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विदेश संबंधों पर अमेरिकी कमेटी की पहली बैठक में ही भारत बना चर्चा का केंद्र, चीन पर कही गईं ये बातें

नई दिल्ली। अमेरिका ने दुनिया के बाकी देशों के साथ रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए नई हाउस फॉरेन रिलेशंस कमेटी बनाई है। इस कमेटी ने भारत-अमेरिका के रिश्तों को लेकर बड़ा बयान दिया है। कहा गया है कि अमेरिका-भारत के द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार पर विशेष रूप से कमेटी की नजर है। खासतौर पर दोनों देशों रक्षा-आर्थिक क्षेत्रों, आतंकवाद विरोधी प्रयासों और भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को बढ़ाने के लिए काम करेंगे। इसी हफ्ते रिपब्लिकन कांग्रेसी माइकल मैककॉल की अध्यक्षता में कमेटी की 118वीं बैठक हुई। इस दौरान कमेटी ने अपनी प्राथमिकता और निगरानी वाले मुद्दों को लेकर एक प्रस्ताव भी पारित किया।

कमेटी ने भारत को लेकर क्या-क्या कहा?
हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के रैंकिंग सदस्य डेमोक्रेट ग्रेगरी मीक्स ने इस बैठक के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘समिति भारत के प्रति अमेरिकी नीति और द्विपक्षीय सहयोग के निरंतर विस्तार की समीक्षा करेगी। सुरक्षा और प्रौद्योगिकी सहयोग, विस्तारित भूमिकाओं के अवसर, मिशन और क्षमताओं और आतंकवाद विरोधी प्रयासों सहित अमेरिका-भारत रक्षा संबंधों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।’


कमेटी ने कहा, ‘हम अमेरिका-भारत आर्थिक संबंधों को बढ़ाने के प्रयासों पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे। जिसमें प्रौद्योगिकी, दूरसंचार और फार्मास्युटिकल उद्योगों में द्विपक्षीय प्रयासों पर चर्चा शामिल है। इसके अलावा चतुर्भुज सुरक्षा संवाद प्रयासों में भारत की भागीदारी और भारत-प्रशांत क्षेत्र में इसकी उपस्थिति को बढ़ाने के प्रयासों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।’ समिति ने आगे कहा कि भारत की तेजी से बढ़ती ऊर्जा मांगों के प्रभावों की भी समीक्षा होगी।

चीन के प्रभाव को कम करने की होगी कोशिश
कमेटी ने चीन की दुनिया में बढ़ती शक्तियों को लेकर भी मंथन करने को कहा। इसमें बताया गया है कि चीन जिस तरह से दुनिया में अपना प्रभुत्व बढ़ा रहा है, वो खतरे की आहट है। चीन ने 2013 में एक बुनियादी ढांचा परियोजना शुरू किया है, जो बिजिंग के वैश्विक प्रभाव को बढ़ा रहा है। इसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि और समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है। ये अंतरराष्ट्रीय सीमाओं में परिवर्तन का एक खतरनाक माध्यम है। इसके जरिए चीन पूरी दुनिया को काबू करने की तरफ बढ़ रहा है। ऐसे में अब चीन के साथ हुए अंतरराष्ट्रीय समझौतों और संधियों की भी समीक्षा होगी।

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