विपक्षी दलों ने जोरदार प्रदर्शन किया। परिणाम क्या हुआ, जांच बैठा दी गई और रिपोर्ट मिलने की अंतहीन प्रतीक्षा शुरू है। ठीक इसी प्रकार राजस्थान में रीट परीक्षा में पेपर लीक होने पर विपक्षी दलों ने वहां की सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के विरुद्ध प्रदर्शन किया, परिणाम क्या हुआ ? जांच बैठा दी गई और रिपोर्ट का अता-पता नहीं है । मध्य प्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा में एक केंद्र पर कथित घोटाले का आरोप लगा तो यहाँ क्या हुआ? यहां भी जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

चूंकि मध्य प्रदेश में नवम्बर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं इसलिए कांग्रेस इसे चुनावी मुद्दा बनाकर अपने कार्यकर्ताओं को सड़कों पर उतार रही है। कांग्रेस के बड़े नेताओं ने स्वयं ट्वीट करके मोर्चा खोल दिया है। राजनीति ऐसे ही चला करती है इसलिए यह कोई विशेष बात नहीं। विशेष बात यह है कि इस शोर-शराबे में परीक्षा व्यवस्था में सुधार पर कोई बहस होती नहीं दीखती। निःसंदेह यह बहुत बड़ा अपराध है इसकी जांच भी होनी चाहिए और दोषियों को सजा भी मिलनी ही चाहिए। किन्तु क्या इस प्रकार की घटनाएं, नक़ल या पेपर लीक पूरी तरह रोके जा सकते हैं ? इसका एक ही उत्तर हो सकता है, हां। किन्तु अपवादस्वरूप ऐसी घटनाएं होती रह सकती हैं। यदि पचास या सौ केन्द्रों में से किसी एक केंद्र पर कोई गड़बड़ी होने पर यदि पूरी परीक्षा निरस्त होने की परम्परा चल निकली तो देश में परीक्षाएं कराना असंभव हो जाएगा ।

परीक्षा में पारदर्शिता लाने के लिए ऑनलाइन प्रणाली अपनाई गई। जिस परीक्षा केंद्र पर आरोप लगे हैं और जो सच भी जान पड़ते हैं क्योंकि एक ही केंद्र से टॉप टेन में सात लोगों का आना संदेह तो उत्पन्न करता ही है। वहां महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इस सरकार को इस बात का पता भी लगाना चाहिए कि अंततः ऑनलाइन परीक्षा में सेंध लगाने के लिए क्या किया गया ? क्या सर्वर हैक किया गया या बिजली की आपूर्ति बाधित करके पुनः पेपर हल कराया गया या कोई अन्य विधि अपनाई गई। निष्पक्ष और विस्तृत जांच से दोषियों को सजा देने का मार्ग तो खुलेगा ही, ऑनलाइन परीक्षा एजेंसियों को इसमें सुधार के लिए भी बाध्य किया जा सकेगा।

लेकिन कुछ घटनाओं के कारण इस प्रणाली को ही अविश्वसनीय घोषित कर दिया गया तो मामला ई.वी.एम.मशीन जैसा हो जाएगा। हम जीते तो ठीक अन्यथा मशीन ने हरा दिया जैसा। ई.वी.एम.मशीन से याद आया, चुनाव आयोग कई चरणों में कई महीनों में चुनाव कराता है। परीक्षा भी कई दिनों या महीनों में संपन्न हो पाती है। किसी एक या कुछ मतदान केन्द्रों पर कुछ भी अनुचित होने पर पूरा चुनाव रद्द नहीं होता अपितु पुर्न मतदान होता है। ठीक वैसे ही किसी एक या कुछ परीक्षा केन्द्रों पर गड़बड़ी होने पर पूरी परीक्षा को निरस्त करने की क्या आवश्यकता है ? उस परीक्षा केंद्र की जाँच करा के दोषियों को जेल भेजकर उस केंद्र के विद्यार्थियों की पुनः परीक्षा आयोजित की जाए ।

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